जुड़वा बच्चों को स्तनपान कराना चुनौतीपूर्ण काम है।
जुड़वा बच्चों को ब्रेस्टफीड कराने के लिए नर्सिंग पिलो खरीदें।
हर बच्चे को स्तन बदलकर दूध पिलाएं।
स्तनपान कराते वक्त लैचिंग पर ध्यान दें।
राज एक्सप्रेस। क्या आपने भी जुड़वा बच्चों को जन्म दिया है। यह खुशी की बात है, लेकिन अब आपकी जिम्मेदारी दोगुना बढ़ गई है। साथ ही आपको कुछ परिस्थितियों का भी सामना करना पड़ सकता है। आमतौर पर सबसे ज्यादा जो दिक्कत आती है वो है जुड़वा बच्चों को स्तनपान कराने की। नई मां रातभर दोनों बच्चों को स्तनपान कराते कराते थकावट से चूर हो सकती है। कुछ माओं के तो बेस्टफीडिंग कराने में आंसू निकल जाते हैं, क्योंकि उनके ब्रेस्ट में दो बच्चों लायक पर्याप्त मिल्क नहीं बनता, जिससे बच्चे भूखे रह जाते हैं। जहां एक बच्चे की देखभाल इतनी मुश्किल होती है, तो जरा सोचिए कि जुडवां बच्चों को एक जैसा ट्रीटमेंट देना कितना मुश्किल टास्क होता होगा। अगर आप भी जुड़वा बच्चों के साथ अपनी ब्रेस्ट फीडिंग जर्नी को आसान बनाना चाहती हैं तो यहां दिए गए टिप्स को फॉलो करें।
नवजात शिशुओं को 24 घंटे हर दो से तीन घंटे में कुछ खाने की जरूरत होती है। जिसमें हर 24 घंटे में आठ से 12 सेशन होते हैं। एक महीने तक, वे धीरे-धीरे कम होकर लगभग सात से नौ सेशन रह जाते हैं। अमेरिकन एकेडमी ऑफ पीडियाट्रिक्स एक ही समय में जुड़वा बच्चों को दूध पिलाने की सलाह देती है। इसलिए अगर आपका एक बच्चा भूखा है, तो उसके साथ दूसरे को भी खाना खिलाएं। इससे समय की बचत होती है और अलग-अलग समय पर उनकी देखभाल करने की तुलना में उन पर नज़र रखना भी आसान हो जाएगा।
यह इस बात से पता चल सकता है कि उनका कितना वजन बढ़ रहा है। नवजात शिशु आमतौर पर 2 सप्ताह के होने तक अपने जन्म के वजन का 5 से 10 प्रतिशत वजन कम कर लेते हैं। उन्हें जन्म के पांचवें दिन तक हर दिन आधा औंस से एक औंस वजन बढ़ना शुरू कर देना चाहिए। इसके अलावा अगर आपके बच्चे दूध पिलाने के बीच एक से तीन घंटे तक संतुष्ट दिखते हैं, तो इसका मतलब है कि उन्हें पर्याप्त भोजन मिल रहा है।
गायनाकोलॉजिस्ट डॉ. सीमा गुप्ता के अनुसार, ब्रेस्टफीडिंग कराने के लिए नर्सिंग पिलो बेस्ट ऑप्शन होते हैं। ये बच्चे को स्तनपान कराना काफी आसान बना देते हैं। ये खासतौर से जुड़वा बच्चों के लिए डिज़ाइन किए जाते हैं। इससे बच्चों को सही स्थिति में रखने में आसानी होती है। अगर आपके पास नर्सिंग पिलो नहीं है, तो आप दो नॉर्मल पिलो या रोल्ड टॉवेल का उपयोग कर सकते हैं।
एक मां के लिए दो जुड़वा बच्चों को दूध पिलाना वास्तव में मुश्किल टास्क है। फिर भी अपने काम को आसान बनाने के लिए हर बच्चे को दूध पिलाते समय स्तनों को बदलते रहें। ताकि दोनों स्तनों में बराबर मात्रा में दूध बन सके और आ सके।
अगर फिर भी आपको अपने दोनों बच्चों को स्तनपान कराने में दिक्कत आ रही है, तो टेंशन न लें। आप एक को बोतल से दूध पिला सकते हैं और दूसरे को ब्रेस्टफीडिंग करा सकते हैं। जरूरी यह है कि आपके बच्चों का पेट भरा है और वे स्वस्थ रहें।
स्तनपान कराते समय लैचिंग पर ध्यान देना जरूरी है। लैचिंग का मतलब है कि स्तनपान कराने से आपका शिशु दूध पीने के लिए आपके स्तन से चिपक जाता है। मतलब कि ज्यादा स्तनपान कराने से निपल्स में दर्द या दरार हो सकती है। इसलिए अगर आपको अपने निपल्स में बहुत ज्यादा कोमलता महसूस हो रही है, तो दर्द को कम करने के लिए लैनोलिन क्रीम का उपयोग करना बेहतर है।
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