राज एक्सप्रेस। मोटापा, इंसानी शरीर की एक ऐसी अवस्था जो बहुत सी बीमारियों का केंद्र बताई जाती है। मोटापा ना ही केवल शारीरिक तौर पर अस्वस्थ है बल्कि मानसिक तौर पर भी इंसानी दिमाग को थकान के साथ बहुत सी जान लेवा परेशानी भी देता है। इसी से निपटने के लिए विश्व मोटापा संघ (World Obesity Federation) का गठन साल 2014 में किया गया था। यह संघ हर एक या दो साल में विश्व में बढ़ रही मोटापे की बीमारी पर एक रिपोर्ट जारी करता हैं। इस साल भी उन्होंने ऐसी ही रिपोर्ट जारी कर बताया है कि साल 2035 तक विश्व की 51% जनता यानी 4 बिलियन लोग मोटापे से ग्रसित होने वाले है। आइए जानते इस रिपोर्ट के बारे में और जानते है क्या है भारत की मोटापे को लेकर वर्तमान स्तिथि...
क्या है विश्व मोटापा संघ? (World Obesity Federation)
इस संघ की शुरआत साल 2014 में की गई थी। यह संघ विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) और संयुक्त राष्ट्र (UN) सहित मोटापे पर वैश्विक एजेंसियों का एक प्रमुख भागीदार हैं। यह वर्तमान में इकलौता संघ है जो विश्व स्तर पर मोटापे को खत्म करने और उस पर जागरूकता फैलाने का कार्य कर रहा है। इस संघ ने साल 2015 में 11 अक्टूबर को विश्व मोटापा दिवस की शुरुआत की थी लेकिन साल 2020 में इसे बदलकर 4 मार्च कर दिया गया था। इस संघ का उद्देश्य मोटापे को प्रभावी रूप से रोकने और प्रबंधित करने के लिए अनुसंधान, शिक्षा और नीति के माध्यम से दुनिया और समुदायों को वैश्विक मोटापे से संबंधित लक्ष्यों को प्राप्त करने में मदद करना है। इस साल 4 मार्च को उन्होंने विश्व में बढ़ते मोटापे को लेकर विश्व मोटापा एटलस (World Obesity Atlas) नाम की रिपोर्ट जारी करी है।
विश्व मोटापा संघ द्वारा प्रकाशित रिपोर्ट के अनुसार, दुनिया की आधी से ज्यादा आबादी यानी 51 प्रतिशत (4 बिलियन) से अधिक, लोग साल 2035 तक अधिक वजन या मोटापे से ग्रसित हो जाएंगे, इसका अनुमान लगाया गया हैं। दुनिया भर में 2.6 बिलियन लोग यानी विश्व जनसंख्या का 38 प्रतिशत 2020 में अधिक वजन या मोटापे से ग्रस्त थे। अनुमान लगाया जा रहा है कि विश्व में मोटापे का प्रतिशत जो 2020 में 14 प्रतिशत था, वह 2035 में बढ़कर 24 प्रतिशत तक हो जाएगा।
रिपोर्ट के अनुसार, 5 से 19 साल की आयु वाले युवाओं में सबसे अधिक वृद्धि देखने को मिल सकती है। अनुमानित है कि मोटापे की दर लड़कों में 10 से 20 प्रतिशत और महिलाओं में दुगनी तेज़ी यानी 8 से 18 प्रतिशत तक बढ़ सकती है। रिपोर्ट में चेतावनी दी गई कि विश्व में मोटापे से निपटने के लिए यदि कोई रोकथाम उपचार या सहायता में सुधार नहीं किया, तो विश्व पर आर्थिक प्रभाव साल 2035 तक 4 ट्रिलियन डॉलर हो जाएगा जो 2020 में कोरोनावायरस के आर्थिक नुकसान के भी बराबर होगा।
सबसे अधिक मोटापे की दर वाले देश
