राज एक्सप्रेस। दुनियाभर में ऐसी कई दुर्लभ बीमारियां हैं, जिनकी चपेट में आकर हर साल कई लोग अपनी जान गंवा देते हैं। इनमें से कई दुर्लभ बीमारियां ऐसी भी हैं जिनका इलाज भी संभव है लेकिन लोगों को इनके बारे में जानकारी ना होने के कारण वे समय पर इलाज नहीं करवा पाते और इसका परिणाम काफी बुरा होता है। लोगों को इन दुर्लभ बीमारियों के बारे में जागरूक करने के उद्देश्य से हर साल 28 फरवरी को दुर्लभ रोग दिवस या रेयर डिजीज डे के रूप में मनाया जाता है। चलिए आपको बताते हैं दुर्लभ रोग दिवस का इतिहास, और इससे जुड़ी अन्य उपयोगी बातें।
दुर्लभ रोग दिवस का इतिहास :
इस खास दिन को मनाने की शुरुआत यूरोपीय संगठन के द्वारा साल 2008 में 29 फरवरी को की गई थी। लेकिन 29 फरवरी लीप ईयर है और यह चार साल में एक बार आता है, इसलिए दुर्लभ रोग दिवस को फरवरी के अंतिम दिन मनाने का फैसला किया गया था। इसके अलावा फरवरी माह में ही दुर्लभ रोग दिवस को मनाने के पीछे फरवरी माह में आने वाले 28 और 29 दिन भी हैं, जिन्हें दुर्लभ माना जाता है।
दुर्लभ रोग दिवस का उद्देश्य :
हर साल दुर्लभ रोग दिवस को मनाए जाने का प्रमुख उद्देश्य लोगों को दुर्लभ रोगों के प्रति जागरूक करना है। उन्हें दुर्लभ रोगों से हो रही परेशानियों और उनके निदान के प्रति जानकारी उपलब्ध करवाना है। क्योंकि कुछ दुर्लभ बीमारियां जिनका इलाज संभव है, लोग उनके प्रति जागरूक नहीं होने के कारण अपनी जान गंवा देते हैं। इसके अलावा जिनका इलाज संभव है उनके एहतियात बरतना जरुरी होता है।
दुर्लभ रोग दिवस की थीम :
इस साल दुर्लभ रोग दिवस को मनाने के लिए 'अपना रंग साझा करें' थीम का चयन किया गया है। आज के दिन इस थीम को ध्यान में रखते हुए कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे।
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