मानसून में कान में संक्रमण के मामले छह से दस गुना तक बढ़ जाते हैं।
ह्यूमिडिटी के कारण पैदा होने वाले बैक्टीरिया और फंगस ईयर इंफेक्शन के लिए जिम्मेदार हैं।
बरसात में गले में होने वाले संक्रमण यूस्टेशियन ट्यूब तक फैलता है, जो गले को कान से जोड़ती है।
संक्रमण से बचने के लिए कान में पानी ना जाने दें और इसे साफ रखें।
राज एक्सप्रेस। भीषण गर्मी के बाद बरसात ने लोगों को राहत जरूर दी है। लेकिन यह मौसम कई संक्रामक बीमारियों का घर है। इस मौसम में बढ़ती नमी बैक्टीरिया और फंगस के पनपने के लिए अनुकूल वातावरण बनाती है। जिससे संक्रमण का खतरा बढ़ जाता है। कई तरह के संक्रमणों के बारे में आप जानते होंगे, मगर आज हम बात कर रहे हैं माइक्रोबियल संक्रमण की। मानसून के आते ही माइक्रोबियल संक्रमण का खतरा बढ़ जाता है। त्वचा और आंखों के अलावा यह आपके कानों को भी उतना ही प्रभावित करता है। कई बार कान में पानी जाने या ईयरबड डालने से कान में खुजली और फिर दर्द शुरू हो जाता है। कान का फंगल संक्रमण भी कान को प्रभावित करता है, जिसे ऑटो माइकोसिस कहते हैं। इसके अलावा स्ट्रेप्टोकोकस, न्यूमोनिया और हेमोफिलिज इंफ्लूएंजा जैसे बैक्टीरिया भी कान के संक्रमण पैदा करने के लिए जिम्मेदार हैं। अगर इससे बचना है, तो हम आपको ईयर इंफेक्शन के लक्षणों और बचाव के बारे में बता रहे हैं।
सूजन, जलन, खुजली, कान में दर्द, पानी निकलना, चक्कर आना, गंभीर सिरदर्द, कम सुनाई देना, पस निकलना कान में बैक्टीरियल इंफेक्शन के लक्षण हैं। वहीं सूजन, कानों में खुजली, कान की त्वचा की पपड़ी निकलना कान में फंगल इंफेक्शन की निशानी है।
विशेषज्ञ कहते हैं कि बरसात के मौसम में बहुत ज्यादा ठंडा पानी पीने से बचना चाहिए। इससे गले में परेशानी हो सकती है। इसकी जगह आप कॉफी या सूप ले सकते हैं।
नमक के पानी के गरारे गले में होने वाली खराश या दर्द को दूर करने में मदद करते हैं।
इस मौसम में कानों को पानी से बचाना चाहिए। इसके अलावा कानों को साफ रखें। सफाई के लिए ईयरबड और कॉटन जैसी चीजें अंदर नहीं डालनी चाहिए, इससे पर्दे को नुकसान हो सकता है।
नहाने के बाद कान के बाहरी और अंदर वाले हिस्से को सूखी टॉवल से जरूर सुखाएं।
अगर आप अक्सर ही ईयरफोन या ब्लूटूथ का इस्तेमाल करते हैं, तो हफ्ते में एक बार इन्हें डिस्इंफेक्टेंट से साफ करने की आदत डालें। इससे ईयर कैनाल में संक्रमण की स्थिति नहीं बनती।
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