लड़कियों की पहली हार्मोनल स्टेज प्यूबर्टी है।
8-13 साल की उम्र में लड़कियों में होते हैं शारीरिक बदलाव।
यह वही समय है, जब मेंस्ट्रुअल साइकिल की शुरुआत होती है।
स्वस्थ आदतों पर ध्यान देना जरूरी।
राज एक्सप्रेस। बेटियों का बचपन कब बीत जाता है पता नहीं चलता। एक उम्र ऐसी आती है, जब उनका शरीर कई बदलावों से गुजरता है। इसे कहते हैं प्यूबर्टी। प्यूबर्टी लड़कियों की पहली हार्मोनल स्टेज है। आमतौर पर लड़कियों में 8 से 13 की उम्र के बीच प्यूबर्टी की शुरुआत होती है। इस दौरान लड़कियां कई स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं का भी अनुभव करती हैं, जिसके बारे में वो अपने पैरेंट़स को भी बताने से हिचकती हैं। लेकिन यह ऐसा समय है, जब उन्हें शरीर पर बहुत ज्यादा ध्यान देने की जरूरत होती है। अगर आप एक बेटी के माता-पिता हैं, तो आपको प्यूबर्टी के संकेत जानने चाहिए। साथ ही बेटी को भी युवावस्था के दौरान स्वस्थ आदतों के बारे में बताना चाहिए।
प्यूबर्टी यानी यौवन तब शुरू होता है, जब मास्तिष्क का एक क्षेत्र हाइपोथैलेमस रिलीजिंग हार्मोन का स्राव शुरू करता है। यौवन की अवस्था हर किसी के लिए अलग होती है। इस दौरान लड़कियां अपने परिवार के बजाय दोस्तों के साथ रहना और उनसे बातें शेयर करना ज्यादा पसंद करती हैं।
स्तन में वृद्धि होना।
शरीर के विभिन्न क्षेत्रों में बाल उगना।
हाइट बढ़ना।
पेल्विक बोन्स की ग्रोथ होना।
चेहरे पर मुंहासे।
मासिक धर्म की शुरुआत।
मूड और आवाज के स्वर में बदलाव।
प्यूबर्टी के शुरू होने पर लड़कियों को बैलेंस्ड डाइट लेनी चाहिए। खासतौर से उनकी प्लेट फल और सब्जियाें से भरी हो। इनमें कई ऐसे पोषक तत्व होते हैं, जो शरीर में हो रहे बदलावों को मैनेज करने में मदद करते हैं।
यौवन आते ही शरीर में कई तरह की समस्या हो सकती हैं, जिनमें से डिहाइड्रेशन भी एक है। इससे बचने के लिए दिनभर में खूब पानी पीना चाहिए।
यौवन के दौरान खासतौर से पर्सनल हाइजीन पर ध्यान देना बहुत जरूरी है। ऐसा इसलिए, क्योंकि इस समय शरीर में कई हार्मोन्स का उत्पादन होता है, जिसे शरीर में पसीना, गंध और तेल की मात्रा बढ़ सकती है। इससे बचने के लिए विशेषज्ञ हर दिन नहाने, कपड़े बदलने और डियोड्रेंट का उपयोग करने की सलाह देते हैं।
8-13 वर्ष की उम्र में लड़कियों को पर्याप्त नींद की जरूरत होती है। यह उनकी शारीरिक और भावनात्मक सेहत को दुरुस्त रखती है। नींद जितनी अच्छी होगी, मस्तिष्क और शरीर का विकास उतना ही स्वस्थ तरीके से होगा।
लड़कियां एक्सरसाइज को अपने डेली रूटीन का हिस्सा बनाएं। इससे शरीर की मांसपेशियां मजबूत होती है। साथ ही चिंता और तनाव से भी राहत मिलती है।
हालांकि, आज भी तमाम पैरेंट़स इस बात पर ध्यान नहीं देते, लेकिन प्यूबर्टी आने के बाद समय समय पर बॉडी चैकअप जरूर कराना चाहिए। इस समय लड़कियों में स्तन के आकार और शरीर के वजन से जुड़ी कई समस्याएं देखने को मिलती हैं, जिन पर शुरुआत में ही काबू पा लेना चाहिए। डॉक्टर हर 6 महीने में बॉडी चेकअप कराने की सलाह देते हैं।
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