इंदौर, मध्यप्रदेश। कोरोना काल के बाद लोगो में हाई ब्लड प्रेशर की शिकायते बढ़ रही है। जिन लोगों को कोरोना हुआ है उनमे ये बीमारी ज्यादा देखी जा रही है। ऐसा रेनिन सिस्टम के कारण हो रहा है जो कि किडनी पर प्रभाव डालता है। यह कहना है शहर के इंटरनेशनल कॉर्डियोलॉजिस्ट डॉ.सिद्वांत जैन और कार्डिक सर्जन डॉ. मोहम्मद अली का। उन्होंने वर्ल्ड हाइपरटेंशन डे (17 मई ) के मौके पर चर्चा करते हुए कहा कि हमारे देश में लगभग 80 मिलियन लोग हाई ब्लड प्रेशर के शिकार हैं ये संख्या पूरे यूनाइटेड किंगडम की जनसंख्या से भी कहीं ज्यादा है। देश में पांच में से एक व्यक्ति हाई ब्लड प्रेशर की बीमारी से ग्रसित है।
आधे से ज्यादा को पता ही नहीं कि उन्हें बीपी है :
डाक्टर्स ने आगे बताया कि कोरोना बीमारी से ग्रसित हो चुके लोगो में बीपी बढ़ने के लक्षण साफ देखे जा रहे है। जो चिंताजनक है। जिन लोगो को कोरोना हो चुका है उन्हे अपना बीपी नियमित चेक कराना चाहिए। सरकारी आंकड़ो के मुताबिक 2014 में भारत में ग्रामीण क्षेत्रो में 25 प्रतिशत और शहरी क्षेत्र में 42 प्रतिशत लोगो को हाइपरटेंशन की शिकायत है। दुखद बात ये है कि इनमे आधे से ज्यादा लोगो को पता ही नहीं है कि वे हाइपरटेंशन के शिकार है। जिन्हे पता है वो नियमित दवा ही नहीं लेते है। उन्होने कहा कि हाइपरटेंशन के मामले शरीर में अन्य बीमारियों को भी जन्म दे रहे हैं। एक शोध के अनुसार हाई ब्लड प्रेशर के मरीजों में कोविड के कारण मृत्यु का रिस्क लगभग दोगुना होता है। ऐसे मरीजों को सलाह दी जाती है कि वे रोजाना व्यायाम करें और तनाव से खुद को दूर रखें सकारात्मक रहने के लिए ध्यान योग आदि का सहारा लें।
डिजीटल बीपी मशीन पर नहीं करें आंख बंद कर भरोसा :
ब्लड प्रेशर के मरीजों को डिजीटल मशीन पर आंख बंद करके भरोसा नही करना चाहिए। समय समय पर मरकरी मशीन से क्रास जांच करना भी जरुरी होता है। ज्यादातर लोग डिजीटल मशीनों से बीपी जांच कराकर निश्चिंत हो जाते है जो कि गलत है। बीपी मशीन को हर छह महीने या आवश्यकता अनुसार आथोराईज्ड डीलर के यहां मरकरी मशीन से केलीब्रेशन कराना जरुरी होता है। इस केलीब्रेशन से पता चलता है कि मशीन सही परिणाम दे रही है या नहीं। गलत परिणाम मरीज के लिए नुकसान दायक हो सकता है। यह कहना है शहर के वरिष्ठ हृदय रोग विशेषज्ञ डॉ. राकेश जैन का। उन्होंने वर्ल्ड हाइपरटेंशन डे के मौके पर आयोजित अवेयरनेस कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा। उन्होंने कहा कि कम उम्र के लोगों में हाई बीपी की शिकायत होना ठीक नहीं है। कामकाज के दबाव और संतुलित दिनचर्या, जंक फूड का उपयोग, सिगरेट व शराब का सेवन इसका एक सबसे बड़ा कारण है। आईसीएमआर के रिपोर्ट के हिसाब से केवल 28 प्रतिशत लोगों को ही अपनी बीमारी के बारे में पता है और सिर्फ 15 प्रतित लोग ही उसका इलाज ले रहे हैं। कुल बीमारों का 12.50 प्रतिशत लोगों का बीपी ही नियंत्रण में है । हाई बीपी से बचने के लिए 7 से 8 घंटे की नींद भी जरूरी है।
जांच नहीं करवाने के कारण बढ़ रहा खतरा :
हाइपरटेंशन एक ऐसी बीमारी है जो धीरे-धीरे इंसान को मौत के मुंहाने पर लाकर खड़ा कर देती है और उसे पता भी नहीं चलता। ब्लड प्रेशर की जांच समय पर नहीं करने के कारण बीमारी इतनी बढ़ जाती है कि मरीज की जान बचाना भी मुश्किल हो जाती है। ब्लड प्रेशर की जांच करवाने के प्रति लापरवाही का अंदाजा इस बात से भी लगाया जा सकता है कि जिन्हें डायबिटीज है वो भी नियमित जांच नहीं करवाते। हालात ऐसे हैं कि नियमित रूप से दवाई लेने वाले डायबिटिक मरीजों में से 23 प्रतिशत को यह पता ही नहीं है कि उन्हें हाइपरटेंशन है जो उनके हार्ट, ब्रेन, लिवर, किडनी और आंखों को खराब कर रहा है। यह कहना है शहर के डायबिटोलॉजिस्ट डॉ. भरत साबू का। अपने एक महत्वपूर्ण सर्वे के परिणामों के आधार पर उन्होंने यह जानकारी दी। इंदौर, जबलपुर, गुवाहाटी, हैदराबाद, लखनऊ, अहमदाबाद, जयपुर सहित देश के 9 शहरों में सर्वे करवाया। यह सर्वे 'इंडिया एपिडेमियोलॉजिकल मेपिंग स्टडी' विषय पर किया गया और खास बात यह है कि इसे 'यूरोपियन काँग्रेस ऑफ एंडोक्राइनोलॉजी' में स्थान दिया गया है। इसमें कुछ चौंकाने वाले परिणाम निकले कि डायबिटीज, बीपी के मरीज अपनी जांच करवाने के नाम पर घोर लापरवाही बरत रहे हैं और अंदाजन ही दवाइयां ले रहे हैं। सर्वे का सार यह है कि अगर हम समय पर जांच करवाएं तो कई मरीजों की जान बचाकर व्यक्तिगत, सामाजिक और राष्ट्रीय नुकसान को कम किया जा सकता है।
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