राज एक्सप्रेस।अंगदान को महादान भी कहा जाता है, क्योंकि इससे बड़ा और कोई दान नहीं हो सकता है। यह ऐसा दान है, जिसके जरिए हम मौत के बाद भी किसी के काम आ सकते हैं। एक ब्रेन डेड व्यक्ति के दिल, फेफड़े समेत कुल 25 अंग दूसरे जरूरतमंद व्यक्तियों को नया जीवन दे सकते हैं। देश में हर साल कई लोग ऑर्गन फेलियर के चलते अपनी जान गवां देते हैं। ऐसे में अंगदान के जरिए कई लोगों की जिंदगी बचाई जा सकती है। हालांकि अंगदान की संख्या बेहद कम होने के पीछे लोगों में जागरूकता की कमी है। तो चलिए आज हम जानेंगे कि ब्रेन डेड व्यक्ति के ऑर्गन कितने समय में ट्रांसप्लांट किए जा सकते हैं?
अंगदान क्या है?
अंगदान दो तरीकों से किया जाता है। पहला तो यह कि कोई जीवित व्यक्ति अपनी एक किडनी, एक फेफड़ा, लिवर और आंतों का एक हिस्सा दान करके किसी की जिंदगी बचा ले। हालांकि इस स्थिति में करीबी रिश्तेदार को ही अंगदान किया जा सकता है। दूसरा ब्रेन डेड की स्थिति में डोनर के 25 अंग अलग-अलग जरूरतमंद लोगों को दान किए जा सकते हैं। इनके अलावा सामान्य मौत होने पर भी अंगदान किया जा सकता है, लेकिन उस स्थिति में सिर्फ आंखे और त्वचा ही किसी के काम आ सकती है।
ब्रेन डेड क्या है?
दरअसल ब्रेन डेड उस अवस्था को कहते हैं, जिसमें किसी मनुष्य का दिमाग पूरी तरह से काम करना बंद कर देता है। दिमाग में रक्त और ऑक्सीजन की आपूर्ति बंद हो जाती है और वह सांस लेना भी बंद कर देता है। वह बोल नहीं सकता और ना ही शरीर के किसी अंग को हिला सकता है। ब्रेन डेड होने किसी भी व्यक्ति को लाइफ सपोर्ट पर रखा जाता है, जिससे उसके दिमाग को छोड़कर हार्ट, लिवर, किडनी जैसे अंग काम करते रहते है। यानी शरीर जिंदा तो रहता है, लेकिन चेतना जीवित नहीं रहती है। इस स्थिति में व्यक्ति को किसी दर्द का अहसास नहीं होता है। इस अवस्था में मनुष्य के जीवित रहने की सम्भावना शून्य हो जाती है।
कितने समय में किया जा सकता है अंगदान?
डॉक्टर द्वारा किसी मरीज को ब्रेन डेड घोषित करने के बाद डोनर के परिजन अंगदान का फैसला ले सकते हैं। इसके बाद लाइफ सपोर्ट सिस्टम को हटाकर उसके अंग को दूसरे मरीज के शरीर में प्रत्यारोपित किया जाता है। आमतौर पर ब्रेन डेड व्यक्ति के शरीर से निकालने के बाद किडनी 72 घंटे के भीतर दूसरे मरीज के शरीर में ट्रांसप्लांट करना जरूरी होता है। ऐसे ही लिवर निकालने के बाद 24 घंटे, कॉर्निया निकालने के बाद 14 दिन और दिल व फेफड़े 4 से 6 घंटे के भीतर ट्रांसप्लांट करना जरूरी होता है।
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