मिसकैरेज महिला के लिए कठिन समय होता है।
मिसकैरेज के बाद शरीर को ठीक होने में महीनों लग सकते हैं।
इस नुकसान के बाद अपनी भावनाओं को खुलकर व्यक्त करना चाहिए।
स्वीकारें कि आप इस आघात के लिए जिम्मेदार नहीं हैं।
राज एक्सप्रेस। गर्भावस्था में अपने बच्चे को खो देना किसी भी महिला के लिए बड़ा झटका है। गर्भावस्था यानी मिसकैरेज वास्तव में बेहद दर्दनाक अनुभव है। खासतौर से जिन महिलाओं का दो से तीन बार किसी न किसी वजह से मिसकैरेज हो चुका है, वे इस नुकसान से बहुत जल्दी नहीं उबर पातीं। कुछ दिनों पहले मेलबर्न फिल्म फेस्टिवल में बॉलीवुड एक्ट्रेस रानी मुखर्जी ने अपने मिसकैरेज के बारे में बात की। उन्होंने खुलासा किया कि उन्होंने गर्भावस्था के पांच महीने के भीतर अपने दूसरे बच्चे को खो दिया था। रानी मुखर्जी जैसी हजारों महिलाएं अपने बच्चे को खोने के दर्द से जूझती हैं। इस दौरान वे क्रोध, उदासी, चिड़चिड़ापन और अवसाद जैसी भावनाओं का अनुभव भी करती हैं। अगर आपका हाल ही में गर्भपात हुआ है, तो आपके शरीर को पूरी तरह से ठीक होने में समय लग सकता है। यह पूरी तरह इस बात पर निर्भर करता है कि गर्भपात कितने महीने का था।
संयुक्त राष्ट्र की वर्ल्ड पॉपुलेशन रिपोर्ट 2022 के मुताबिक भारत में हर दिन असुरक्षित गर्भपात से जुड़े कारणों की वजह से लगभग 8 महिलाएं मौत का शिकार होती हैं। असुरक्षित गर्भपात भारत में मातृ मृत्यु दर की तीसरी बड़ी वजह बन गई है। गायनाकोलॉजिस्ट डॉ.सीमा गुप्ता का कहना है कि गर्भपात से जूझने वाली हर महिला धीरे-धीरे इस दुख से बाहर निकलने की कोशिश कर सकती हैं। इससे उन्हें फिर से फैमिली प्लानिंग शुरू करने में आसानी होगी। यहां बताए गए तरीकों की मदद से जानिए कि आप गर्भपात के दुख से कैसे बाहर निकल सकती हैं।
बहुत सी महिलाओं को ऐसा लगता है कि गर्भपात के बाद उन्हें चुपचाप और अकेले रहना चाहिए। मगर यह गलत है। अपनी भावनाओं को छुपाना और किसी से व्यक्त न करना अवसाद के खतरे को बढ़ा सकता है। अगर आपने गर्भपात के बारे में अपने दोस्तों या परिवार में किसी को नहीं बताया है, या आप किसी से इस बारे में बात करने में असहज महसूस कर रही हैं, तो ऐसे लोगों से बातचीत करें, जिन्होंने पहले कभी गर्भपात का अनुभव किया हो। इससे आप समझ जाएंगी कि ऐसा अनुभव करने वाली आप अकेली मां नहीं हैं।
हर महिला के लिए अपने बच्चे को खोने का दुःख सबसे बड़ा होता है। लेकिन इससे उभरने के लिए उन्हें खुद को थोड़ा समय देना चाहिए। माना कि यह दुख रातों रात दूर नहीं हो सकता, लेकिन कई चीजों में खुद को शामिल करके आप इस स्थिति से उभर सकती हैं। हालांकि, कुछ महिलाएं गर्भपात के तुरंत बाद एक और चांस लेने का प्रयास करती हैं। मगर आप तैयार नहीं हैं, तो इंतजार करें। क्योंकि भले ही आप शारीरिक रूप से सक्षम हों, लेकिन नई गर्भावस्था के लिए अभी भी आपको मानसिक रूप से तैयार होने में काफी समय लगेगा।
गर्भपात के बाद महिलाओं में काफी कमजोरी आ जाती है। उनकी लाइफस्टाइल भी पहले जैसी नहीं रहती। ऐसे में अगर किसी महिला ने खाना खाना बंद कर दिया हो, या नींद न आने की शिकायत हो, तो शारीरिक तनाव से उबरना और भी मुश्किल साबित होता है। इसलिए जितना संभव हो, खान-पान और अच्छी नींद लेने पर ध्यान दें। इसके अलावा कुछ अन्य तरीकों से भी आप अपने मन को शांत कर सकती हैं। मानसिक स्वास्थ्य को ठीक रखने के लिए टहलना और जॉगिंग करना गर्भपात के दुख से बाहर निकलने के अच्छे विकल्प है।
जो महिलाएं अपना बच्चा खो चुकी हैं, वह उसे याद कर कर के रोये नहीं, बल्कि उनकी याद को बनाए रखने के तरीके ढूंढें। आप उनके सम्मान में एक पेड़ लगा सकती हैं या किसी को दान दे सकती हैं। ऐसा करने से उनका दर्द काफी हद तक कम हो जाएगा और उन्हें स्वीकारने में आसानी होगी कि अब उनका बच्चा इस दुनिया में नहीं है। अब उन्हें आगे बढ़ना है।
गर्भपात मेरी गलती है- यही सोच एक महिला को इस स्थिति से बाहर निकलने नहीं देती। ज्यादातर महिलाएं गर्भपात के लिए खुद को जिम्मेदार मानने लगती हैं। उन्हें ऐसा लगता है, जो कुछ हुआ, वह उनकी गलतियों का नतीजा है। ऐसा सोचने के बजाय याद रखें कि गर्भपात आपकी गलती नहीं है। पहली तिमाही में आधे से अधिक गर्भपात क्रोमोसोमल असामान्यताओं के कारण होते हैं। इन पर आपका जोर नहीं चल सकता था। यह सोचें कि नुकसान आपके नियंत्रण से बाहर था।
जो लोग गर्भपात की भावनाओं से जूझ रहे हैं, उनमें अवसाद या चिंता के लक्षण दिखाई देते हैं। ऐसे में एक डॉक्टर लक्षणों की पहचान कर इसके लिए ट्रीटमेंट शुरू कर सकता है। गर्भपात का दुःख दर्दनाक होता है, लेकिन किसी प्रोफेशनल की मदद से आप अपनी भावनाओं पर काबू पा सकती हैं।
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