100 में से किसी 1 को होता है कॉग्निटोल हार्ट डिफेक्ट।
दाएं और बाएं वेंट्रिकल के बीच की दीवार में छेद को VSD कहते हैं।
सांस फूलना, स्तनपान करने में दिक्कत VSD के मुख्य लक्षण।
वजन न बढ़े या सांस फूलने लगे, तब डॉक्टर को दिखाएं।
राज एक्सप्रेस। बॉलीवुड एक्ट्रेस बिपासा बसु ने अपनी बेटी की जन्मजात स्थिति के बारे में खुलासा किया है। इंस्टाग्राम पर लाइव होकर उन्हाेंने बताया कि उनकी बेटी के दिल में दो छेद थे। जिसके बाद उन्हें तीन महीने की उम्र में बेटी की ओपन हार्ट सर्जरी करानी पड़ी। इसे वेंट्रिकुलर सेप्टल डिफेक्ट कहते हैं। बता दें कि वेंट्रिकुलर सेप्टल डिफेक्ट बच्चाें में होने वाला जन्मजात विकार है। यह 100 में से 1 बच्चे को होता है। लेकिन अब व्यस्कों में भी काग्नेटल हार्ट डिसऑर्डर के आंकड़ों में हर साल 5 प्रतिशत की वृद्धि देखी जा रही है। हृदय में दो छेद का कारण, लक्षण और उपचार हृदय में एक छेद की तरह ही होते हैं। छेद अगर छोटा है, तो अपने आप ठीक हो जाता है, लेकिन दिल में दो छेद की स्थिति काफी खतरनाक मानी जाती है। विशेषज्ञों के अनुसार, इसके लक्षणों पर ध्यान देना जरूरी होता है। तो आइए जानते हैं क्या होता है वेंट्रिकुलर सेप्टल डिफेक्ट (VSD) और क्या हैं इसके लक्षण और उपचार।
यह हृदय रोग बच्चे में जन्मजात होता है। जो जन्म से लेकर वयस्कता तक व्यक्ति को प्रभावित करता है। यह स्थिति दिल के दो लोअर चैम्बर्स को अलग करने वाली वॉल में छेद के कारण पैदा होती है। VSD का आकार बताता है कि इसके लक्षण कब दिख सकते हैं।
वेंट्रिकुलर सेप्टल डिफेक्ट का कोई स्पष्ट कारण तो नहीं है। रिसर्चर्स का मानना है कि आनुवांशिक और पर्यावरणीय कारक इसके लिए जिम्मेदार हैं।
कई बार डॉक्टर को जन्म के समय वेंट्रिकुलर सेप्टल डिफेक्ट के लक्षण नजर नहीं आते। लेकिन बच्चे के पैदा होने के कुछ दिनों, हफ्तों या महीनों के बाद लक्षण दिखाई दे सकते हैं। अगर छेद छोटा है, तो हो सकता है कि बचपन खत्म होने तक लक्षण दिखाई ही न दें।
मेयो क्लीनिक के अनुसार, वेंट्रिकल्स के बीच ठीक से ब्लड फ्लो न होने के कारण हार्ट को ऑक्सीजन युक्त ब्लड पंप करने के लिए ज्यादा मेहनत करनी पड़ सकती है, जिससे सांस फूलने लगती है।
ऐसे लोग बार-बार संक्रमित हो सकते हैं। इन्हें निमोनिया हो सकता है।
जिस बच्चे के दिल में छेद होता है, उन्हें ब्रेस्ट फीडिंग कराने में दिक्कत होती है। फीडिंग के दौरान वह दूध पीने में बहुत जल्दी थक जाते हैं।
ऐसे बच्चों को अनियमित दिल की धड़कन यानी हार्ट पल्पिटेशन का सामना करना पड़ता है। इसका मतलब है कि फिजिकल एक्टिविटी या इमोशनल स्ट्रेस के दौरान कुछ मिनट के लिए दिल धड़कना बंद कर सकता है या फिर अचानक से बहुत तेजी ये धड़कन महसूस होती है।
इन बच्चों का विकास सामान्य बच्चों की तुलना में धीमा होता है। साथ ही उम्र के हिसाब से उनका वजन भी नहीं बढ़ पाता। इसके अलावा माता-पिता को भी सांस की तकलीफ, तेज या अनियमित सांस और थकान या कमजोरी जैसे लक्षणों पर ध्यान देने की जरूरत है।
जो बच्चे छोटे वेंट्रिकुलर सेप्टल डिफेक्ट के साथ पैदा होते हैं, उनका छेद बिना किसी उपचार के ठीक हो जाता है। लेकिन दो छेद होने की स्थिति में तुरंत सर्जरी की जरूरत पड़ती है। आमतौर पर डॉक्टर वासोडिलेटर और डिगोक्सिन जैसी दवा देते हैं। अगर दवा देने के कुछ महीने या एक साल तक कोई असर न हो, तो सर्जरी की जाती है।
जब बच्चा खाते या खेलते हुए थक जाए।
उम्र के अनुसार, वजन न बढ़े।
खाते या रोते समय सांस फूलने लगे।
सांस लेने में तकलीफ हो, तो इन स्थितियों में लापरवाही न करते हुए तुरंत डॉक्टर को दिखाना चाहिए।
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