भारत में लगभग 23 प्रतिशत महिलाएं वॉम्ब कैंसर की शिकार।
वॉम्ब कैंसर यूटरस के अंदर की लाइनिंग एंडोमेर्टिश्ल में होता है।
हाई एस्ट्रोजन लेवल के कारण होता है यह कैंसर।
हेल्दी वेट मेंटेन करना अच्छा उपाय।
राज एक्सप्रेस। अगर आप 40 की उम्र का आंकड़ा पार कर चुकी हैं, तो सावधान हो जाएं। यूं तो उम्र बढ़ने के साथ अलग-अलग तरह की बीमारियां जन्म लेती हैं, लेकिन एक ऐसी बीमारी है,जिसके लक्षणों पर कभी भी महिलाओं का ध्यान नहीं जाता, लेकिन यह बहुत खतरनाक है। हम बात कर रहे हैं वॉम्ब कैंसर की। भारत में महिलाओं को होने वाला यह कैंसर तीसरे नंबर पर है। पिछले साल लैंसेट की रिपोर्ट में खुलासा हुआ था कि भारत में 23 प्रतिशत महिलाओं की मौत वॉम्ब केंसर यानी गर्भाशय कैंसर के कारण होती है।
वॉम्ब कैंसर को गर्भाशय या एंडोमेट्रियल या यूटरिन कैंसर भी कहा जाता है। इस कैंसर की शुरूआत वॉम्ब लाइनिंग और एंडोमेट्रियल की कुछ स्पेशल सेल्स में होती है। प्राइमरी स्टेज में इसका पता चल जाए, तो 90 प्रतिशत लोग बच जाते हैं, लेकिन एडवांस स्टेज में पहुंचने के बाद 5 में से केवल 1 मरीज ही 5 साल तक जीवित रह पाता है। तो चलिए जानते हैं क्या होता है आखिर वॉम्ब कैंसर, इसके लक्षण, कारण और बचाव के बारे में।
वॉम्ब कैंसर महिलाओं के रिप्रोडक्टिव सिस्टम में होने वाला कॉमन कैंसर है। जब यूट्रस में हेल्दी सेल्स अपना नियंत्रण खो देते हैं, तब एक ट्यूमर बन जाता है। विशेषज्ञों के अनुसार, यह कैंसर यूट्रस के अंदर की लाइनिंग जिसे एंडोमेट्रियल कहते हैं, उसमें होता है। ये कैंसर ज्यादातर महिलाओं को मेनोपॉज होने के बाद होता है, इसलिए 70 प्रतिशत मामले फर्स्ट स्टेज में ही सामने आ जाते हैं। मेनोपॉज के बाद ब्लीडिंग होना इसका सबसे आम लक्षण है, जिसे आसानी से पहचाना जा सकता है।
सेक्स के बाद ब्लीडिंग होना।
पेशाब में खून आना।
पीरियड्स में ज्यादा ब्लीडिंग होना।
मेनोपॉज के बाद वेजाइनल ब्लीडिंग।
कैंसर रिसर्च यूके के अनुसार, ज्यादा वजन, हाई एस्ट्रोजन लेवल, टाइप 1 या 2 डायबिटीज होना और पॉलीसिस्टिक ओवेरियन सिंड्रोम वॉम्ब कैंसर की रिस्क को बढ़ा सकते हैं। इसके अलावा कम उम्र में पीरियड्स शुरू होना, देर से मेनोपॉज होना और गर्भाशय कैंसर की फैमिली हिस्ट्री भी इसके लिए जिम्मेदार है।
जो महिलाएं ओवरवेट हैं, उनमें एस्ट्रोजेन लेवल उन महिलाओं की तुलना में ज्यादा होता है, जिनका वजन नॉर्मल है। दरअसल, फैट सेल्स एक तरह के हार्मोन को एस्ट्रोजन में बदल देते हैं । बता दें कि एस्ट्रोजन एक फीमेल हार्मोन है। मेनोपॉज से पहले अंडाशय एक महिला के लिए ज्यादा एस्ट्रोजन का उत्पादन करते हैं। एस्ट्रोजन जितना ज्यादा होगा, लाइनिंग उतनी ही ज्यादा बनेगी। कई सारी लाइनिंग सेल्स में से किसी एक में कैंसर होने की संभावना रहती है।
स्वस्थ वजन बनाएं रखें।
एक्टिव रहें और रेगुलर एक्सरसाइज करें।
स्वस्थ आहार लें और शराब का सेवन कम करें।
अगर आप एचआरटी हार्मोन रिप्लेसमेंट थेरेपी लेने का मन बना रहे हैं, तो अपने डॉक्टर से बात करें कि कौन सा एचआरटी आपके लिए सबसे अच्छा है।
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