राज एक्सप्रेस। आज के समय में घुटनों में दर्द होना आम है। पहले यह बढ़ती उम्र के लक्षणों में आता था, लेकिन अब बुजुर्गों के साथ वयस्कों और बच्चों में भी यह समस्या देखी जा रही है। कभी-कभी दर्द होना सामान्य है, लेकिन लंबे समय से होने वाले दर्द के कारण घुटने संवेदनशील हो जाते हैं, जिससे चलने-फिरने में भी परेशानी होती है। अगर घुटनों में चोट लगने या किसी बीमारी के कारण आपसे ठीक से चलते नहीं बन रहा है, तो चलने के तरीके में बदलाव करके कुछ राहत मिल सकती है। विशेषज्ञों के अनुसार, ऑस्टियोआर्थराइटिस के कारण अगर आपके घुटनों में हल्का दर्द रहता है, तो पैदल चलने से जोड़ हिलते हैं और इनमें चिकनाहट आती है। रोजाना पैदल चलने से जकड़न, दर्द और थकान में सुधार होता है। तो चलिए जानते हैं कि जब आपके घुटने संवेदनशील हैं, तो कैसे चलना चाहिए।
फिजियोथेरेपिस्ट डॉ.सोनिया श्रीवास्तव बताती हैं कि घर में लगी टाइल्स घुटनों के दर्द और इसके सेंसिटिव होने का सबसे बड़ा कारण है। टाइल्स चिकनी होती है और चिकनी सतह पर चलने से फ्रिक्शन कम होता है , जिस पर चलने से घुटनों में दबाव ज्यादा पड़ता है। अगर घुटनों को लंबे समय तक ठीक रखना है, तो कोशिश करें कि मिट्टी में चलें। अगर घर में हैं, तो चिकनी सतह पर स्लीपर पहनकर चलने की कोशिश करें। इससे घुटनों पर जोर कम लगेगा।
घुटनों में दर्द वाले लोगों के लिए एक्सपर्ट धीरे-धीरे चलने की सलाह देते हैं। ऐसा इसलिए क्योंकि यह कम प्रभाव वाली गतिविधि है। अगर आपके घुटनों में दर्द है, तो धीरे-धीरे शुरू करें और दिन में करीब 20 मिनट तक टहलें।
चलने से पहले अपने जोड़ों पर गर्माहट लाने से फायदा होगा। अगर आपके जोड़ों में अकड़न और दर्द है, तो काफ और हैमस्ट्रिंग की स्ट्रेचिंग भी बहुत फायदा पहुंचाती है।
अमेरिकन हार्ट एसोसिएशन के अनुसार, आम व्यक्ति को हर दिन 10,000 स्टेप्स चलने चाहिए। लेकिन एक स्टडी के मुताबिक ऑस्टियोआर्थराइटिस वाले लोगों को लोगों को सबसे ज्यादा फायदा तब होता है जब वे हर दिन 6,000 कदम या उससे ज्यादा चलते हैं। कदमों को ट्रेक करने के लिए पेडोमीटर या फिर फोन ऐप का उपयोग किया जा सकता है।
नी ऑथराइटिस वाले लोगों को पैदल चलने के लिए सही जूतों का चुनाव करना चाहिए। ऐसे जूते पहनें, जो पंजों के पीछे के हिस्से ज्यादा ऊपर न हों। कम आर्क वाले जूते एडी और पंजों का बैलेंस बनाए रखते हैं।वहीं हाई हील, नुकीले पंजे और भारी जूतों को पहनने से बचें। बता दें कि 1.5 इंच ऊंची एड़ी भी घुटने के ऑस्टियोआर्थराइटिस को बढ़ा सकती है। इसलिए ऐसी हील्स चुनें जो 0.75 इंच या उससे कम हों।
संवेदनशील घुटनों वाले लोगों को गेट ट्रेनिंग की जरूरत पड़ती है। फिजियोथेरेपिस्ट अक्सर मरीज की स्थिति को देखते हुए इस तकनीक को अपनाते हैं। इसमें चलते समय एड़ी पहले और पंजा बाद में रखना होता है। गेट ट्रेनिंग का सबसे बड़ा फायदा है कि यह चलते समय आपके गिरने की संभावना को कम कर देता है।
अगर आप सुबह बहुत अधिक दर्द या जकड़न महसूस करते है, तो हर आधे घंटे में एक या दो मिनट के लिए उठने और घूमने की कोशिश करें। आप ऐसे समय में लंबी सैर का बेहतर आनंद उठा पाएंगे जब आपको कम दर्द होगा। इससे आपके भीतर कुछ दूर तक पैदल चलने की हिम्मत आएगी।
पैदल चलना फिजिकल एक्टिविटी करने का सबसे अच्छा तरीका है। इससे जोड़ों को स्वस्थ बनाए रखने में मदद मिलती है। अगर संवेदनशील घुटने आपको चलने से रोकते हैं, तो एरोबिक्स, पूल एक्सरसाइज , स्वीमिंग या वॉटर एरोबिक्स करने से बहुत फायदा होगा।
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