रिपोर्ट के अनुसार, दक्षिण पेसिफिक महासागर के देश में मोटापे की दर सबसे अधिक है जैसे कि किरिबाती (Kiribati) और टोंगा (Tonga) अनुमानित 2035 मोटापे की दर 67% पर दुनिया में अग्रणी हैं, इसके बाद समोआ (Samoa) 66%, फ्रेंच पोलिनेशिया (French Polynesia) 65% और माइक्रोनेशिया (Micronesia) 64% पर है। अमेरिका 58% की दर के साथ शीर्ष पर काबिज हैं। सबसे कम अनुमानित मोटापे की दर एशिया में पाई जाती है, जिसमें वियतनाम (Vietnam) 7%, उसके बाद जापान 8%, सिंगापुर 9% और भारत और बांग्लादेश दोनों 11% हैं।
विश्व में बढ़ते मोटापे का कारण
रिपोर्ट के अनुसार, अत्यधिक संसाधित पश्चिमी शैली के भोजन की बढ़ती वैश्विक लोकप्रियता विश्व में बढ़ते मोटापे का सबसे बड़ा कारण बन रहा है। इसके अलावा तथाकथित ओबेसोजेन या बिस्फेनॉल ए (बीपीए) जैसे रासायनिक प्रदूषक हैं जो अंतःस्रावी विघटनकर्ताओं (Endocrine Disrupter) के रूप में कार्य करते हैं जो प्लास्टिक, खाद्य पैकेजिंग, घरेलू सामान, पेंट, सौंदर्य प्रसाधन और बहुत कुछ में पाए जाते हैं। रिपोर्ट में यह भी चिंता जताई गई है कि लगभग हर देश मोटापे की बीमारी से ग्रसित है लेकिन किसी भी देश ने अब तक मोटापे की दर में गिरावट की जानकारी नहीं दी है।
भारत सरकार की स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय द्वारा किए राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण (NFHS) द्वारा 5 फरवरी 2023 में दिए गए डाटा के अनुसार, भारत में महिलाओं में 16 महिलाओं में से 1 और पुरूषों में 25 पुरुषों में से 1 व्यक्ति मोटापे से ग्रस्त है। NFHS द्वारा दिए डाटा के अनुसार पिछले 15 सालो में भारत के लोग तेजी से मोटे होते जा रहे है। सर्वेक्षण के अनुसार, भारत में महिलाओं में मोटापे की दर पुरुषों के मुकाबले में ज्यादा तेजी से बढ़ रही हैं, जिसका अर्थ यह है कि भारत में 1/4 औरते मोटापे से ग्रस्त हैं। सर्वेक्षण के अनुसार 15 से 49 साल की आयु वाली महिलाओं में 6.4 प्रतिशत और पुरुषों में 4 प्रतिशत मोटापे से ग्रस्त है। अधिक वजन और मोटापे में वृद्धि का प्रमुख कारण ऊर्जा के सेवन और ऊर्जा के व्यय के बीच एक दीर्घकालिक असमानता है जो अंततः वजन बढ़ने का कारण बनती है। चीनी-मीठे पेय पदार्थ और प्रोसेस्ड भोजन जैसे उच्च-ऊर्जा-घने खाद्य (High-Energy-Dense Food) पदार्थों का सेवन भारत के शहरों में मोटापे की इस प्रवृत्ति के लिए एक प्रमुख योगदान कारक माना जाता है।
मोटापे से होने वाली बीमारियां और इससे बचने के उपाय
मोटापे से उच्च रक्तचाप (High Blood Pressure), मधुमेह (Diabetes), हृदय धमनी रोग, पित्ताशय का रोग (Gallbladder Disease), अवसाद (Depression) आदि बीमारियां मोटापे से ग्रसित व्यक्ति को हो सकती है। इससे निपटने के लिए व्यक्ति को स्वास्थ्य भोजन और पेय पदार्थ जैसे की साबुत अनाज, फल, सब्जियां, स्वस्थ वसा और प्रोटीन स्रोत का सेवन करना चाहिए। इसके साथ ही एक मोटापे से ग्रसित व्यक्ति को अस्वस्थ और जंक फूड को त्याग करना होगा और अपने पेय पदार्थो में मीठे पदार्थो के सेवन से बचना होगा, लेकिन सबसे अहम है नियमित व्यायाम और समय पर नींद का संतुलन बनाना।
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