रिसर्च के अनुसार, डेली लाइफ में प्लास्टिक का इस्तेमाल खतरनाक।
प्लास्टिक की बोतल में मिलियन की संख्या में नैनो प्लास्टिक होते हैं।
पाचन तंत्र और फेफड़ों को होता है नुकसान।
नल का पानी ज्यादा सुरक्षित है।
राज एक्सप्रेस। घर से बाहर होने पर सभी बोतल का पानी पीते हैं। कई लोगों के तो घर में भी इन प्लास्टिक का बोतलों का ढेर देखने को मिलता है। उन्हें लगता है कि यह पानी फिल्टर किया है, इसलिए यह स्वच्छ है। पर ऐसा नहीं है। जिस पानी को आप साफ मान रहे हैं, असल यह जहर समान है। पहली बार एक रिसर्च ने दिखाया है कि रोजमर्रा की जिन्दगी में प्लास्टिक का इस्तेमाल कितना खतरनाक है। वैज्ञानिकों ने पाया है कि औसत लीटर बोतलबंद पानी में छोटे नैनोप्लास्टिक के लगभग चौथाई मिलियन अदृश्य टुकड़े हैं। वैज्ञानिकों ने दोहरे लेजर का उपयोग करके माइक्रोस्कोप द्वारा पहली बार इन नैनोप्लास्टिक का पता लगाया है। इस बारे में क्या कहती है रिसर्च जानते हैं विस्तार से।
कोलंबिया यूनिवर्सिटी और रटगर्स यूनिवर्सिटी के रिचर्सर्स ने पता लगाया है कि एक लीटर पानी में 1,10,000 और 4,00,000 प्लास्टिक के टुकड़ों थे, जिसका औसत लगभग 240,000 है। रिसर्चर्स के अनुसार, दुकानों में बिकने वाले बोतलबंद पानी में प्लास्टिक के 10 से 100 गुना बारीक टुकड़े या नैनोकण हो सकते हैं। ये इतने छोटे होते हैं कि उन्हें माइक्रोस्कोप के नीचे भी देखना संभव नहीं होता।
शोध में बताया गया है कि इनका आकार मनुष्य के बाल की औसत चौड़ाई का लगभग 1,000वां हिस्सा होता है। ये इतने छोटे होते हैं कि वे पाचन तंत्र से लेकर फेफड़ों और ब्लड स्ट्रीम तक एक टिश्यू से दूसरे टिश्यू को आसानी से पार कर सकते हैं। इस तरह से यह सिंथेटिक केमिकल धीरे-धीरे पूरी बॉडी में फैलकर कई अंगों को नुकसान पहुंचाते हैं।
पानी में पाए जाने वाले नैनोप्लास्टिक शरीर में पहुंचकर आंतों में जमा हो सकते हैं। इतना ही नहीं इनके ब्लड वेल्स में भी स्थानांतरित होने की संभावना बढ़ जाती है।
यह कण फेफड़ों में घुसकर एयर बैरियर को बाधित कर सकते हैं। ये न केवल किडनी या लीवर तक पहुंचते हैं, बल्कि कई बार ये प्लेसेंटा को भी प्रभावित कर सकते हैं। बता दें कि प्लेसेंटा वो एकमात्र अंग है, जो मां और भ्रूण को जोड़ता है। इसका काम मां से भ्रूण तक ऑक्सीजन और पोषक तत्व पहुंचाना होता है।
स्टडी में इस बात की पुष्टि की गई है कि बोतल का पानी पीने के बजाय अगर नल का पानी स्टील या कांच के गिलास में पिया जाए, तो यह ज्यादा सुरक्षित है। यह सदियों पुरानी पद्धति प्लास्टिक के संपर्क को कम करने का सबसे अच्छा तरीका है। यह बात केवल पानी पर ही नहीं बल्कि, उन सभी ड्रिंक और फूड आइटम पर भी लागू होती है जो प्लास्टिक पैकिंग में आते हैं।
विशेषज्ञों के अनुसार, पानी में पाए जानी वाले नैनो प्लास्टिक चिंता का विषय है। लगातार बोतलाें से पानी पीना शरीर में प्लास्टिक पॉल्यूशन को बढ़ाने जैसा है। ये बहुत छोटे-छोटे कण शरीर के मुख्य अंगाें के सेल्स और टिश्यू पर अटैक करते हैं और फेथलेट, बिस्फेनॉल और हैवी मेटल जैसे हानिकारक केमिकल को जमा करके सेलुलर प्रोसेस को डिस्टर्ब कर सकते हैं।
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