बेटों से भी पीरियड्स के बारे में बात करें।
पीरियड्स को लेकर लड़कों की सोच बदलना जरूरी है।
प्यूबर्टी को समझाने से करें शुरुआत।
इन दिनों में लड़कियों की केयर करने की समझाइश दें।
राज एक्सप्रेस। हम सभी कहते हैं कि पीरियड्स लड़कियों का मुद्दा है। इसलिए सिर्फ उनसे ही इस बारे में बात करनी चाहिए। घर में अगर बेटा है, तो उसे इस विषय में जानने की कोई जरूरत नहीं है। आखिर उसे क्या करना है ये जानकर। पर ऐसा नहीं है। आजकल लड़की हो या लड़का, सभी को समान एजुकेशन की जरूरत है। वैसे तो जिन लड़कों के घरों में उनकी मम्मी या बहनें होती हैं, वे इन चीजों को धीरे-धीरे समझने लगते हैं, बाकी उन्हें इंटरनेट या फिर अपने दोस्तों से पता चल ही जाता है। लेकिन हो सकता है कि उन्हें गलत जानकारी मिले या वो इसके बारे में कुछ समझ ही न पाए। गायनाकोलॉजिस्ट डॉ.सीमा गुप्ता कहती हैं कि पीरियड्स के बारे में लड़कों से बात करना पैरेंटिंग का ही हिस्सा है। बल्कि बेटियों से पहले बेटों को पीरियड्स के बारे में बताया जाना चाहिए। हालांकि, यह थोड़ा अजीब होगा, लेकिन खुली बातचीत करने से उन्हें यह समझने में मदद मिलती है कि पीरियड सामान्य हैं, स्वस्थ हैं और लड़कियों को इनसे शर्मिंदा नहीं होना चाहिए। खासतौर से बेटा यंग है, तो उसके मन में लड़कियों की बॉडी को लेकर कई तरह के सवाल आते हैं, उसे कहीं से गलत जानकारी मिले, बेहतर है कि आप उससे सीधी बातचीत करें। पर कैसे, जानने के लिए पढ़ें हमारा ये आर्टिकल।
हमारे समाज में आज भी पीरियड्स को अशुद्ध माना जाता है। कई जगह तो लोग आज भी महिलाओं के पीरियड्स आने पर उन्हें छूना पाप मानते हैं। ऐसे माहौल में लड़कों से इस मुद्दे पर संवेदनशीलता की उम्मीद करना बेवकूफी है। आज समय अब बदल गया है। पीरियड को लेकर लड़कों की सोच बदलना जरूरी है। ताकि वह अपनी दोस्त, पार्टनर, बहन या मां की समस्या को बेहतर ढंग से समझ सकें। इसलिए एक मां को बेटी ही नहीं बल्कि बेटे को भी इस मामले में एजुकेट करना चाहिए।
हम समझते हैं कि यंग होते बटे से पीरियड्स के बारे में बात करना अजीब लग सकता है, लेकिन घबराएं नहीं। इसकी शुरुआत बेटे को प्यूबर्टी के बारे में समझाने से करें। यही समय है जब आप उन्हें पीरियड्स के बारे में बता सकते हैं। उनसे पूछें कि क्या उन्हें इसके बारे में कोई जानकारी है। अगर हां, तो पहले जानें कि वे इस बारे में क्या और कितना जानते हैं। इसके बाद आप उनसे कुछ बातें शेयर करें जैसे लड़कों की तरह लड़कियों को भी प्यूबर्टी होती है, जिसमें लड़कियों के शरीर में भी बदलाव आते हैं। ताकि वह आगे चलकर एक बच्चे को जन्म दे सके।
बेटे को उन प्रोडक्ट्स से परिचित करा सकते हैं, जिनका उपयोग एक लड़की अपने पीरियड के दौरान करती है, जैसे पैड, टैम्पोन, पीरियड पैंट और मेंस्ट्रुअल कप। कई लड़कों को पैड खरीदना बड़ा अजीब लगता है, उनकी झिझक खोलने के लिए उन्हें अपने साथ शॉपिंग पर ले जाएं और उनके सामने प्रोडक्ट खरीदें। घर आने पर उसे इनका यूज करना भी सिखाएं।
बेटे से पीरियड के लक्षणों के बारे में बात करनी चाहिए। उन्हें बताएं कि लड़कियों को पीरियड से पहले सिरदर्द, ऐंठन और सूजन का अनुभव होता है। उसे बताएं कि एक लड़की भी अपने पीरियड्स से पहले संवेदनशील महसूस कर सकती है, ऐसा सिर्फ उसके बदलते हार्मोन के कारण हो सकता है।
स्पष्ट और संक्षिप्त में बात करें। यूट्रस और वजाइना जैसे शब्द उनके लिए नए हैं, तो उन्हें इनका मतलब समझाएं।
बताएं कि यदि वो किसी लड़की की स्कर्ट पर स्पॉट देखें , तो कमेंट करने के बजाय उसकी मदद करें।
उसे बताएं कि ऐसी किसी भाषा का उपयोग न करें, जो अनजाने में पीरियड्स को गंदा बनाती हो।
गलत शब्दों का उपयोग न करते हुए साफ साफ शब्दों में बताएं कि पीरियड्स और पैड क्या होता है।
सवालों के जवाब देने से ना बचें। उनकी उत्सुकता को दूर करने के लिए बेस्ट जवाब दें।
समझाएं कि लड़के और लड़कियों के लिए प्यूबर्टी के दौरान एक-दूसरे की भावनाओं का ध्यान रखना जरूरी है।
उसे बताएं कि पीरियड्स के बारे में मजाक करना या किसी लड़की के बैग में पैड या टैम्पोन देखकर उसे चिढ़ाना व्यवहार करने का अच्छा तरीका नहीं है।
बताएं कि पीरियड भी शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य जितना ही जरूरी है। इसलिए इस मुद्दे को इग्नोर नहीं करना चाहिए।
पीरियड्स से जुड़ी ये बातें बेटों को कम उम्र में ही बता दी जाएं, तो भविष्य में वो इन दिनों में महिलाओं को सही ढंग से हैंडल कर सकते हैं। इसके अलावा वे पीरियड्स से जुड़ी बातों को लेकर भ्रमित भी नहीं होंगे और इन दिनों में अपनी दोस्त, बहन या पार्टनर की केयर ठीक से कर पाएंगे।
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