पुरुषों को भी होता है मेनोपॉज।
45-60 वर्ष की उम्र के बीच होती है एंड्रोपॉज की शुरुआत।
तनाव, जोड़ों में दर्द मेल मेनोपॉज के मुख्य लक्षण।
इग्नोर करने पर सेक्स लाइफ होती है प्रभावित।
राज एक्सप्रेस। मेनोपॉज महिलाओं के जीवन का सबसे अहम पड़ाव है। हर महिला को 45-55 वर्ष की उम्र में इससे गुजरना ही पड़ता है। इस दौरान उनके शरीर में कई सारे बदलाव आते हैं। बता दें कि मेनोपॉज तब आता है जब एक महिला की ओवरी में अंडे बनना बंद हो जाते हैं, एस्ट्रोजन व प्रोजेस्ट्रॉन हार्मोन का प्रोडक्शन कम होता चला जाता है और महिला की प्रजनन क्षमता लगभग खत्म हो जाती है। लेकिन यह एक गलतफहमी है कि केवल महिलाएं ही इस बदलाव का अनुभव करती हैं। पुरुष भी इस फेज से गुजरते हैं। जिसे मेल मेनोपॉज या एंड्रोपॉज कहते हैं। I'M WOW की फाउंडर गुंजन तनेजा ने इंस्टाग्राम पर एक वीडियो के जरिए एंड्रोपॉज के बारे में बताया है। तो आइए, जानते हैं क्या होता है एंड्रोपॉज और इस वक्त कितनी तकलीफ सहन करते हैं पुरुष।
एक्सपर्ट बताती हैं कि जैसे -जैसे उम्र बढ़ती है, पुरुषों में भी कई तरह के बदलाव होते हैं। हालांकि, उनका मेनोपॉज का एक्सपीरियंस महिलाओं से काफी अलग होता है। हालांकि, लक्षणों में थोड़ी बहुत समानता रहती है। पुरुष की लाइफ में मेनोपॉज का फेज 40 से 60 की उम्र में शुरू होता है। इस दौरान उनके शरीर में हार्मोनल चेंज होते हैं, लेकिन ज्यादातर को इसका अंदाजा तक नहीं होता, कि वे मेनोपॉज फेज में चल रहे हैं।
इस दौरान मूड में बदलाव, टेस्टोस्टेरोन हार्मोन में कमी और थकावट जैसे लक्षण मेनोपॉज से गुजरने वाली महिलाओं के समान ही होते हैं। लो टेस्टोस्टेरोन लेवल पुरुषों की दाढ़ी, चेहरे के बाल और यौन क्रिया के लिए जिम्मेदार है। हालांकि, जरूरी नहीं कि हर पुरुष में एक जैसे लक्षण नजर आएं। किसी को कम तो किस को ज्यादा गंभीर लक्षण महसूस हो सकते हैं। फीमेल मेनोपॉज की तरह, यह पुरुषों की फर्टिलिटी को भी प्रभावित करता है।
वैसे तो मेनाेपॉज और एंड्रोपॉज में काफी समानताएं हैं, लेकिन इनमें अंतर भी है। मेनोपॉज महिला की रिप्रोडक्टिव कैपेसिटी के अंत का संकेत है, जबकि पुरूषों में सिर्फ टेस्टोस्टेरॉन में गिरावट के चलते एंड्रोपॉज होता है। मेनोपॉज में महिलाओं को वजन बढ़ने, हॉट फ्लैश की समस्या होती है। वहीं एंड्रोपॉज में पुरुष समय के साथ थका हुआ फील करता है, उसे काम करने में दिक्कत होने लगती है।
जानकारी के लिए बता दें कि सभी पुरुषों में मेनोपॉज नहीं होता। 90 फीसदी पुरुषों को तो इस बात की भी जानकारी नहीं होती कि वे भी मेल मेनोपॉज से गुजरते हैं। अगर बताया जाए, तो ज्यादातर तो इसे कोरी अफवाह बताकर टाल देते हैं। मगर कोई पुरुष टेस्टेस्टेरोन के लगातार घटने के बाद भी इस पर ध्यान न दे, तो इसका असर उनकी सेक्स लाइफ पर पड़ता है। नतीजतन, व्यक्ति की सेक्स ड्राइव में कमी, लिबिडो में कमी और इरेक्टाइल डिसफंक्शन का भी शिकार हो सकता है।
मेल मेनोपॉज के लक्षणों का बेहतरीन उपचार जीवनशैली में बदलाव है। इसके अलावा खानपान का भी बेहद ख्याल रखना होता है। डायटीशियन के अनुसार, उम्र बढ़ने के साथ पुरुषों को पौष्टिक आहार का सेवन करना चाहिए। 50 की उम्र के बाद फैट, शुगर और ज्यादा प्रोटीन का सेवन टेस्टोस्टेरोन लेवल में गिरावट ला सकता है। इनके सेवन से शरीर की कार्यक्षमता पर ही नहीं बल्कि हार्मोन प्रोडक्शन पर भी बुरा असर पड़ता है। अच्छी नींद लेने, नियमित रूप से एक्सरसाइज करने और तनाव मुक्त रहने से पुरुष स्वस्थ रहते हुए मेनोपॉज का पड़ाव आसानी से पार कर सकते हैं।
मेल मेनोपॉज वह समस्या है, जिस पर आधे से ज्यादा पुरुषों का ध्यान नहीं जाता। यह एक नेचुरल प्रोसेस है, जो उम्र बढ़ने के साथ हर पुरुष के हार्मोन्स को प्रभावित करती है। हालांकि, महिला मेनोपॉज की तरह इसके कोई स्पष्ट संकेत नहीं होते। बावजूद इसके कुछ बातों का ध्यान रखकर लाइफ के इस फेज को थोड़ा आसान बनाया जा सकता है।
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