अर्ली प्यूबर्टी की संभावना लड़कों से 25 फीसदी ज्यादा लड़कियों में।
आक्रामक और चिड़चिड़े हो जाते है अर्ली प्यूबर्टी वाले बच्चे।
एस्ट्रोजन या टेस्टेस्टेरोन प्रिकॉशियस प्यूबर्टी का कारण।
बच्चे को स्वस्थ वजन बनाए रखने के लिए प्रोत्साहित करें।
राज एक्सप्रेस। अर्ली प्यूबर्टी भारतीय बच्चों में चिंता का विषय हैं। अगर आप एक बच्चे के माता- पिता हैं, तो आपको इस बात की चिंता जरूर सताती होगी कि आपका बच्चा समय से पहले मैच्योर हो रहा है। इसका असर भले ही आपको जल्दी ना दिखे, लेकिन आगे चलकर यह स्थिति आपके बच्चे को शारीरिक और मानसिक तौर से प्रभावित कर सकती है। चूंकि, बच्चों में इसके सकारात्मक कम और नकारात्मक प्रभाव ज्यादा देखने को मिलते हैं। इसलिए हर माता-पिता को इसके लक्षण और कारणों के बारे में जागरूक होना चाहिए।
NCBI की एक रिसर्च के अनुसार अर्ली प्यूबर्टी की संभावना लड़कों से 25 फीसदी ज्यादा लड़कियों में होती है। लड़कियों में अब 8 साल की उम्र से ही प्यूबर्टी शुरू होने लगी है। वहीं लड़के 9 साल से पहले ही मैच्योर हो जाते हैं। एक अन्य रिसर्च कहती है कि अगर बच्चा उम्र से पहले मैच्योर हो जाए, तो उसका विकास और मानसिक स्वास्थ्य खतरे में पड़ सकता है। ऐसे बच्चे न केवल अपने हमउम्र दोस्तों के साथ असहज महसूस करते हैं, बल्कि उन्हें कई परेशानियों का भी सामना करना पड़ता है। तो चलिए जानते हैं क्या होती है अर्ली प्यूबर्टी और क्या हैं इसके कारण व लक्षण।
Mayo Clinic के अनुसार, प्यूबर्टी वह समय हैं, जब एक बच्चे का शरीर और दिमाग एक वयस्क के रूप में मैच्योर होने लगता है। लड़कों की प्यूबर्टी 12 साल की उम्र में शुरू होती है, जबकि लड़कियों की 10 साल की उम्र में। हालांकि, कभी-कभी प्यूबर्टी उम्र से पहले ही शुरू हो जाती है। लड़के 9 साल की उम्र से पहले और लड़कियां 8 साल की उम्र से पहले जवान हो रही हैं। इस स्थिति को प्रिकॉशियस या अर्ली प्यूबर्टी कहते हैं।
अर्ली प्यूबर्टी के कारण हर बच्चे में अलग-अलग हो सकते हैं। यह काफी हद तक बच्चे की लिंग, उम्र और कारकों पर निभर करता है। कुछ कारण यहां बताए गए हैं-
Cleveland Clinic के अनुसार, जो बच्चे एस्ट्रोजन या टेस्टेस्टेरोन के संपर्क में आते हैं, वे अर्ली प्यूबर्टी के शिकार हो रहे हैं। ये चीजें शैंपू की बोतल, फूड पैकेजिंग और लोशन में पाई जाती हैं। शरीर में एंडोक्राइन की मात्रा बढ़ने से बच्चा उम्र से पहले ही जवान हो जाता है। बता दें कि एस्ट्रोजन या टेस्टेस्टेरोन प्यूबर्टी की शुरुआत को तेज कर देता है।
इसके अलावा गलत खानपान के कारण बच्चों में मोटापा बढ़ रहा है। इससे बच्चे समय से पहले मैच्योर हो रहे हैं।
बॉडी में हार्मोन इंबैलेंस के कारण बच्चों की नींद डिस्टर्ब हो रही है। यह भी अर्ली प्यूबर्टी का एक मुख्य कारण है।
लड़के और लड़कियों में अर्ली प्यूबर्टी के लक्षण अलग-अलग होते हैं। लड़कियों में ब्रेस्ट साइज बढ़ना, पिंपल्स होना, प्यूबिक हेयर बढ़ना, ओव्यूलेशन और पीरियड शुरू होना शामिल है। जबकि लड़कों में टेस्टिकल्स और पेनिस का साइज बढ़ना, दाढ़ी आना , पिंपल्स होना, आवाज में भारीपन, मांसपेशियों का मजबूत होने जैसे लक्षण दिखाई देते हैं।
यौवन खत्म हो जाने पर हड्डियां बढ़ना बंद कर देती हैं।
लड़कों का व्यवहार आक्रामक या चिड़चिड़ा हो सकता है।
लड़कों में उम्र के हिसाब से अनुचित सेक्स ड्राइव डवलप हो सकती है।
बच्चों की हाइट बढ़ना रुक जाती है।
अर्ली प्यूबर्टी वाली लड़कियां अपने दोस्तों से पहले पीरियड आने या ब्रेस्ट साइज बढ़ने को लेकर शर्मिंदगी महसूस कर सकती हैं।
साथी उनके साथ अलग व्यवहार कर सकते हैं, क्योंकि वह उम्र से उनसे बड़े दिखते हैं।
सामाजिक और भावनात्मक समस्याओं का सामना करते हैं।
कम उम्र में सेक्सुअली एक्टिव हो जाते हैं।
अर्ली प्यूबर्टी वाले बच्चे स्ट्रेस में रहते हैं।
बच्चे को भरपूर पोषण दें।
उसे रेगुलर एक्सरसाइज करने के लिए प्रोत्साहित करें।
बच्चे को एनिमल फूड के बजाय प्लांट बेस्ड फूड दें।
हेल्दी वेट मेंटेन करने के लिए मोटिवेट करें।
बच्चों से बात करें और उनसे पूछें कि उन्हें क्या परेशानी है।
बच्चे के भावनात्मक तनाव और अवसाद के लक्षणों पर नजर बनाए रखें।
ऐसी कोई भी चीज़ जिसमें एस्ट्रोजन या टेस्टोस्टेरोन हो उसे बच्चों से दूर रखें।
बेटा हो या बेटी उसे सोशल एक्टिविटीज में हिस्सा लेने के लिए प्रोत्साहित करें। इससे उसे अर्ली प्यूबर्टी से उबरने में मदद मिलेगी।
अगर आपको भी अपने बच्चे में अर्ली प्यूबर्टी से संबंधित कोई भी लक्षण महसूस होता है, तो इसे अनदेखा न करें। डॉक्टर कहते हैं कि जैसे -जैसे बच्चा बड़ा होता है, साल में एक बार उनका मेडिकल चेकअप जरूर कराएं। इससे जल्द ही प्यूबर्टी पैटन को चैक करने में हेल्प मिल सकती है।
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