डेंगू और मलेरिया स्वास्थ्य के लिए बड़ा खतरा।
दोनों के ज्यादातर लक्षण होते हैं समान।
डेंगू के लक्षण 7 दिन में, तो मलेरिया के 15 दिन के अंदर दिखते हैं।
समय से उपचार न होने पर दोनों ही जानलेवा साबित होती हैं।
राज एक्सप्रेस। देश में डेंगू और मलेरिया के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं। दोनों ही वेक्टर बोर्न डिजीज हैं, जो मच्छरों के काटने से होती हैं। सही इलाज न मिलने पर यह बीमारी व्यक्ति की हालत बिगाड़ सकती है। कई मामलों में तो व्यक्ति की मौत तक हो जाती है। इसलिए हर किसी के लिए लक्षणों के बारे में जागरूक होना और बीमारी को फैलने से रोकने के लिए सावधानी बरतना बेहद जरूरी है। हालांकि, अक्सर लोग इन दोनों के बीच के अंतर को समझ नहीं पाते। क्योंकि दोनों के लक्षण भी लगभग समान होते हैं। लेकिन डेंगू और मलेरिया दोनों ही अलग-अलग बीमारी हैं। यहां दोनों बीमारियों के बीच अंतर को समझाया गया है। इसे आप अपने शरीर को सुरक्षित रख सकते हैं।
जहां डेंगू एडीज एजिप्टी मच्छर के काटने से होता है, वहीं मलेरिया संक्रामक एनोफिलीज मच्छर के कारण होता है। डेंगू को हड्डी तोड़ बुखार भी कहते हैं। इसमें प्लेटलेट काउंट में अचानक गिरावट गंभीर स्वास्थ्य समस्याओं का कारण बनता है। इस बीमारी में लक्षण 3 से 7 दिन बाद दिखाई देते हैं। जबकि मलेरिया के लक्षण दिखने में 7 से 15 दिन का समय लग जाता है। अगर आपको यहां बताए गए लक्षणों में से किसी एक का अनुभव हो, तो लापरवाही किए बिना तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें।
मांसपेशियों में दर्द के साथ बुखार आना।
जोड़ों में दर्द महसूस होना
त्वचा संबंधी समस्याएं।
अचानक वजन घटना।
भूख में कमी।
मतली और दस्त।
एनीमिया, ठंड लगना और पसीना आना मलेरिया के कुछ और लक्षण हैं, जबकि डेंगू में मसूड़ों या नाक में से खून निकलना शुरू हो जाता है।
मलेरिया सीधे रेड ब्लड सेल्स को प्रभावित करता है। वहीं दूसरी तरफ डेंगू आरबीसी के साथ प्लेटलेट को भी प्रभावित करता है। इसमें 1.5 से 4 लाख तक प्लेटलेट काउंट घटकर 20 से 40 हजार ही रह जाता है। मलेरिया और डेंगू के मच्छर पानी में पनपते हैं। दोनों ही बीमारी में मच्छर सुबह और शाम को हमला करते हैं। हालांकि, डेंगू मलेरिया से ज्यादा खतरनाक है। डेंगू में कई बार इंटरनल ब्लीडिंग शुरू हो जाती है। इस स्थिति में प्लेटलेट और ब्लड चढ़ाना पड़ता है। यह बीमारी कई बार मौत का कारण भी बन जाती है। इसलिए डेंगू के मामले में लापरवाही न करते हुए तुरंत मेडिकल हेल्प लेनी चाहिए।
डेंगू बुखार आम तौर पर 3-4 दिनों तक रहता है। लेकिन इसके साइड इफेक्ट लंबे समय तक देखने को मिलते हैं। जबकि मलेरिया का बुखार लगभग 15 दिनों तक रह सकता है। इसमें भी ठीक होने के बाद मरीज को पैरों में दर्द , थकान और कमजोरी महसूस होती है।
दोनों का शुरुआती इलाज एक जैसा होता है। क्योंकि सबसे पहले डॉक्टर शरीर का तापमान नियंत्रित करने की कोशिश करते हैं। इसके लिए एंटीबायोटिक दवाएं दी जाती हैं।
डेंगू में आमतौर पर कोई दवा नहीं दी जाती। लेकिन ज्यादा से ज्यादा तरल पदार्थों का सेवन करना होता है। जबकि मलेरिया में क्लोरोक्वीन और हाइड्रोक्सी क्लोरोक्वीन जैसी कुछ दवाएं हैं, जो डॉक्टर मरीज की हालत को देखकर देते हैं।
डेंगू के लक्षण गंभीर हों, तो दिल में सूजन के साथ निमोनिया की संभावना बढ़ जाती है। जबकि मलेरिया में किडनी और वाइट ब्लड सेल्स पर ज्यादा असर पड़ता है।
डेंगू हो या मलेरिया दोनों से जुड़े जोखिम कारकों को हर कीमत पर नियंत्रित रखा जाना चाहिए। यहां डेंगू और मलेरिया से बचाव के तरीके बताए गए हैं-
अपने आस-पड़ोस में पानी जमा न होने दें।
भोजन और पानी को हर समय कवर करके रखें।
रुके हुए पानी में लार्विसाइडल कीटनाशकों का छिड़काव करें।
सोते समय कमरे में मच्छरदानी, एरोसोलाइज्ड कीटनाशकों का यूज करें।
बरसात के दिनों में फुल आस्तीन के कपड़े पहनें।
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