दुनियाभर में 116 मिलियन महिलाएं पीसीओएस से पीड़ित।
धूम्रपान करने से बढ़ता है पीसीओएस।
पीसीओएस में बिना एडवाइज न लें गलत डाइट।
पीसीओएस में प्लास्टिक का यूज बंद करें।
राज एक्सप्रेस। WHO के आंकड़े बताते हैं कि दुनिया में लगभग 116 मिलियन महिलाएं पीसीओएस से प्रभावित हैं। भारत में करीब 10 फीसदी महिलाएं पीसीओएस से जूझ रही हैं। पीसीओएस होना महिलाओं में सामान्य जरूर है, लेकिन इसकी वजह से कई बार महिलाओं की मुश्किलें काफी बढ़ जाती हैं। इसलिए समय रहते इसे कंट्रोल कर लिया जाना चाहिए। पीसीओएस ओवरी से जुड़ी एक समस्या है, जिसकी वजह से महिलाओं के शरीर में हार्मोन असंतुलित हो जाते है। इससे पीरियड्स समय पर नहीं आते और गर्भधारण करने में भी दिक्कत आती है।
पीसीओएस की वजह से महिलाओं को वजन बढ़ने, मानसिक तनाव होने, शरीर में बाल आने, बालों के झड़ने जैसी समस्याओं से भी जूझना पड़ता है। इस बीमारी का सीधा इलाज हमारी जीवनशैली में बदलाव से जुड़ा हुआ है। कई बार लोग अनजाने में ऐसी गलती कर बैठते हैं, जो पीसीओएस को और बढ़ा देती हैं। अगर आपको भी पीसीओएस है, तो गायनाकोलॉजिस्ट डॉ. सीमा गुप्ता ने यहां कुछ गलतियों के बारे में बताया है।। ये गलतियां पीसीओएस के लक्षणों को बदतर बनाने के लिए जिम्मेदार हैं।
धूम्रपान वास्तव में पीसीओएस के मामले को खराब कर सकता है। धूम्रपान से हृदय रोग और डायबिटीज का खतरा बढ़ता है। इनके साथ-साथ मेटाबोलिक सिंड्रोम विकसित होने की संभावना ज्यादा रहती है। इसलिए अगर आप पीसीओएस से पीड़ित हैं, तो इसका सेवन करने की गलती न करें।
पीसीओएस से जुड़े ज्यादातर लोग वेटलॉस करने के चक्कर में ग्लूटेन फ्री, डेयरी फ्री, फैड और कीटो डाइट फॉलो करना शुरू कर देते हैं। डायटीशियन अंजू विश्वकर्मा के अनुसार, इनमें से कीटो डाइट बहुत ज्यादा हेल्दी नहीं होती। लोग जल्दी वेटलॉस के चलते ग्लूटेन और डेयरी फ्री डाइट लेते तो हैं, लेकिन ही साथ कार्ब कम कर देते हैं। जो सही तरीका नहीं है। कोई भी डाइट बिना डॉक्टर की सलाह के ली जाए, तो पीसीओएस वालों को इससे बहुत नुकसान हो सकता है।
फिजिकल वर्कआउट न करना पीसीओएस वाले लोगों की सबसे बड़ी भूल है। जिसे जल्द से जल्द सुधार लेना चाहिए। एक्सरसाइज व्यक्ति के स्वस्थ रहने का एक जरूरी हिस्सा है। पीसीओएस हो, तो अक्सर हृदय रोग और मोटापे के जोखिम को कम करने के लिए एक्सरसाइज करने की सलाह दी जाती है। जिम जाने के बजाय दिन में 30 मिनट, सप्ताह में कुछ बार पैदल चलने की कोशिश करने से ही आपको बहुत फायदा होगा।
साइंस डायरेक्ट जर्नल में छपी एक स्टडी के मुताबिक नियमित पीरियड्स न होने से एंडोमेट्रियल कैंसर होने की संभावना बढ़ती है। भागदौड़ भरी जिन्दगी में, अपने पीरियड को ट्रेक न कर पाना कोई बड़ी बात नहीं है। लेकिन पीसीओएस वाले लोगों के लिए पीरियड्स पर कड़ी नजर रखना बेहद जरूरी है। इससे बीमारी को मैनेज करने में आसानी होती है। अगर आप याद नहीं रख सकते, तो एक डायरी या कैलेंडर में डेट नोट करते रहें।
पीसीओएस में अगर आप प्लास्टिक की बोतल का यूज कर रहे हैं, तो यह खतरे से खाली नहीं है। कई लोग इस बारे में नहीं जानते, लेकिन प्लास्टिक में पाया जाने वाला बिस्फेनॉल ए हार्मोन में गड़बड़ी पैदा करता है। इसके चलते पीसीओएस मैनेज भी नहीं हो पाता। बेहतर है प्लास्टिक की जगह स्टील या कॉपर की बोतल का इस्तेमाल करें, क्योंकि ये मेटल हार्मोन्स को कोई नुकसान नहीं पहुंचाते।
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