गेहूं की नई किस्म है काला गेहूं।
मध्यप्रदेश में उगाया जाता है यह गेहूं।
सामान्य गेहूं की तुलना में कीमत बहुत ज्यादा है।
दिल, ब्लड प्रेशर, वेटलॉस और कैंसर में फायदेमंद है।
राज एक्सप्रेस। हम रोजाना सुनहरे या भूरे रंग के गेहूं से बने आटे की रोटियां खाते हैं। इसे खाने से शरीर में मौजूद फैट और कैलोरी तेजी से बर्न होती है। लेकिन इन दिनों गेहूं की एक नई किस्म लोगों के बीच काफी पॉपुलर हो रही है। कई लोगाें ने तो इसे अपनी डाइट का हिस्सा भी बना लिया है। हम बात कर रहे हैं काले गेहूं की। जी हां, सोशल मीडिया पर काले गेहूं को लेकर एक पोस्ट वायरल हुई थी। पोस्ट में बताया गया है कि गेहूं की नई किस्म सात साल के शोध के बाद तैयार की गई है और इसमें कैंसर और डायबिटीज जैसी स्वास्थ्य समस्याओं को ठीक करने के गुण हैं। न्यूट्रिशन एक्सपर्ट रचना श्रीवास्तव बताती हैं कि काले गेहूं की कीमत सामान्य गेहूं से कहीं ज्यादा है, फिर भी इसके फायदों को देखते हुए लोग इसका सेवन कर रहे हैं। खासतौर से शुगर पेशंट के लिए यह बहुत फायदेमंद है, क्योंकि इसमें शुगर की मात्रा न के बराबर है। तो आइए जानते हैं क्या हैं काला गेहूं खाने के फायदे।
गेहूं की इस नई किस्म का पता भारत के बायो टेक्नोलॉजी संस्थान ने लगाया था। इसका उत्पादन 2017 में नेशनल एग्रो फूड बायोटेक्नोलॉजी इंस्टीट्यूट यूनिवर्सिटी , मोहाली में किया गया। बता दें कि काले गेहूं की खेती पंजाब, हरियाणा, उत्तरप्रदेश, छत्तीसगढ़ और मध्यप्रदेश में होती है। हालांकि, भूरे रंग के गेहूं की तुलना में ये कम उपज देती है, इसलिए किसान इसे उगाने से बच रहे हैं।
ऐसा इसमें एथोसाइनिन की अलग-अलग स्टेज के कारण होता है। एंथोसायनिन वो पिगमेंट हैं, जो फलों और सब्जियों का रंग निर्धारित करते हैं। इन रंगों का कंसंट्रेशन खाद्य पदार्थ का रंग निर्धारित करता है। बता दें कि सामान्य गेहूं में एंथोसायनिन की मात्रा 5 पीपीएम होती है, जबकि काले गेहूं में एंथोसायनिन की मात्रा लगभग 100-200 पीपीएम होती है। इसलिए वैज्ञानिक दृष्टि से काला गेहूं हेल्दी ऑप्शन है। दोनों में जिंक और आयरन लेवल भी अलग-अलग होता है। कहा जाता है कि काले गेहूं में सामान्य गेहूं की तुलना में लगभग 60 प्रतिशत ज्यादा आयरन होता है, जबकि प्रोटीन, पोषक तत्व और स्टार्च की मात्रा समान रहती है।
काला गेहूं डायबिटीज वालों के लिए बहुत फायदेमंद है। काले गेहूं की रोटी खाने से ब्लड शुगर लेवल मेंटेन रहता है। क्योंकि इसमें शुगर की मात्रा बहुत कम होती है। रोजाना काले गेहूं की रोटी खाने से डायबिटीज का खतरा भी बहुत कम रहता है।
अमेरिकन जर्नल औफ क्लीनिकल न्यूट्रिशन में पब्लिश हुए 2010 की एक रिसर्च के अनुसार, काले गेहूं में बीपी को कम करने के गुण हैं। इससे हृदय रोग , स्ट्रोक और दिल से जुड़ी बीमारियों का खतरा भी कम रहता है। बात अगर साबुत अनाज की करें, तो काला गेहूं बेहतर है।
कोलोरेक्टल कैंसर के मरीजों को काले गेहूं खाने की सलाह दी जाती है। ऐसा इसमें मौजूद फाइबर की अच्छी मात्रा के कारण है। फाइबर पेट के पाचन तंत्र को मजबूत बनाता है। इसके सेवन से कैलोरी की मात्रा में कमी आती है, जो कैंसर जैसे जोखिम को कम करने में मदद करती हैं।
दिल की बीमारियों के लिए जिम्मेदार है ट्राइग्लिसराइड। इसका लेवल बढ़ने ये धमनियां ब्लॉक हो जाती हैं, जिस वजह से दिल से जुड़ी बीमारियां, हाई ब्लड प्रेशर और ब्लड शुगर लेवल बढ़ने का खतरा बना रहता है। लेकिन काला गेहूं मैग्नीशियम से भरपूर है, जो बॉडी में कोलेस्ट्रॉल लेवल को बढ़ने नहीं देता, बल्कि इसे नॉर्मल बनाए रखता है।
काले गेहूं में प्रोटीन, आयरन और मैग्नीशियम की अच्छी मात्रा पाई जाती है। यह हमारी बॉडी में हीमोग्लाेबिन को बढ़ाकर खून की कमी को दूर करता है। एनीमिया वाले लोगों को इसके आटे से बनी रोटियां फायदा पहुंचा सकती हैं।
काले गेहूं में फाइबर की मात्रा बहुत ज्यादा, जो शरीर के लिए अनुकूल नहीं।
काले गेहूं में लैक्टिन पाया जाता है, जो निमोनिया के लिए जिम्मेदार है।
काले गेहूं को जरूरत से ज्यादा मात्रा में खाने पर एसिडिटी की समस्या हो सकती है।
इसमें ब्लू डायमंड नाम का प्रोटीन होता है, जो नुकसानदायक है।
न्यूट्रिशन एक्सपर्ट रचना श्रीवास्तव कहती हैं कि आप सफेद आटे की तरह ही काले आटे की रोटी बनाकर खा सकते हैं। चाहें, तो इसका दलिया या फिर हलवा बनाकर खाएं। जो लोग ब्रेकफास्ट में इसे शामिल करना चाहते हैं, वे इसका दलिया बनाकर खाएंगे, तो चार से पांच घंटे तक पेट भरा रहेगा और कुछ भी अनहेल्दी खाने से बच जाएंगे।
ताज़ा समाचार और रोचक जानकारियों के लिए आप हमारे राज एक्सप्रेस वाट्सऐप चैनल को सब्स्क्राइब कर सकते हैं। वाट्सऐप पर Raj Express के नाम से सर्च कर, सब्स्क्राइब करें।