कहीं आप भी तो नहीं करते Dengue से जुड़ी इन अफवाहों पर यकीन.....! Raj Express
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कहीं आप भी तो नहीं करते Dengue से जुड़ी इन अफवाहों पर यकीन.....!

डेंगू एक भयावह स्थिति है। समय पर ध्यान न दिया जाए, तो लोग अपनी जान तक गंवा देते हैं। डेंगू को लेकर लोगों ने कई भ्रम पाल रखे हैं, जिसे यहां दूर किया गया है।

Deepti Gupta

हाइलाइट्स :

मानसून में डेंगू का खतरा सबसे ज्‍यादा।

मादा मच्‍छर एडीज एजिप्टी के काटने से फैलती है ये बीमारी।

डेंगू का मच्‍छर दिन के अलावा रात में भी काट सकता है।

सभी उम्र के लोगों को प्रभावित करता है डेंगू।

राज एक्सप्रेस। मानसून के आते ही डेंगू का खतरा बढ़ जाता है। इसलिए लोगों को इस दौरान ज्‍यादा सुरक्षित रहने की सलाह दी जाती है। दरअसल, डेंगू एक वेक्‍टर बॉर्न डिजीज है। जो DENV नामक वायरस और मादा मच्‍छर एडीज एजिप्टी के काटने से फैलती है। देखा जाए, तो इसका कोई इलाज नहीं है। लेकिन लक्षणों को नियंत्रित जरूर किया जा सकता है। बता दें कि इसके लक्षण 5-6 दिन बाद विकसित होते हैं। खैर, इस स्थिति से जुड़े कई मिथक हैं , जिनका समाधान करना बेहद जरूरी है। डेंगू को लेकर लोग कहीं सुनी बातों पर भरोसा करने लगे हैं, जो असल में सच नहीं है। तो चलिए जानते हैं डेंगू से जुड़े मिथक और फैक्‍ट के बारे में।

मिथक-1 :

डेंगू किसी भी मच्छर के काटने से फैल सकता है।

तथ्‍य :

नहीं, जिस तरह मलेरिया केवल मादा एनाफिलीज मच्छर से फैलता है, उसी तरह डेंगू भी केवल मादा एडीज एजिप्टी मच्छर के काटने से फैलता है। इतना ही नहीं, ऐसा तभी संभव है जब मच्छर DENV या डेंगू वायरस से संक्रमित हो।

मिथक-2 :

डेंगू गंदी जगह पर रहने वाले लोगों को प्रभावित करता है।

तथ्‍य :

यह सच नहीं है। दरअसल, मच्छरों के लार्वा रुके हुए पानी में ही पनपते हैं और रुका हुआ पानी या जलभराव ज्‍यादातर स्‍लम एरियाज में देखने को मिलता है। बता दें कि साफ और हानिरहित पानी के तालाब भी लार्वा पैदा कर सकते हैं। यह तालाब पॉश एरिया में रह रहे लोगों के घर के पास भी हो सकते हैं।

मिथक-3 :

डेंगू का मच्छर केवल दिन में ही काटता है।

तथ्‍य :

एडीज एजिप्टी मच्छर दिन में भोजन करते हैं। इसका मतलब यह है कि भोजन के लिए दिन के समय बाहर निकलते हैं। इसलिए ज्‍यादातर मामले दिन के समय होते हैं। हालांकि, शाम या रात को डेंगू से संक्रमित होने के मामले भी सामने आए हैं।

मिथक 4 :

डेंगू केवल बुजुर्गों और बच्चों को होता है।

तथ्‍य :

युवाओं के बीच सबसे आसान मिथक है कि मच्‍छर उन्‍हें नहीं काटेंगे। केवल बुजुर्ग या बच्चे ही इसकी चपेट में आते हैं। यह सच नहीं है। डेंगू किसी भी उम्र के लोगों को प्रभावित कर सकता है। युवाओं की इम्‍यूनिटी बुजुर्गों और बच्‍चों की इम्‍यूनिटी के मुकाबले स्‍ट्रांग होती है, इसलिए मच्‍छर के काटने का असर युवाओं पर कम और इन लोगों पर बहुत जल्‍दी होता है।

मिथक-5 :

डेंगू मच्छर गहरे रंग के कपड़े पहनने वाले लोगों को काटता है।

तथ्‍य :

लोगों में यह भ्रम है कि डेंगू का मच्‍छर गहरे रंग के कपड़े पहनने वालों को ही काटता है। पर यह सच नहीं है। दरअसल, होता यह है कि मच्छर कार्बन-डाइऑक्साइड और गर्मी की तरफ ज्‍यादा आकर्षित होता है। गहरे रंग के कपड़े शरीर के तापमान को बढ़ा सकते हैं। इसलिए लोगाें को यह सच लगने लगा है।

मिथक-6 :

डेंगू एक मामूली स्थिति है।

तथ्‍य :

डेंगू का संक्रमण 2 प्रकार का होता है- क्‍लासिकल यानी हल्का डेंगू और डीएचएफ (Dengue Haemorrhagic Fever) यानी गंभीर डेंगू। गंभीर संक्रमण के मामलों में मरीज को हड्डी तोड़ वाला दर्द और तेज़ बुखार होता है। अगर लक्षणों पर जल्द काबू नहीं पाया गया तो स्थिति घातक भी हो सकती है। डेंगू से संक्रमित लगभग 20 में से 1 व्यक्ति का संक्रमण गंभीर रूप ले लेता है। जिससे तेज बुखार, के साथ प्लेटलेट काउंट काफी कम हो जाते हैं। प्लेटलेट काउंट नहीं बढ़ने की स्थिति में मरीज की मौत भी हो सकती है।

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