गर्भावस्था के दौरान स्तन कैंसर विकसित हो सकता है।
3000 में से 1 महिला को होता है प्रेग्नेंसी में ब्रेस्ट कैंसर।
गांठ या सूजन, ब्रेस्ट कैंसर के लक्षण।
प्रेग्नेंसी में मेमोग्राम कराना सेफ है।
राज एक्सप्रेस। हाल ही में ब्रेस्ट कैंसर से बाल-बाल बची एक मां ने महिलाओं से आग्रह किया है कि गर्भावस्था में हो रहे शारीरिक बदलावों को लेकर सतर्क रहें और नियमित जांच कराएं। रोइसिन पेलन गर्भवती थी। उन्हाेंने अपने बाएं स्तन पर एक गांठ देखी। उसे बहुत राहत मिली, जब डॉक्टर ने इस लक्षण को इग्नोर कर बताया कि यह प्रेगनेंसी के कारण शरीर में हो रहा बदलाव है। हालांकि, रोइसिन को संदेह महसूस हुआ और उन्होंने गूगल पर लक्षण के बारे में सर्च किया, तो उसमें भी बताया कि ऐसा होना नॉर्मल है। 2014 में गर्भावस्था के दौरान गांठ का साइज दो सप्ताह में बढ़ता गया। जांच कराने पर पता चला कि उन्हें ब्रेस्ट कैंसर है। उस समय 32 साल की रोइसिन 34 सप्ताह की गर्भवती थीं। हालांकि, बच्चे के जन्म के बाद कीमोथेरेपी हुई। लेकिन दुर्भाग्य से कैंसर 2018 में वापस आ गया। डॉक्टर ने फिर मेस्टेक्टोमी का दर्द बताकर घर भेज दिया। लेकिन कुछ दिनों बाद उसके कॉलरबोन के नीचे एक बड़ी गांठ का पता चला। वह कहती हैं कि क्या होता अगर डॉक्टर की बात मानकर इसे नॉर्मल समझ लिया जाता। आमतौर पर महिलाएं स्तन कैंसर के लक्षणों को गर्भावस्था और स्तनपान के दौरान होने वाले बदलाव का रूप समझ लेती हैं। लेकिन ध्यान रखें कि वक्त रहते इन पर ध्यान दिया जाए, तो ज्यादातर कैंसर ठीक हो सकते हैं। आइए जानते हैं गर्भावस्था में ब्रेस्ट कैंसर कितना आम है और क्या हैं इससे बचने के तरीके।
अमेरिकन कैंसर सोसाइटी के अनुसार, गर्भावस्था के दौरान स्तन कैंसर आम नहीं है। हर 3,000 गर्भवती महिलाओं में से किसी 1 को प्रभावित करता है। यह गर्भावस्था के दौरान पाया जाने वाला सबसे आम प्रकार का कैंसर है। अगर आपको अपने स्तनों में कोई गांठ दिखती है या कोई बदलाव दिखाई देता है जो आपके लिए चिंता का विषय है, आपको तुरंत डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए। यदि स्तन कैंसर का संदेह हो तो गर्भवती महिला को कई तरह के टेस्ट करवाने पड़ सकते हैं।
गर्भावस्था के दौरान हार्मोन के स्तर में बदलाव के कारण स्तनों में कई तरह के बदलाव होते हैं। इस दौरान स्तन बड़े, गांठदार या फिर या कोमल हो सकते हैं। इससे आपका डॉक्टर कैंसर के कारण होने वाली गांठ को तब तक नोटिस नहीं कर सकता, जब तक कि वह काफी बड़ी न हो जाए। गर्भावस्था के दौरान स्तन कैंसर का जल्दी पता लगाना कठिन होने का एक और कारण यह है कि कई महिलाएं गर्भावस्था के बाद मैमोग्राफी से ब्रेस्ट कैंसर का टेस्ट कराना बंद कर देती हैं।
गांठ।
एक तरफ सूजन महसूस होना।
निप्पल या ब्रेस्ट पोर्शन में लालपन
निप्पल से अलग तरह से डिस्चार्ज निकलना।
निप्पल का अंदर की तरफ मुड़ना।
आर्मपिट में गोल सा उभार।
अगर आपको अपने स्तनों में कोई गांठ या अन्य परिवर्तन दिखाई देता है, तो इग्नोर नहीं करना चाहिए। स्तन में किसी भी तरह के परिवर्तन की जांच कराना बेहद जरूरी है। आप बायोप्सी भी करा सकते हैं। जरूरी हो तो इमेजिंग टेस्ट का उपयोग किया जा सकता है। आमतौर पर स्तन का अल्ट्रासाउंड या फिर मैमोग्राम किया जा सकता है।
बता दें कि गर्भावस्था के दौरान मैमोग्राम कराना सुरक्षित माना जाता है। मैमोग्राम के लिए जरूरी रेडिएशन की मात्रा कम होती है और रेडिएशन स्तनों पर फोकस होता है, इसलिए इसका ज्यादातर हिस्सा शरीर के अन्य हिस्सों तक नहीं पहुंच पाता। ज्यादा सेफ्टी के लिए रेडिएशन को गर्भ तक पहुंचने से रोकने के लिए पेट के निचले हिस्से पर एक सीसा ढाल लगाया जाता है। फिर भी, रेडिएशन की थोड़ी मात्रा भ्रूण तक पहुंच सकती है। इसका भ्रूण पर कोई प्रभाव होता है या नहीं, विशेषज्ञ इसे लेकर स्पष्ट नहीं है।
ब्रेस्ट का अल्ट्रासाउंड कराने के लिए रेडिएशन का यूज नहीं किया जाता। इसलिए गर्भावस्था के दौरान यह सुरक्षित माना जाता है। यह स्तनों में हो रहे बदलावों को देखने के लिए प्राइमरी टेस्ट होता है।
एमआरआई में भी रेडिएशन का उपयोग नहीं किया जाता । हालांकि, स्तन एमआरआई के लिए इमेजेस को प्राप्त करने के लिए गैडोलीनियम नामक एक कंट्रास्ट मटेरियल को ब्लड में इंजेक्ट करने की जरूरत पड़ती है। इसलिए डॉक्टर प्रेग्नेंसी में एमआरआई कराने की सलाह नहीं देते।
स्तन कैंसर कभी भी मां से भ्रूण तक नहीं फैलता। लेकिन कुछ दुर्लभ मामलों में, कैंसर को प्लेसेंटा तक पहुंचते देखा गया है। इससे भ्रूण को मां से मिलने वाले पोषण की मात्रा प्रभावित हो सकती है।
गर्भावस्था के दौरान, एक महिला के शरीर में अनगिनत परिवर्तन होते हैं, जिनमें स्तन भी शामिल हैं। हालांकि इस दौरान आपके शरीर में होने वाले परिवर्तन पूरी तरह से सामान्य हैं, फिर भी अपने स्वयं के स्वास्थ्य और आपके लिए क्या सामान्य है, इसके बारे में जागरूक होना महत्वपूर्ण है।
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