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Vitamin D Toxicity: जरूरत से ज्‍यादा विटामिन डी लेने से जा सकती है जान, जानें इसे लेने का सही तरीका

क्‍या आप भी विटामिन डी सप्‍लीमेंट लेते हैं। अगर हां, तो इसका ओवरयूज न करें। जरूरत से ज्यादा विटामिन डी आपके लिए जहर बन सकता है।

Author : Deepti Gupta

हाइलाइट्स :

  • शरीर में विटामिन डी की अधिकता को विटामिन डी टॉक्सिसिटी कहते हैं।

  • हड्डियों होती हैं कमजोर।

  • उल्‍टी और कमजोरी इसके मुख्‍य लक्षण।

  • रेगुलर ब्‍ल्‍ड टेस्‍ट कराएं।

राज एक्सप्रेस। शरीर को स्‍वस्‍थ रखने के लिए कई तरह के विटामिन की जरूरत होती है। विटामिन डी उनमें से एक है। इसे सनशाइन विटामिन के नाम से भी जाना जाता है। जो लोग सूर्य की किरणों से विटामिन डी नहीं ले पाते, वे सप्लीमेंट के जरिए शरीर में इसकी कमी पूरी करते हैं। इससे हड्डियां मजबूत होती हैं। लेकिन इसका ओवरडोज सेहत के लिए अच्‍छा नहीं है। शरीर में इसकी अधिकता को विटामिन डी टॉक्सिसिटी या हाइपरविटामिनोसिस भी कहा जाता है। हाल ही में विटामिन डी टॉक्सिसिटी के कारण ब्रिटेन के 89 वर्ष के व्यक्ति की मौत हो गई। वह पिछले नौ महीने से लगातार विटामिन डी के सप्लीमेंट ले रहा था। उनका विटामिन डी लेवल 380 दिखाया गया है, जो बहुत ज्‍यादा है। इसके कारण उनकी किडनी फेल हो गई। तो आइए जानते हैं क्‍या होती है विटामिन डी टॉक्सिसिटी और उम्र के हिसाब से किसी व्‍यक्ति में कितना होना चाहिए विटामिन डी लेवल।

क्‍या होती है विटामिन डी टॉक्सिसिटी

विटामिन डी टॉक्सिसिटी एक दुलर्भ लेकिन गंभीर स्थिति है। ऐसा तब होता है, जब शरीर में विटामिन डी की मात्रा जरूरत से ज्‍यादा हो जाए। आहार या सूरज के संपर्क में आने से ऐसा नहीं होता, बल्कि विटामिन डी टॉक्सिसिटी की मुख्‍य वजह ब्‍लड में कैल्शियम का ज्‍यादा मात्रा में बनना है। इसे हाइपरक्‍लैसीमिया भी कहते हैं।

विटामिन डी टॉक्सिसिटी के लक्षण

  • डिहाइड्रेशन

  • बार-बार प्‍यास लगना

  • भूख में कमी आना

  • जल्‍दी पेशाब आना

  • मांसपेशियों में कमजोरी

  • भ्रम, सुस्‍ती और थकान

  • हड्डी में दर्द और कमजोरी

  • किडनी स्‍टोन

  • वजन कम होना

  • कब्‍ज की समस्‍या

विटामिन डी का ओवरडोज क्‍यों है खतरनाक

जब कोई व्‍यक्ति लगातार विटामिन डी सप्‍लीमेंट लेता है, तो ब्‍लड में कैल्शियम की मात्रा बढ़ जाती है, जिससे मतली, उल्टी, कमजोरी और बार-बार पेशाब आने जैसे लक्षण दिखाई देते हैं। विटामिन डी टॉक्सिसिटी से हड्डियों में दर्द बढ़ने के साथ किडनी और हार्ट से जुड़ी समस्या पैदा हो सकती है। गंभीर मामलों में व्‍यक्ति की जान तक जा सकती है।

विटामिन डी टॉक्सिसिटी के रिस्‍क

  • ऑस्टियोपोरोसिस

  • सोरायसिस

  • वजन घटाने की सर्जरी

  • सीलिएक रोग

  • इंफ्लामेटरी बॉवल डिजीज

  • मल्टीपल स्क्लेरोसिस

कितनी मात्रा में लेना चाहिए विटामिन डी

नेशनल इंस्‍टीट्यूट ऑफ हेल्‍थ की रिपोर्ट के मुताबिक 1 से 70 साल की आयु वाले व्‍यक्ति के लिए विटामिन डी का 50 nmol/L (20ng/ml )लेवल सामान्‍य है। वहीं 30 nmol/L (12 ng/ml ) से कम लेवल को शरीर में विटामिन डी की कमी के तौर पर देखा जाता है। इसके अलावा 125 nmol/L (50 ng/ml ) से ज्‍यादा लेवल होने पर विटामिन डी टॉक्सिसिटी का खतरा बढ़ता है। मेडिकल न्‍यूज टुडे के अनुसार, किसी भी स्वास्थ्य जोखिम की संभावना को कम करने के लिए हर दिन विटामिन डी की मात्रा 4,000 आईयू निर्धारित की गई है।

कब लेना चाहिए विटामिन डी सप्‍लीमेंट

विटामिन डी एक फैट सॉल्युबल विटामिन है। ये पानी में घुलता नहीं है और इसे हाई फैट फूड्स के साथ लेना चाहिए। जानकारों की मानें, तो लोगों को खाने के साथ या खाने के तुरंत बाद विटामिन डी ले लेना चाहिए। एक स्‍टडी के मुताबिक दिन के बड़े मील के साथ इसे लेने से 2-3 महीने बाद ही ब्‍लड में विटामिन डी की मात्रा 50 फीसदी तक बढ़ सकती है।

विटामिन डी टॉक्सिसिटी से बचने के उपाय

  • डॉक्टर से प्रिस्क्रिप्शन लेने के बाद ही विटामिन डी का सेवन शुरू करें।

  • डॉक्टर की सलाह से ज्यादा विटामिन डी की डोज न लें।

  • इसके बजाय विटामिन के का सेवन बढ़ाएं।

  • सुपर हाइड्रेट रहें।

  • विटामिन डी से भरपूर आहार लें।

  • विटामिन डी लेने के दौरान नियमित ब्‍लड टेस्‍ट कराना जरूरी है।

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