1 सितंबर-30 सितंबर तक पीसीओएस अवेयरनेस मंथ।
पीसीओएस महिलाओं में आम हार्मोनल विकार।
पीसीओएस में विटामिन डी की अहम भूमिका।
फर्टिलिटी में सुधार करता है विटामिन डी।
राज एक्सप्रेस। हर साल 1 सितंबर से 30 सितंबर तक पीसीओएस (पॉलीसिस्टिक ओवरी कंडीशन) मंथ मनाया जाता है। इसका मकसद पीसीओएस जैसे मामलों को लाइमलाइट में लाना और इससे प्रभावित लोगों के अस्तित्व पर काम करने में मदद करना है। बात अगर पीसीओएस की करें, तो भारत में हर पांच में से एक महिला इस बीमारी से पीड़ित है। मेडिकल पत्रिका द लांसेट के अनुसार पॉलीसिस्टिक ओवरी सिंड्रोम दुनिया भर में हर 15 में से एक महिला को प्रभावित करता है। पीसीओएस लाइलाज है, लेकिन व्यायाम, स्वस्थ आहार और वजन घटाने से इसे नियंत्रित किया जा सकता है।
इस बीमारी में विटामिन डी की भी भूमिका अहम मानी गई है। यह शरीर के लिए बहुत जरूरी पोषक तत्व है, जो हड्डियों को मजबूत बनाने के साथ सर्दी और श्वसन संक्रमण से लड़ने की क्षमता को बढ़ाता है। आपको जानकर हैरत होगी कि पीसीओएस से पीड़ित लगभग 67% से 85% महिलाओं में विटामिन डी की कमी होती है। तो चलिए आज हम आपको बताएंगे कि विटामिन डी लेने से पीसीओएस को नियंत्रित कैसे किया जा सकता है।
गायनाकोलॉजिस्ट डॉ.सीमा गुप्ता के अनुसार, पीसीओएस एक ऐसी स्थिति है, जो सीधे तौर पर महिलाओं के अंडाशय को प्रभावित करती है। इसमें महिला के अंडे बड़ी संख्या में आंशिक रूप से परिपक्व अंडे का उत्पादन शुरू कर देते हैं । समय के साथ यह अंडाशय में सिस्ट का रूप ले लेते हैं। जिसके चलते अंडाशय बड़े हो जाते हैं और अच्छी सख्ंया में पुरुष हार्मोन यानी एंड्रोजन का स्त्राव करते हैं। इससे महिलाओं में इनफर्टिलिटी के साथ अनियमित पीरियड्स और वजन बढ़ने जैसी समस्या होने लगती हैं।
पीसीओएस की समस्या अक्सर इररेगुलर पीरियड की वजह बनती है। जिससे कोई भी महिला गर्भधारण नहीं कर पाती। क्लीनिकल न्यूट्रिशन में पब्लिश हुई एक स्टडी से पता चलता है कि विटामिन डी जानवरों में अंडे को विकसित करने में अहम भूमिका निभाता है और गर्भणारण के लिए अंडे का स्वस्थ विकास बहुत जरूरी है। ऐसे में जिन महिलाओं को पीसीओएस के कारण बेबी कंसीव करने में दिक्कत आती है, विटामिन डी उनके लिए बेहतरीन विकल्प है।
पीसीओएस एक नहीं महिलाओं में कई बीमारियों की वजह है। यह एक मेटाबॉलिक डिसऑर्डर है, जो शरीर में हार्मोनल असंतुलन का कारण बनता है। इससे तेजी से वजन बढ़ने लगता है। मेटाबोलिक सिंड्रोम पीसीओएस से पीड़ित 33% महिलाओं को प्रभावित करता है। इस सिंड्रोम के कारण महिलाओं को हृदय रोग, स्ट्रोक और टाइप 2 डायबिटीज का खतरा रहता है। इसके अलावा हाइपरग्लेसेमिया, हाइपरट्राइग्लिसरीडेमिया, एचडीएल, मोटापा हाई ब्लड प्रेशर जैसी समस्या भी देखने को मिलती हें। ऐसे में विटामिन डी इंसुलिन प्रतिरोध को रोकने में मदद करता है। इतना ही नहीं इससे ट्राइग्लिसराइड और कोलेस्ट्रॉल के स्तर में सुधार होता है। गायनोकोलॉजिकल एंड्रोक्रीनोलॉजी में पब्लिश हुई एक रिसर्च के मुताबिक विटामिन डी और कैल्शियम की डोज ने पीसीओएस से पीड़ित महिलाओं में ब्लड प्रेशर को कम करने में भी मदद की है।
पीसीओएस महिलाओं के लिए एक बहुत गंभीर स्थिति है। इस बीमारी से पीड़ित 50% महिलाओं में एंजाइटी और 27% में अवसाद के लक्षण देखे जाते हैं। जिन लोगों में विटामिन डी कम होता है, वे अवसाद में बहुत जल्दी चले जाते हैं। भूख में बदलाव, शारीरिक दर्द, पाचन संबंधी समस्याएं और नींद न आना अवसाद के मुख्य लक्षण हैं। यह हाई ब्लड प्रेशर , हृदय रोग, डायबिटीज और हाई कोलेस्ट्रॉल पीसीओएस से जुड़ी स्वास्थ्य समस्याओं को और बढ़ा सकता है। ऐसे में मूड को नियंत्रित करने के लिए विटामिन डी का सेवन बहुत जरूरी है।
पीसीओएस के लिए विटामिन डी की कोई अनुशंसित खुराक नहीं है। 19 से 50 वर्ष की महिलाओं को हर दिन 600 आईयू लेने की सलाह दी जाती है, लेकिन जरूरी नहीं कि हर महिला के लिए इसकी मात्रा बराबर हो। कुछ महिलाओं को ज्यादा डोज की जरूरत पड़ सकती है। कितनी लेनी है, इस संबंध में डॉक्टर से बात कर सकते हैं।
विटामिन डी की कमी पीसीओएस के कुछ लक्षणों को बढ़ाने के लिए जिम्मेदार है। विटामिन डी लेने से पीसीओएस से जुड़ी समस्याओं जैसे इंफर्टिलिटी, वजन बढ़ना और चिंता को दूर करने में मदद मिल सकती है। ध्यान रखें, विटामिन डी कोई मैजिक टैबलेट नहीं हैं, लेकिन ये पीसीओएस को प्रबंधित करने का बेहतर तरीका हो सकता है।
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