वर्क लाइफ बैलेंस करियर ग्रोथ में सबसे बड़ी रुकावट Raj Express
लाइफस्टाइल

70 प्रतिशत महिलाओं ने माना वर्क लाइफ बैलेंस करियर ग्रोथ में सबसे बड़ी रुकावट : सर्वे

हीरो वायर्ड की 'वुमन इन मॉडर्न वर्कप्‍लेसेस इन इंडिया' जारी रिपोर्ट के मुताबिक भारत में 10 में से 7 महिलाओं को कामकाज और निजी जिन्‍दगी को बैलेंस करने के लिए संघर्ष करना पड़ता है।

Author : Deepti Gupta

हाइलाइट्स :

  • 70 प्रतिशत महिलाएं वर्क लाइफ बैलेंस के बीच करती हैं संघर्ष।

  • 77 प्रतिशत लोग महिलाओं को लीडरशीप रोल में देखते हैं।

  • समय की कमी के कारण नए स्किल्‍स नहीं सीख पातीं महिलाएं।

  • दोबारा करियर शुरू करना बड़ी चुनौती।

राज एक्सप्रेस। महिलाएं पहले से कहीं ज्‍यादा महत्वाकांक्षी हैं। वर्कप्‍लेस का फ्लेक्सिबल होता माहौल उनमें एक नई ऊर्जा पैदा कर रहा है। इसके बाद भी उन्‍हें कई संघर्षों का सामना करना पड़ता है। कई चीजें हैं, जो उनकी करियर ग्रोथ में रुकावट पैदा कर रही हैं। हाल ही में हीरो वायर्ड की 'वुमन इन मॉडर्न वर्कप्‍लेसेस इन इंडिया ' जारी रिपोर्ट के मुताबिक भारत में 10 में से 7 महिलाओं को वर्क और लाइफ के बीच बैलेंस करने के लिए संघर्ष करना पड़ रहा है। जिस वजह से उनकी करियर ग्रोथ रूक गई है। यह सर्वे 2 लाख महिलाओं पर किया गया। इसमें 70 प्रतिशत महिलाओं के माना कि काम के साथ लाइफ को बैलेंस करने के चक्‍कर में उनके करियर में आगे बढ़ने की संभावना कम हो गई है।

क्‍या है वर्क लाइफ बैलेंस

अच्‍छा करियर बनाने और अच्‍छा जीवन बिताने के लिए काम और जीवन के बीच सामंजस्य बिठाने की जरूरत होती है। यह न केवल स्‍वास्‍थ्‍य और रिश्‍तों के लिए जरूरी है बल्कि एम्प्लॉई की प्रोडक्टिविटी और परफॉर्मेंस में भी सुधार कर सकता है। इसलिए हर व्‍यक्ति को अपनी पर्सनल और प्रोफेशनल लाइफ को अलग रखना चाहिए। इससे न केवल व्‍यक्ति एक्टिव रहता है, बल्कि अपने काम पर ठीक से ध्यान दे पाता है। जो व्‍यक्ति वर्क लाइफ बैलेंस के बीच संघर्ष करता है, उसे काम को प्राथमिकता न देने से तनाव और थकावट होती है।

दोबारा करियर शुरू करना बड़ा चैलेंज

रिपोर्ट में एक अंतराल के बाद काम पर लौटने वाली महिलाओं के सामने आने वाली चुनौतियों पर जोर दिया गया है। जो महिलाएं प्रेग्‍नेंसी या अन्‍य किसी कारण से जॉब छोड़ती हैं और कुछ सालों बाद फिर जॉब करना चाहती हैं, उनके कई चैलेंज फेस करने पड़ते हैं। वे न केवल हाईटेक हो रही टेक्‍नोलॉजी से खुद को बाहर महसूस करती हैं, बल्कि अपने मुताबिक जॉब ढूंढने में उन्हें बहुत परेशानी होती है। करियर में दोबारा सहज होने और आगे बढ़ने की इच्‍छा के बावजूद ये चुनौतियां महिलाओं को वर्कप्‍लेस पर अपनी क्षमताओं को दिखाने से रोकती हैं।

लीडरशिप रोल के लिए पुरुषों से बेहतर हैं महिलाएं

आश्‍चर्य की बात तो यह है कि इन चुनौतियों के बीच, ऑर्गेनाइजेशन महिलाओं को बेहतर मानती हैं। रिपोर्ट से पता चलता है कि 77% प्रतिभागियों ने पिछले सालों की तुलना में लीडरशिप पोजीशन पर महिलाओं के प्रतिनिधित्व में वृद्धि देखी है। इसके अलावा, 59% प्रतिभागियों का मानना ​​है कि आज के वर्कफोर्स में महिलाओं के पास पुरुषों के बराबर अवसर हैं, जो कहीं न कहीं वर्कफोर्स इक्‍वालिटी में बदलाव का संकेत देते हैं। लगभग 78% प्रतिभागियों ने सोचा कि लीडरशिप पोजीशन पर अगर कोई महिला हो, तो वर्कप्‍लेस कल्‍चर में कई तरह के बदलाव होते हैं।

अपस्किलिंग प्रोग्राम हैं फायदेमंद

वर्कप्‍लेस पर समय के साथ टेक्‍नोलॉजी और काम करने के तरीके एडवांस होते ता रहे हैं। आजकल कंपनीज में अपस्किलिंग प्रोग्राम बहुत फायदेमंद साबित हो रहे हैं। इसकी मदद से महिलाएं नए अवसर के साथ तालमेल बैठाने में सक्षम होती हैं। 55% प्रतिभागी मानते हैं कि अपस्किलिंग प्रोग्राम्‍स ने महिलाओं को ब्रेक के बाद अपने करियर में वापस आने में मदद की है। हालांकि, 69 प्रतिशत ने माना कि समय की कमी उनकी अपस्किलिंग में रुकावट पैदा करता है।

अपनी प्रायोरिटी को समझें महिलाएं

हीरो वायर्ड के सीईओ अक्षय मुंजान ने कहा है कि वर्कप्‍लेस में महिलाओं को समान अवसर मिलें, इसके लिए और ज्‍यादा काम किया जाना चाहिए। विशेषज्ञों का मानना है कि अगर महिलाएं आगे बढ़ना चाहती हैं, तो उन्‍हें यह समझने की ज़रूरत है कि पर्सनल और प्रोफेशनल लेवल पर उनकी प्रायोरिटीज क्‍या हैं। एक बार जब वे क्‍लीयर हो जाती हैं, तो एक स्थिर संतुलन बनाए रखने की दिशा में काम कर सकती हैं।

ताज़ा समाचार और रोचक जानकारियों के लिए आप हमारे राज एक्सप्रेस वाट्सऐप चैनल को सब्स्क्राइब कर सकते हैं। वाट्सऐप पर Raj Express के नाम से सर्च कर, सब्स्क्राइब करें।

SCROLL FOR NEXT