एक्ट्रेस रकुल प्रीत करने जा रही हैं ग्रीन वेडिंग।
एनवायरमेंट फ्रेंडली होती है ग्रीन वेडिंग।
400-1000 गेस्ट वाली पार्टी में 3000 किलो का वेस्ट निकलता है।
फिजिकल इंविटेशन दें और किराए पर वेडिंग ड्रेस लें।
राज एक्सप्रेस। बॉलीवुड एक्ट्रेस रकुल प्रीत सिंह और जैकी भगनानी 21 फरवरी को गोवा में शादी करने जा रहे हैं। उनकी यह वेडिंग ग्रीन वेडिंग होगी। कपल ने एक इंटरव्यू में बताया था कि उन्होंने किसी को कोई फिजिकल इंविटेशन नहीं भेजा है और शादी में कोई पटाखे नहीं फोड़े जाएंगे। बल्कि कपल इवेंट के दौरान उत्पन्न कार्बन फुटप्रिंट को मापेंगे। इनके अनुसार, तय किया जाएगा कि कितने पेड़ लगाने की जरूरत है। यह निश्चित तौर पर उठाया गया एक अनोखा कदम है। शादी समारोह के तुरंत बाद या अगले दिन, न्यूली वेड कपल स्वयं इसे लगाएंगे। कोरोना काल के बाद से लोगों ने इको फ्रेंडली वेडिंग पर भरोसा जताना शुरू कर दिया है। ऐसी शादियाें को ग्रीन वेडिंग कहते हैं। इनमें भारत की बड़ी-बड़ी शादियां भी शामिल होती हैं। तो आइए भोपाल के एंबल होलीडे एंड इवेंट के डायरेक्टर आशुतोष श्रीवास्तव से जानते है क्या है ग्रीन वेडिंग और इससे पर्यावरण को क्या होता है फायदा।
आशुतोष बताते हैं कि ग्रीन वेडिंग पूरी तरह से पर्यावरण को देखते हुए प्लान की जाती है। इसमें रिसेप्शन में कैटरर्स नॉन-प्लास्टिक कटलरी और क्रॉकरी का यूज करते हैं। इसके अलावा इस कंसेप्ट में ऑर्गेनिक फूड पर ज्यादा जोर दिया जाता है।बता दें कि शादियों में नाश्ते और ड्रिंक काउंटर्स पर प्लास्टिक के डिस्पोजल का प्लास्टिक वेस्ट निकलता है, जो पर्यावरण के लिए हानिकारक है। इससे बचने के लिए कई बड़े शहरों में क्रॉकरी बैंक आपको स्टील के बर्तन उधार देता है। यहां तक की मेट्रो सिटीज में लोगों ने तो अपनी पर्सनल क्रॉकरी को शादियों में यूज करने के लिए देना शुरू कर दिया है। शादियों से होने वाले प्लास्टिक पॉल्यूशन से बचने के लिए कई कपल्स और फैमिली अब रेंट पर सामान लेने के लिए भी राजी हैं।
अब लोग इंडियन बिग फैट वेडिंग में महंगे डेकोरेशन से थक चुके हैं। इसलिए अब सजावट के लिए मौसमी फूलों और रीयूजेबल डेकोरेटिव मटेरियल का उपयोग हो रहा है। अच्छी बात है कि ये सारा सामान शहर के लोकल वेंडर्स से खरीदा जाता है। दूल्हा कार का उपयोग न करके इलेक्ट्रिक कार का यूज करता है । इसके अलावा शादी में आने वाले मेहमानों को पौधे गिफ्ट किए जाते हैं।
दिल्ली के एक बिजनेसमैन विनीत धालीवल ने अपने वेडिंग वेन्यू पर प्लास्टिक फूलों से सजे साइनेज के बजाय चॉकबोर्ड लगाने का फैसला किया। उन्होंने बताया कि उन्होंने लोकल मार्केट से कपड़े के रिबन खरीदे और गिफ्ट देने के लिए ब्लॉक प्रिंट वाले पेपर बैग भी बनाए। इसके अलावा लोग अब कार्ड देकर इनवाइट नहीं करते, बल्कि अब ई-इंविटेशन का ट्रेंड है। यह न केवल कागज और अन्य प्लास्टिक की बर्बादी को कम करता है, बल्कि कार्ड भेजने वाली क्रिएटिविटी को भी दर्शाता है।
वेडिंग प्लानर कहते हैं कि अगर सही तरह से मैनेज न किया जाए, तो ग्रीन वेडिंग महंगी पड़ सकती है। हालांकि यह फैमिलीज पर निर्भर करता है। अगर कोई व्यक्ति ई-इंविटेशन, नॉन प्लास्टिक क्रॉकरी और रेंट पर सामान लेता है और प्री-वेडिंग फोटोशूट जैसे खर्चों से बचता है, तो ग्रीन वेडिंग एकदम आपके बजट में पड़ सकती है।
आशुतोष श्रीवास्तव कहते हैं कि एक मिडिल क्लास फैमिली की शादी का बजट 20 लाख के आसपास होता है। अगर ग्रीन वेडिंग कंसेप्ट अपनाया जाए, तो इस शादी का खर्च कुल 12 लाख आएगा।
मेहमानों से एनवायरमेंट फ्रेंडली गिफ्ट लाने की सिफारिश करें।
इकोफ्रेंडली वेडिंग इंविटेशन और फोटो का विकल्प चुनें।
बहुत ज्यादा महंगी इंगेजमेंट और वेडिंग रिंग न खरीदें ।
ग्रीन वेडिंग के लिए लोकल और ऑर्गेनिक फूड का विकल्प चुनना बेहतर है।
वेडिंग ड्रेस किराए पर लें।
वेडिंग पर ऑर्गेनिक केक ऑर्डर कर सकते हैं।
एनवायरमेंट फ्रेंडली ट्रांसपोर्ट हायर करें।
नो फ्लाई हनीमून प्लान करना अच्छा है। भारत में ऐसे कई नो फ्लाई डेस्टिनेशन है, जहां आप समुद्र और ट्रेन से जा सकते हैं।
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