Conjunctivitis से जुड़े मिथक और फैक्‍ट Syed Dabeer Hussain - RE
हेल्थ एंड फिटनेस

आंखों में देखने भर से फैल जाता है Conjunctivitis, जानिए इससे जुड़े मिथक और फैक्‍ट

कंजंक्टिवाइटिस आंखों में होने वाला संक्रमण है, जो ज्‍यादातर बरसात के मौसम में देखने को मिलता है। आइए जानते हैं इससे जुड़े सामान्‍य मिथक और फैक्‍ट।

Deepti Gupta

हाइलाइट्स :

  • मानसून में बढ़ता है आई फ्लू इंफेक्शन।

  • एक से दो सप्‍ताह में अपने आप ठीक हो जाता है संक्रमण।

  • किसी की आंखों में देखने से नहीं होता कंजंक्टिवाइटिस।

  • कॉन्‍टेक्‍ट लैंस, आई लाइनर शेयर करने से बचें।

राज एक्सप्रेस। मानसून को संक्रमणों का मासैम कहा जाता है। इस मौसम में वॉटर बॉर्न डिजीज तो आम है ही, लेकिन कंजंक्टिवाइटिस का भी खतरा बना रहता है। यह एक तरह का आई फ्लू इंफेक्शन है, जो मानसून में बढ़ता है। इन दिनों एडिनोवायरल कंजंक्टिवाइटिस के मामले ज्‍यादा सामने आ रहे हैं। यह कंजंक्टिवाइटिस का सबसे आम प्रकार है , जिसमें आंख के सफेद हिस्‍से यानी कंजेक्टिवा में सूजन या जलन महसूस होती है। हालांकि, अफसाेस इस बात का है, कि इस स्थिति के बारे में लोगों में अलग-अलग भ्रम फैले हैं , जो न केवल रोग संचरण के जोखिम को बढ़ाते हैं, बल्कि निदान को जटिल बनाने के साथ ही और रोगियों को उपचार लेने से भी रोकते हैं। आइए जानते हैं कंजंक्टिवाइटिस से जुड़े आम मिथक और फैक्ट के बारे में।

मिथक :

कंजंक्टिवाइटिस केवल बच्चों को प्रभावित करता है।

फैक्‍ट :

पिंक आई यानी कंजंक्टिवाइटिस किसी को भी प्रभावित कर सकता है। हालांकि, यह बच्‍चों में आम है। दरअसल, बच्‍चे आंखों को लेकर बहुत ज्‍यादा सावधानी नहीं बरतते। वह अपनी आंखें मलते हें, हाथ ठीक से नहीं धोते । ऐसा करने से कंजंक्टिवाइटिस बच्‍चों में जल्‍दी फैल जाता है। डॉक्‍टर्स के अनुसार, संक्रमण के जोखिम को कम करने के लिए लोगों को अपने आईलाइनर, कॉन्टैक्ट लेंस और कॉन्टैक्ट सॉल्यूशन शेयर करने से भी बचना चाहिए।

मिथक :

संक्रमित की आंखाें में देखने से रोग फैलता है।

फैक्‍ट :

यह सबसे बड़ा भ्रम है, जो लोगों के बीच फैला है। लोगों को यह भी लगता है कि इसलिए लोग कंजंक्टिवाइटिस में काला चश्‍मा पहनते हैं। पर यह सच नहीं है। कोई भी बीमारी संक्रमित आंखों के संपर्क में आने से नहीं फैलती। भले ही फिर वह कंजंक्टिवाइटिस क्‍यों न हो। डॉक्‍टरों के मुताबिक वायरस तभी फैलता है, जब आप संपर्क में आने के बाद अपनी आंखों को छूते हैं।

मिथक :

कंजंक्टिवाइटिस अंधेपन का कारण है।

फैक्‍ट :

कंजंक्टिवाइटिस असुविधाजनक हो सकता है, लेकिन यह अपने आप में बहुत खतरनाक नहीं है। कंजंक्टिवाइटिस के मामले एक से दो सप्ताह में अपने आप पूरी तरह से ठीक हो जाते हैं।

मिथक :

आंखें न रगड़ने से भी कंजंक्टिवाइटिस हो जाता है।

फैक्‍ट :

डॉक्टर्स कहते हैं कि गंदे हाथों से अपनी आंखों को छूने से कंजंक्टिवाइटिस होता है। इसके अलावा किसी भी दूषित पदार्थ के संपर्क में आने से आंखें संक्रमित हो सकती हैं। अगर कॉन्टैक्ट लेंस, मेकअप को भी ठीक तरह से साफ न किया जाए, तो भी कंजंक्टिवाइटिस हो सकता है।

मिथक :

क्या कंजंक्टिवाइटिस लाइलाज है?

फैक्‍ट :

स्वास्थ्य विशेषज्ञों के अनुसार, कंजंक्टिवाइटिस एक हल्का संक्रमण है, जो जल्‍दी ठीक भी हो जाता है। हालांकि, आई ड्रॉप्स की मदद से इस समस्या से राहत मिल सकती है।

कंजंक्टिवाइटिस संक्रामक रोग है। इसे फैलने से रोकने के लिए साबुन और पानी से बार-बार हाथ धोना सबसे अच्‍छा और सुरक्षित तरीका है। बता दें कि यह तरीका केवल लक्षणों को नियंत्रित करने के लिए है, न कि संक्रमण को रोकने के लिए। उम्मीद है, इस संक्रामक रोग के बारे में यहां बताए गए तथ्य, मिथक आपके परिवार के आंखों के स्वास्थ्य को सुरक्षित रखने में मदद करेंगे।

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