राज एक्सप्रेस। महिलाओं में अक्सर प्रसव के बाद मानसिक और भावनात्मक रूप से कमजोरी आना स्वाभाविक बात है। लेकिन इसके चलते कई बार वे उभर नहीं पाती और धीरे-धीरे डिप्रेशन का शिकार होती चली जाती हैं। विश्व स्वास्थ्य संगठन यानि डब्ल्यूएचओ का यह कहना है कि आज भारत देश में प्रसव के बाद डिप्रेशन की समस्या से करीब 20 फीसदी महिलाऐं जूझ रही हैं। इसका एक कारण महिलाओं में जागरूकता का अभाव भी बना हुआ है। कई बार यह समस्या इतनी अधिक बढ़ जाती है कि महिला की जान पर बन आती है। ऐसे में चलिए आपको बताते हैं पोस्टपार्टम डिप्रेशन के बारे में।
क्या है पोस्टपार्टम डिप्रेशन?
अक्सर ही प्रसव होने के बाद महिलाओं में चिड़चिड़ापन, एंग्जायटी आदि समस्याएँ होने लगती हैं। इसके साथ ही उनके शरीर में काफी अहम बदलाव होते हैं, जिन्हें देखकर उन्हें डर लगने लगता है। कई बार ऐसी स्थिति को महिलाऐं समझ नहीं पाती, और इसका परिणाम स्ट्रेस और डिप्रेशन का रूप ले लेता है। इस अवस्था को ही पोस्टपार्टम डिप्रेशन कहा जाता है। सीधे शब्दों में महिला को प्रसव यानि डिलीवरी के बाद होने वाले डिप्रेशन को पोस्टपार्टम डिप्रेशन कहा जाता है।
किसे होता है पोस्टपार्टम डिप्रेशन?
पोस्टपार्टम डिप्रेशन की समस्या आमतौर पर उन महिलाओं के साथ देखने को मिलती है, जिन्हें पूर्व में कोई मानसिक बीमारी रही हो। इसके अलावा जिनकी प्रेगनेंसी में किसी प्रकार की समस्या आई हो ऐसी महिलाओं में भी पोस्टपार्टम डिप्रेशन की समस्या लंबे समय तक देखी जा सकती हैं।
कैसे रखें अपना ध्यान?
पोस्टपार्टम डिप्रेशन से निपटने के लिए आपको डॉक्टर से परामर्श लेना चाहिए। इसके अलावा आप अपने दोस्तों या करीबियों से भी इस बारे में बात कर सकते हैं। किसी प्रोफेशनल से सलाह लेना भी आपके लिए फायदेमंद साबित हो सकता है।
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