महिलाओं की तरह पुरुषों को भी होते हैं पीरियड Raj Express
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महिलाओं की तरह पुरुषों को भी होते हैं पीरियड, महीने के इस समय बेचैन रहते हैं ये लोग

महिलाओं को पीरियड्स के दौरान ब्‍लीडिंग होती है, जबकि पुरुषों के पीरियड हार्मोनल बदलावों से जुड़े हैं। मेल पीरियड्स को इरीटेबल मेल सिंड्रोम कहा जाता है।

Santosh

हाइलाइट्स :

  • पुरुषों को भी आते हैं पीरियड्स।

  • ब्‍लीडिंग नहीं होती, व्‍यवहार में आता है बदलाव।

  • मार्च, अप्रैल, मई पुरुषों के लिए चुनौतीपूर्ण समय।

  • कुल 24 घंटे की होती है हार्मोन साइकिल।

राज एक्सप्रेस। क्‍या आपके हसबैंड चिड़चिड़े हो रहे हैं। या फिर छोटी सी बात को लेकर गुस्‍सा उबलने लगे हैं। अगर ऐसा है, तो यह उनका पीरियड टाइम है। सुनकर चौंक गए ना। लेकिन महिलाओं की तरह पुरुषों को भी पीरियड आते हैं। हालांकि, जिस तरह एक महिला अपने पीरियड को लेकर अवेयर रहती है, पुरुषों को इस बारे में कुछ पता नहीं होता। आधे से ज्‍यादा पुरुष तो इस बात से भी अंजान होते हैं कि उन्‍हें पीरियड भी आते हैं। उन्‍हें ब्‍लीडिंग नहीं होती और न ही वे महिलाओं की तरह लक्षणों को महसूस करते हैं। उनके पीरियड़ हार्मोन बदलावों से जुड़े होते हैं, जिसमें उनके मूड और व्‍यवहार में अंतर देखने को मिलता है। मेल पीरियड़स को इरीटेबल मेल सिंड्रोम कहते हैं।

IMWOW weight loss program की फाउंडर गुंजन तनेजा ने इंस्‍टाग्राम पर एक वीडियो पोस्‍ट किया है। इसमें उन्‍हाेंने बताया है कि मेल पीरियड्स में एक पुरुष की फिजिकल, साइकोलॉजिकल और और इमोशनल हेल्‍थ प्रभावित होती है। उनके अनुसार IMS में पुरुषों के हार्मोन में उतार-चढ़ाव होता है। जिस तरह महिलाओं को पेट में दर्द होता है, उन्‍हें सिर में दर्द होता है और भूख व नींद भी बहुत ज्‍यादा बढ़ जाती है। जहां महिलाओं के पीरियड 28 दिन में आते हैं, वहीं इनकी हार्मोन साइकिल कुल 24 घंटे की होती है। तो आइए जानते हैं आखिर क्‍या है इरीटेबल मेल सिंड्रोम और यह महीने में कैसे उन्‍हें प्रभावित करता है।

इरिटेबल मेल सिंड्रोम के लक्षण

  • मूड में बार-बार बदलाव होना।

  • चिड़चिड़ापन बढ़ना।

  • थकान होना।

  • लो लिबिडो।

  • लोगों से दूरी बनाना।

  • एकाग्रता में कमी आना।

साल के इस समय होते हैं मेन्‍स पीरियड

जब पुरूषों को पीरियड आते हैं, तब उनका टेस्टोस्टेरोन लेवल बहुत कम होता है। बता दें कि इनका टी लेवल पतझड़ में बढ़ता है और वसंत में आते आते कम हो जाता है। यानी की मार्च, अप्रैल और मई के दौरान लो टेस्‍टोस्‍टेॉन लेवल के कारण पुरूषों में उत्साह की कमी रहती है। उनके मूड में बदलाव के चलते स्‍वभाव में चिड़चिड़ापन, गुस्‍सा और भावनात्मक अस्थिरता देखने को मिलती है।

26 प्रतिशत पुरुषों को महसूस होते हैं लक्षण

पुरुषों को इस बारे में बहुत ज्‍यादा जानकारी नहीं है, लेकिन जब वे हार्मोन इंबैलेंस से गुजरते हैं, तो उन्‍हें महिलाओं के पीरियड की तरह ही थकान,ऐंठन, जैसी दिक्‍कताें का सामना करना पड़ता है। कुछ पुरुषों को तो बहुत दर्द भी होता है। एक अध्ययन के अनुसार, लगभग 26% पुरुष "मैन पीरियड्स" का अनुभव करते हैं।

पुरुषों में हार्मोनल साइकिल

महिलाओं में मेंस्ट्रुअल साइकिल की तरह पुरुषों में हार्मोनल साइकिल होती है। इस दौरान टेस्‍टोस्‍टेरॉन लेवल सुबह ज्‍यादा और रात में कम होता है।

पुरुषों में 10 गुना ज्‍यादा टेस्‍टोस्‍टेरॉन

पुरुषों में भी महिलाओं की तुलना में लगभग 10 गुना ज्‍यादा टेस्टोस्टेरोन होता है, इसलिए उनकी हार्मोनल साइकिल इस बात पर निर्भर करती है कि उनका टेस्टोस्टेरोन उनकी बॉडी को कैसे प्रभावित कर रहा है। एक पुरुष का शरीर एक महिला के शरीर की तरह एस्ट्रोजन और प्रोजेस्टेरोन बनाता है, लेकिन बहुत कम मात्रा में।

कैसे बढ़ता है पुरुषों में टेस्टोस्टेरोन लेवल

एक रिसर्च में यह बात सामने आई है कि एक पुरुष का टेस्टोस्टेरोन तब बढ़ता है जब वह शराब या कैफीन पीता है। वहीं एक्शन फिल्म देखने या किसी ऐसे व्यक्ति को देखने जो उसे यौन रूप से आकर्षक लगता है, वीडियो गेम खेलने या किसी खेल में कॉम्पिटिशन करने के दौरान उसका टेस्टोस्टेरोन लेवल बढ़ने की संभावना ज्‍यादा होती है।

लक्षणों को कैसे मैनेज करे

  • तनाव दूर करने के तरीके तलाशें।

  • स्‍वस्‍थ आहार लें।

  • नियमित रूप से एक्सरसाइज करें।

  • शराब और धूम्रपान से बचे रहें।

  • मूड में बदलाव को पहचानना सीखें ।

  • टेस्टोस्टेरोन लेवल चैक कराते रहें।

  • बहुत ज्‍यादा चीनी वाले फूड आइटम से परहेज करें।

  • कॉग्निटिव बिहेवियर थैरेपी लेने का प्रयास करें।

  • इन सबके अलावा वजन कम कम करने से भी टेस्टोस्टेरोन लेवल बढ़ता है।

विशेषज्ञों के अनुसार लोग मेल पीरियड्स को सीरियसली नहीं लेते, जितना उन्हें लेना चाहिए। टेस्‍टोस्‍टेरॉन का स्‍तर उम्र के साथ कम होता जाता है, जो पुरुषों के बिहेवियर, मेंटेलिटी और सेक्‍स ड्राइव पर गंभीर असर डालता है। अगर आपका टी लेवल कम है, तो क्रीम, पैच, टैबलेट और शॉट्स के जरिए हार्मोन ट्रीटमेंट ले सकते हैं। यह हार्मोन लेवल को बैलेंस करने का सबसे अच्‍छा तरीका है।

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