मांसपेशियों में दर्द और सूजन के कारण होती है मायोसाइटिस।
महिलाओं को इसका खतरा ज्यादा।
मांसपेशियों में कमजोरी और थकान इसके मुख्य लक्षण।
एक्सरसाइज, योग और स्ट्रेचिंग से होता है उपचार।
राज एक्सप्रेस। इन दिनों ज्यादातर लोग मांसपेशियों के दर्द से परेशान हैं। इस दर्द के चलते व्यक्ति किसी काम पर फोकस नहीं कर पाता। कई बार यह दर्द इतना असहनीय होता है कि उठना बैठना तो दूर सीधे चलना फिरना भी बंद कर देता है। साउथ एक्ट्रेस समांथा रूथ प्रभु भी कुछ ऐसे ही मसल पेन से परेशान हैं। उन्होंने खुलासा किया है कि उन्हें मायोसाइटिस है।
यह एक ऐसी बीमारी है, जिससे मसल में दर्द और सूजन महसूस होती है। इसमें हड्डियों में कमजोरी तो आती ही है साथ ही त्वचा पर धब्बे भी दिखाई देने लगते हैं। हेल्थलाइन के अनुसार, मांसपेशियों में सूजन आने से ही मायोसाइटिस होता है। यह ऐसी बीमारी है, जो शरीर को धीरे-धीरे तोड़ती है। आइए जानते हैं क्या है मायोसाइटिस, इसके लक्षणों और उपचार के बारे में।
चोट और संक्रमण।
ऑटोइम्यून बीमारियां जैसे रुमेटाइड आर्थराइटिस और ल्यूपस।
सर्दी, खांसी, फ्लू या यहां तक कि एचआईवी जैसे वायरस संक्रमण।
अवैध दवाओं से विषाक्तता।
मायोसाइटिस में व्यक्ति मांसपेशियों में दर्द, थकान, कमजोरी, निगलने में परेशानी, बुखार, हाथों के पिछले हिस्से पर दाने, दिल की अनियमित धड़कन, सांस फूलना कम वजन होने जैसे लक्षण महसूस करता है। कई बार कुर्सी से उठने में दिक्कत होती है और सामान उठाने असैर सीढ़ियां चढ़ने में परेशानी का सामना करना पड़ता है।
इस तरह का मायोसाइटिस महिलाओं और बच्चों को ज्यादा प्रभावित करता है।
इस प्रकार का मायोसाइटिस 30-60 वर्ष की महिलाओं में ज्यादा देखा जाता है। इसमें पीठ, गर्दन, कंधे और कूल्हे की मांसपेशियों पर बुरा असर पड़ता है।
यह बच्चों को प्रभावित करता है। लड़कों के मुकाबले लड़कियों में यह दोगुनी होती है।
मायोसाइटिस का यह प्रकार 50 वर्ष से ज्यादा उम्र के पुरुषों में पाया जाता है। इसमें पुरुषों की उंगली और जांघ की मांसपेशी कमजोर होने लगती हैं।
यह मायोसाइटिस के प्रकारों में सबसे दुर्लभ और गंभीर है। कुछ अवैध दवाएं टॉक्सिक मायोसाइटिस का कारण बनती हैं।
देखा जाए, तो मायोसाइटिस का कोई स्पष्ट इलाज नहीं है। लेकिन डॉक्टर इसके लिए फिजिकल थेरेपी, एक्सरसाइज, योग और स्ट्रेचिंग की सलाह देते हैं। इससे न केवल मांसपेशियों की सूजन कम होती है, बल्कि इन्हें मजबूत और लचीला बनाए रखने में मदद मिलती है। इसके अलावा इम्यूनो सप्रेसेंट दवाओं की मदद से भी इसका इलाज किया जाता है। डॉक्टर इस बीमारी से रिकवर होने के लिए मरीज को एंटी इंफ्लेमेटरी डाइट लेने की सलाह देते हैं।
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