राज एक्सप्रेस। विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने अपने दक्षिण-पूर्व एशिया क्षेत्र के देशों से वर्ष 2030 तक सर्वाइकल कैंसर की समाप्ति के लिए किए जा रहे प्रयासों में तेजी लाने का अनुरोध किया है। सर्वाइकल कैंसर महिलाओं की असमय मृत्यु का दूसरा बड़ा कारण है। सर्वाइकल कैंसर से बचाव के लिए वर्ष 2030 तक 15 वर्ष की आयु तक की 90 प्रतिशत लड़कियों को ह्यूमन पैपिल्लोमा वायरस (एचपीवी) का टीका लगाने का लक्ष्य घोषित किया है।
क्षेत्रीय निदेशक डॉ. पूनम खेत्रपाल सिंह ने कहा कि-
दिल्ली में डब्ल्यूएचओ रीजनल कमेटी के 72वें सत्र में डब्ल्यूएचओ साउथ-ईस्ट एशिया की क्षेत्रीय निदेशक डॉ. पूनम खेत्रपाल सिंह ने कहा कि, सर्वाइकल कैंसर की बढ़ती समस्या के निदान के लिए देशों को हर जगह सभी के लिए टीकाकरण, जाँच, रोग का पता लगाने और उपचार सेवाओं का विस्तार करना चाहिए। उन्होंने कहा कि, सर्वाइकल कैंसर इस क्षेत्र में सार्वजनिक स्वास्थ्य की एक बड़ी समस्या है।
यह कैंसर का तीसरा सबसे आम प्रकार है -
ज्ञात हो कि वर्ष 2018 में सर्वाइकल कैंसर के लगभग 158,000 नये मामले सामने आए और 95,766 लोगों की मौत हुई, यह कैंसर का तीसरा सबसे आम प्रकार है। कैंसर के जोखिम के कारकों का निदान और इसके अस्तित्व को कम करना वर्ष 2014 से इस क्षेत्र की प्रमुख प्राथमिकता है। इस क्षेत्र के सभी देश प्री-कैंसर्स की जाँच और उपचार के लिये प्रयास कर रहे हैं। इस क्षेत्र के चार देशों- भूटान, मालदीव्स, श्रीलंका और थाइलैण्ड ने राष्ट्रीय स्तर पर एचपीवी वैक्सीन पेश किया है।
क्षेत्रीय निदेशक ने कहा-
विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) का क्षेत्रीय निदेशक ने कहा ‘‘हमें जाँच, उपचार सेवाओं और रोग के लक्षण कम करने के उपायों में क्षमता और गुणवत्ता बढ़ाने की जरूरत है। ह्यूमन पैपिल्लोमा वायरस के लिये टीकाकरण, कैंसर पूर्व जाँच और उपचार, रोग का शीघ्र पता लगाना, ‘अर्ली इनवैसिव कैंसर्स’ का त्वरित उपचार और रोग के लक्षण कम करने के उपाय सर्वाइकल कैंसर के निदान में प्रभावी सिद्ध हुए हैं।
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