स्वस्थ शरीर के लिए फेफड़ों का स्वस्थ होना जरूरी।
विटामिन K की कमी से अस्वस्थ होते हैं फेफड़े।
आहार में शामिल करें विटामिन-के से भरपूर हरी पत्तेदार सब्जियां।
ब्रोकोली, पालक विटामिन K का बेहतरीन स्त्रोत।
राज एक्सप्रेस। स्वस्थ रहने के लिए शरीर के हर अंग का ठीक से काम करना जरूरी है। इनमें से एक है हमारे फेफड़े। पिछले कुछ दशकों में प्रदूषण, खराब लाइफस्टाइल, आहार, धूम्रपान के अलावा कई हानिकारक तत्वों के चलते फेफड़ों से जुड़ी बीमारियों का जोखिम बढ़ा है। जिसमें अस्थमा जैसी बीमारी भी शामिल है। कोरोना महामारी के कारण इस अंग पर कई नकारात्मक प्रभाव भी देखे गए हैं। यही वजह है कि अब लोगों ने फेफड़ों के स्वास्थ्य पर ध्यान देना शुरू कर दिया है। अगर आप भी सोच रहे हैं कि अपने फेफड़ों को कैसे स्वस्थ रखा जा सकता है, तो हाल ही में ERJ Open Research जर्नल में पब्लिश हुई एक स्टडी में इसका समाधान दिया गया है। स्टडी के मुताबिक हरी पत्तेदार सब्जियां जैसे ब्रोकोली और पालक फेफड़ों की सेहत के लिए फायदेमंद साबित होती हैं। इनमें न केवल फाइबर बल्कि कुछ ऐसे पोषक तत्व भी मौजूद हैं, जो फेफड़ों के संक्रमण को कम करने के लिए जाने जाते हैं।
विटामिन K को फेफड़ों का ऑक्सीजन कहा जाता है। हार्वर्ड स्कूल ऑफ पब्लिक की वेबसाइट, न्यूट्रिशन सोर्स के अनुसार, विटामिन K हमारे ब्लड के लिए बहुत जरूरी है। वेजिटेबल ऑयल और अनाजों में पाया जाने वाला विटामिन K शरीर के घावों को भरने, रक्त के थक्के जमने के लिए जरूरी प्रोटीन बनाने के साथ ही स्वस्थ हड्डियों के निर्माण में भी मदद करता है। रिसर्चर्स के अनुसार, जिन लोगों में विटामिन K का स्तर कम होता है, वे सीओपीडी, घरघराहट और अस्थमा से पीड़ित होते हैं। कहने का मतलब है कि विटामिन K की कमी फेफड़ों के स्वास्थ्य को प्रभावित करती है।
हेल्दी हरी सब्जियों में पालक और ब्रोकोली को सुपरफूड्स का दर्जा मिला हुआ है। रिसर्चर्स के मुताबिक विटामिन K की कमी को पूरी करने के लिए अपने आहार में पालक, ब्रोकोली, ब्रुसेल्स स्प्राउट्स, पत्ता गोभी, फूलगोभी, वेजिटेबल ऑयल और अनाज को शामिल करना जरूरी है। पालक में विटामिन K की मात्रा बहुत ज्यादा होती हे। देखा जाए, तो यह आयरन से भी ज्यादा समृद्ध सब्जी है। वहीं ब्रोकोली भी विटामिन के से भरपूर है। इसे ब्लड क्लॉटिंग की प्रक्रिया के लिहाज से मददगार माना जाता है।
नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ हेल्थ के अनुसार, 19 वर्ष और उससे ज्यादा उम्र के लोगों को पर्याप्त मात्रा में विटामिन K का सेवन करना चाहिए। पुरुषों के लिए प्रतिदिन 120 एमसीजी और महिलाओं और गर्भवती या स्तनपान कराने वाली महिलाओं काे 90 एमसीजी रोजाना लेना चाहिए।
घाव का जल्दी ठीक न होना।
हल्की चोट लगने पर ज्यादा खून बहना।
मामूली चोट का बड़ा घाव बन जाना।
बोन डेंसिटी का कम होना।
महिलाओं में ज्यादा मासिक धर्म होना।
नाखून के नीचे छोटे-छोटे रक्त के थक्के जमना।
अगर आप फेफड़ों से जुड़े रोग के खतरे को कम करना चाहते हैं, तो शरीर में विटामिन K की कमी न होने दें। अपने आहार में पालक, ब्रोकोली और हरी पत्तेदार सब्जियां शामिल करें। ये न केवल विटामिन K से भरपूर होती हैं, बल्कि भविष्य में अस्थमा, ब्रोंकाइटिस जैसी बीमारियों से भी बचा सकती हैं।
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