स्तनों के स्वास्थ्य के लिए जरूरी है ब्रेस्ट सेल्फ एग्जाम।
महिलाएं घर पर कुछ ही मिनटों घर में कर सकती हैं ये टेस्ट।
बीमारी के शुरुआती लक्षणों का पता लगाता है यह एग्जाम।
40 से कम उम्र की महिलाएं इसे बनाएं रूटीन का हिस्सा।
राज एक्सप्रेस। महिलाओं को पुरुषों के मुकाबले स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं का सामना ज्यादा करना पड़ता है। इनमें ज्यादातर समस्याओं का कारण हार्मोनल बदलाव होता है। इसका असर ब्रेस्ट पर भी दिखता है। जिसके चलते ब्रेस्ट में दर्द, गांठ, टेंडरनेस, लैक्टेशन की समस्या, निप्पल में खुजली हो सकती हैं। इसके अलावा कई बार इन्हें ब्रेस्ट इंफेक्शन की भी शिकायत होती है। समय पर ध्यान न दिए जाने पर यह ब्रेस्ट कैंसर का रूप ले सकती हैं। अगर आप स्तन असामान्यताओं का जल्दी पता लगाना चाहती हैं, तो सबसे अच्छा तरीका है ब्रेस्ट सेल्फ एग्जाम।
हालांकि, यह कोई नई चीज नहीं है, बल्कि 1970 और 1980 में स्तनों की जांच करने का यह तरीका काफी पॉपुलर था। अब मैमोग्राम ने इसकी जगह ले ली है। लेकिन आप ब्रेस्ट एग्जाम के जरिए अपने स्तनों से परिचित हो सकती हैं। तो चलिए जानते हैं क्या होता है ब्रेस्ट सेल्फ एग्जाम, क्या है इसे करने का तरीका।
यह 40 वर्ष से कम उम्र की युवा महिलाओं के लिए खासतौर से जरूरी है। जो महिलाएं नियमित रूप से हर साल स्क्रीनिंग मैमोग्राम कराती हैं, उन्हें अपने अगले मैमोग्राम के लिए तय समय से कई महीने पहले एक मास दिखाई दे सकता है। वह मास कभी-कभी एक नया कैंसर बन जाता है। ऐसे में ब्रेस्ट सेल्फ एग्जाम आपकी बीमारी का जल्द पता लगाने का बहेतरीन तरीका है।
आपके ब्रेस्ट नॉर्मल हैं या नहीं, इसकी पहचान करने के लिए महिलाओं को 25 साल की उम्र के आसपास ब्रेस्ट सेल्फ एग्जाम शुरू कर देना चाहिए। जब तक उनकी माहवारी ख़त्म न हो जाए तब तक करें। यह ब्रेस्ट टेस्ट करने का सही समय होता है। जो महिलाएं पहले बायोप्सी करा चुकी हैं और इसमें असामान्य कोशिकाएं पाई गई हैं या फिर जिनके परिवार में स्तन कैंसर का इतिहास रहा है। उन्हें ब्रेस्ट सेल्फ एग्जाम को अपने डेली रूटीन का हिस्सा बनाना चाहिए। इससे उन्हें अगले मैमोग्राम के लिए पूरे साल इंतजार करने की जरूरत नहीं पड़ेगी।
जिन लोगों को अभी भी पीरियड्स हो रहे हैं, उन्हें इसे खत्म होने के बाद ब्रेस्ट सेल्फ टेस्ट करना चाहिए। जबकि मेनोपॉज स्टेज वाली महिलाओं को ऐसा एक दिन चुनना चाहिए, जिसे याद रखना आसान हो।
अपनी शर्ट और ब्रा उतारें और शीशे के सामने खड़े हो जाएं। अपनी भुजाओं को बगल में नीचे रखें। स्तन के आकार में किसी भी तरह के बदलाव पर ध्यान दें।
अपने बाएं स्तन की जांच करने के लिए अपने दाहिने हाथ का उपयोग करना चाहिए और दाएं स्तन की जांच करने के लिए बाहिने हाथ था। अपनी तीन मध्यमा उंगलियों से एक स्तन के हर हिस्से को दबाएं। अगर आपको किसी प्रकार की गांठ, मोटे धब्बे या बदलाव महसूस हो, तो उस पर ध्यान दें। फिर निप्पल के आसपास के क्षेत्र के नीचे जांच करें। अब दूसरी तरफ यही प्रोसेस को दोहराएं।
जब आप लेटते हैं, तो आपके ब्रेस्ट टिश्यू ज्यादा फैलते हैं। यह बदलावों को महसूस करने के लिए एक अच्छी स्थिति है। इसके लिए सबसे पहले लेट जाएं और अपने दाहिने कंधे के नीचे तकिया रख लें। अपने दाहिने हाथ को सिर के पीछे रखें। अपने बाएं हाथ का उपयोग करते हुए, अपनी मध्य उंगलियों की मदद से ब्रेस्ट टिश्यू के सभी हिस्सों को दबाएं। ऐसा ही दूसरे स्तन की जांच के लिए कर सकते हैं।
ध्यान रखें कि आपके ब्रेस्ट टिश्यू केवल निपल्स तक ही सीमित नहीं होते, बल्कि आपके आर्म्स, कॉलरबोन और आपके पेट के ऊपर तक फैले होते हैं। इसलिए इन हिस्साें को नजरअंदाज नहीं करना चाहिए।
स्तनों को स्वस्थ बनाए रखने और बीमारी के शुरुआती लक्षणों का पता लगाने में ब्रेस्ट सेल्फ एग्जाम मददगार है। महिलाएं इसे अपने डेली रूटीन में शामिल कर सकती हैं। ध्यान रखें ब्रेस्ट सेल्फ एग्जाम मैमोग्राम की जगह नहीं ले सकता, लेकिन महिलाओं के लिए अपने स्तनों से पीरिचत होने का बेहतर विकल्प है।
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