भगवान कृष्ण को बेहद प्रिय है माखन मिश्री।
मिश्री और चीनी में है बड़ा अंतर।
मिश्री नेचुरल स्वीटनर, जबकि चीनी मीठी होती है।
डायबिटीज वालों को सीमित करना चाहिए मिश्री का सेवन।
राज एक्सप्रेस। माखन मिश्री न केवल प्रसाद के रूप में ग्रहण किया जाता है, बल्कि लोग इसका रोजाना सेवन भी करते हैं। क्योंकि यह सेहत के लिए फायदेमंद है। जब मिश्री उपलब्ध न हो, तो कई लोग माखन के साथ शक्कर यानी चीनी का उपयोग कर लेते हैं। पर क्या आपको पता है कि मिश्री चीनी से बिल्कुल अलग होती है। दोनों का स्वाद ही नहीं, बनाने का तरीका भी बहुत अलग है। इन्हें खाने से शरीर पर असर भी अलग तरह से होता है। चीनी को रिफाइंड किया जाता है, जबकि मिश्री को चीनी का सबसे शुद्ध रूप मानते हैं। ऐसे बहुत सी चीजें हैं, जो चीनी और मिश्री को स्वाद ही नहीं, बल्कि लाभों के मामले में भी अलग बनाती हैं। तो चलिए जानते हैं चीनी से कैसे अलग है मिश्री।
मिश्री एक प्रकार की रॉक कैंडी है, जो पलमायरा ताड़ के पेड़ के रस से बनाई जाती है, जिसे "पाम कैंडी" या "पालमायरा गुड़" भी कहते हैं। भारत और दक्षिण पूर्व एशिया के कई हिस्सों में इसका बहुत उपयोग किया जाता है। मिरी एक पॉपुलर नेचुरल स्वीटनर भी है। मिश्री का स्वाद अलग होता है, यह शुद्ध होती है और इसकी शेल्फ लाइफ लंबी होती है। चीनी एक मीठा, सफ़ेद, क्रिस्टलीय पदार्थ है, जो गन्ने से प्राप्त होता है। इसे इन पौधों से रस निकालकर और फिर इसे गर्म करके पानी निकाल कर एक गाढ़ा सिरप बनाकर बनाया जाता है। फिर इस सिरप को दानेदार चीनी बनाने के लिए क्रिस्टलाइज्ड किया जाता है। बेकिंग, कुकिंग और पेय पदार्थों को मीठा करने के लिए चीनी का इस्तेमाल किया जा सकता है।
मिश्री सफेद चीनी की तुलना में कम संसाधित होती है।
चीनी आम तौर पर एक महीन, सफेद पाउडर होता है। जबकि मिश्री एक छोटा क्रिस्टल है।
चीनी का उपयोग कई मीठे व्यंजनों को बनाने के लिए होता है, जबकि लोग मुख्य रूप से भारतीय मिठाइयों, डेसर्ट और आयुर्वेदिक औषधीय में मिश्री का उपयोग करते हैं।
दोनों में कैलोरी और पोषण सामग्री समान है। हालांकि, चीनी की तुलना में मिश्री ज्यादा शुद्ध और अनरिफाइंड होती है।
मिश्री की तासीर ठंडी होती है जबकि चीनी की तासीर गर्म होती है।
आयुर्वेद के अनुसार मिश्री शरीर में वात और पित्त दोष को संतुलित करती है, लेकिन चीनी से ऐसा कोई लाभ नहीं होता है।
मिश्री तीन प्रकार की होती है। धागे वाली, मशीन द्वारा बनाए क्रिस्टल और बिना धागे वाली। आयुर्वेद के अनुसार, ज्यादा लाभ लेने के लिए धागे वाली मिश्री का उपयोग करना चाहिए। यह मिश्री का पारंपरिक रूप है। यह चीनी की तुलना में थोड़ी ज्यादा स्वास्थ्यवर्धक है।
मिश्री को रॉक शुगर के नाम से जाना जाता है, यह गन्ने के पौधे से मिलने वाला प्राकृतिक रूप से मीठा पदार्थ है। ये केमिकल फ्री है और चीनी का सबसे शुद्ध रूप भी। अगर डायबिटीज से पीड़ित व्यक्ति मिश्री वाले किसी भी व्यंजन का सेवन करता है, तो उसे ग्लाइसेमिक इंडेक्स पर ध्यान देना चाहिए। जीआई वैल्यू के अनुसार, डायबिटीज से पीड़ित लोग कम ग्लाइसेमिक इंडेक्स वाले खाद्य पदार्थों का सुरक्षित रूप से सेवन कर सकते हैं। उन्हें हाई जीआई यानी 70 और उससे ज्यादा वाले खाद्य पदार्थों से बचना चाहिए। मिश्री का जीआई 65 होता है, इसलिए डायबिटीज वाले लोगों को मिश्री का सेवन सीमित करना चाहिए, क्योंकि यह भी चीनी का एक रूप है।
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