स्वास्थ्य के लिए नुकसानदायक है जंक फूड।
कोलंबिया ने बनाया जंक फूड लॉ।
खाद्य पदार्थों पर लगेगा टैक्स।
सप्ताह में एक बार से भी कम खाएं जंक फूड।
राज एक्सप्रेस। भारत में जंक फूड का क्रेज बहुत ज्यादा बढ़ गया है। छोटे हो या बड़े सभी तला, भुना, अधपका खाने के लालच में अनहेल्दी चीजों का सेवन कर रहे हैं। यूनिसेफ की एक रिपोर्ट के मुताबिक भारत में वयस्क किसी न किसी रूप में अस्वस्थ खा रहे हैं, जिससे कुपोषण जैसी समस्याएं बढ़ती जा रही हैं। हमारे आहार में जंक फूड का दायरा इतना बढ़ चुका है कि भारत में 25 प्रतिशत से ज्यादा वयस्क सप्ताह में एक बार भी हरी पत्तेदार सब्जियों का सेवन नहीं करते। नतीजा वे बीमारियों की चपेट में आ रहे हैं। भारत सरकार का इस मुद्दे पर ध्यान नहीं है, लेकिन कोलंबिया में जंक फूड को लेकर कानून बनाया गया है। कोलंबिया इस तरह का कानून लागू करने वाला दुनिया का पहला देश बन गया है। आइए जानते हैं क्यों पड़ी इसकी जरूरत।
जंक फूड के सेवन से डायबिटीज, ब्लड प्रेशर, थायराइड जैसी लाइफस्टाइल डिजीज बढ़ रही हैं। ऐसे में यह कानून इन बीमारियों से निपटने में मदद कर सकता है।
इस कानून का उद्देश्य अल्ट्रा प्रोसेस्ड फूड पर लगाम लगाना है। द गार्जियन की रिपोर्ट के अनुसार, प्रभावित खाद्य पदार्थों पर अतिरिक्त टैक्स 10% से शुरू होगा, जो अगले साल बढ़कर 15% हो जाएगा और 2025 में 20% तक पहुंच जाएगा। हेल्थ पॉलिसी वॉच वेबसाइट की रिपोर्ट के अनुसार, टैक्स में ऐसे अल्ट्रा-प्रोसेस्ड फूड हैं, जिनमें ज्यादा चीनी, नमक और सैचुरेटेड फैट , सॉसेज, अनाज, जेली और जैम, प्यूरी, सॉस और मसाला शामिल हैं।
इस कानून को बनाने का दूसरा कारण है कोलंबियाई डाइट। कोलम्बियाई डाइट में सोडियम की मात्रा ज्यादा होती है, जो स्ट्रोक और हार्ट फेलियर जैसी हृदय संबंधी समस्याओं को बढ़ाती है। यह बीमारियां सालाना लगभग एक चौथाई मौतों का कारण बनती हैं। अनुमान के मुताबिक एक कोलंबियाई व्यक्ति हर दिन 12 ग्राम नमक खाता है, जो लैटिन अमेरिका में सबसे ज्यादा है। गार्जियन की रिपोर्ट कहती है कि देश में लगभग एक तिहाई वयस्कों को हाई ब्लड प्रेशर की समस्या है।
गार्जियन की रिपोर्ट में आगे लिखा गया है कि कोलंबिया चीनी या सैचुरेटेड फैट से भरपूर खाद्य पदार्थों पर हेल्थ वॉर्निंग भी दे रहा है। खास बात यह है कि टैक्स उन्हीं प्रोडक्ट पर लागू होगा जिन पर हेल्थ वॉर्निंग का लेबल लगा होगा।
जंक फूड स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है। ये बहुत ज्यादा प्रोसेस्ड होते हैं और इनमें ऊर्जा, नमक, चीनी और फैट की मात्रा ज्यादा होती है। जबकि पोषक तत्व, विटामिन और मिनरल बहुत कम होते हैं।
ज्यादातर 'फ़ास्ट फ़ूड' जंक फ़ूड कैटेगरी में आते हैं। 2019 में पब्लिश एक स्टडी में पाया गया कि खराब आहार से ग्लोबल लेवल पर तंबाकू की तुलना में ज्यादा लोगों की मौत होती है। द वाशिंगटन पोस्ट के अनुसार, जंक फूड में हाई क्वालिटी वाली डाइट लेने से मोटापा, पाचन संबंधी समस्याएं, हृदय रोग और स्ट्रोक, अवसाद, टाइप 2 डायबिटीज और कैंसर का खतरा बढ़ जाता है और इससे जल्दी मौत भी हो सकती है।
कई स्टडीज के रिव्यू में चेतावनी दी गई है कि सप्ताह में एक से अधिक बार फास्ट फूड खाने से मोटापे का खतरा बढ़ सकता है। वाशिंगटन पोस्ट की रिपोर्ट के अनुसार, जो लोग सप्ताह में दो बार से ज्यादा फास्ट फूड खाते हैं, उनमें मेटाबोलिक सिंड्रोम, टाइप 2 डायबिटीज और कोरोनरी हार्ट डिजीज से मृत्यु का जोखिम बहुत ज्यादा होता है। वहीं जो लोग हर सेचुरेटेड फूड खाते हैं उनमें स्ट्रोक का जोखिम सात गुना बढ़ जाता है।
अब सवाल यह है कि जब जंक फूड इतना अनहेल्दी है तो हम इससे परहेज क्यों नहीं करते? आईएएनएस की रिपोर्ट के अनुसार, हमें जंक फूड खाने की इच्छा नींद की कमी, तनाव, पोषक तत्वों की कमी और यहां तक कि हार्मोनल असंतुलन के कारण होती है।
वाशिंगटन पोस्ट की रिपोर्ट में बताया गया है, यदि आप वास्तव में जंक फूड खाना चाहते हैं, तो बेहतर होगा कि आप इसे सप्ताह में एक बार से कम खाएं और फिर अपना सप्ताहभर स्वस्थ और पौष्टिक भोजन खाएं।
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