हेल्थ के लिए अनसेफ हैं टेफ्लॉन कुकवेयर।
हो जाता है हार्मोन इंबैलेंस।
इंफर्टिलिटी को मिलता है बढ़ावा।
मिट्टी, कांच या स्टेनलेस स्टील के बर्तन में पकाएं खाना।
राज एक्सप्रेस। आजकल की मॉडर्न किचन में नॉनस्टिक और टेफ्लॉन कोटिंग वाले कुकवेयर होना आम है। ये देखने में तो सुंदर होते हैं, साथ ही इनमें खाना बनाया जाए, तो झटपट बनने के साथ कभी जलता नहीं है। यानी की कुकिंग के लिहाज से सेफ और समय बचाने वाले हैं । पर आपकी हेल्थ का क्या। क्या आपको लगता है कि नॉन स्टिक बर्तन आपकी हेल्थ के लिए सही हैं। हमने कई भारतीय किचन में देखा है कि कुछ समय बाद इन बर्तनों से कोटिंग हटने लगती है और स्क्रैच पड़ जाते हैं। इसके बावजूद भी लगातार इनकार इस्तेमाल खाना पकाने के लिए किया जाता है। इस तरह के टूटे फूटे बर्तन शरीर को कई तरह से नुकसान पहुंचाते हैं। न्यूट्रिशन एक्सपर्ट जूही कपूर ने इंस्टाग्राम पर एक वीडियो शेयर किया है। इसमें उन्होंने बताया है कि नॉन स्टिक बर्तन कैसे हमारे शरीर को प्रभावित कर रहे हैं। साथ ही उन्होंने इसके विकल्पों के बारे में भी बात की है।
एक्सपर्ट बताती है कि कुकिंग के दौरान बर्तन की कोटिंग निकलती है, तो खाना बनाते और खाते समय हमारे शरीर तक पहुंच जाती है। इन बर्तनों में बनाया गया खाना आपके शरीर में जाकर एंडोक्राइन डिसरप्शन यानि हार्मोनल इंबैलेंस की समस्या खड़ी कर सकता है। पीसीओएस, पीरियड पेन, थायरॉइड, हार्मोनल इंबैलेंस इसी का नतीजा है।
कई स्टडीज ने नॉन स्टिक और इंफर्टिलिटी के बीच कनेक्शन दिखाया है । यूसीएलए की एक स्टडी से पता चला है कि जिन महिलाओं के ब्लड में पीएफसी PERFLUROCHEMICAL का लेवल हाई होता है, उनमें इंफर्टिलिटी डायग्नोज होने की संभावना दोगुनी होती है।
इस तरह के जोखिमों को कम करने के लिए एक्सपर्ट सलाह देती हैं कि नॉन-स्टिक बर्तनों पर स्क्रैच पड़ने के बाद उनका इस्तेमाल बिल्कुल न करें। क्योंकि स्क्रैच से आतंरिक परत में मौजूद टेफ्लॉन खाने के जरिए हमारे शरीर तक पहुंच जाता है। ये स्लो पॉइजन की तरह काम करता है। हेल्थ रिलेटेड प्रॉब्लम को कम करने और हाई टेंपरेचर पर खाना पकाने के लिए स्टेनलेस स्टील, मिट्टी या आयरन के कुकवेयर का उपयोग करना अच्छा ऑप्शन है।
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