सीएए क्या है? क्यों हो रहा है इसका विरोध? Syed Dabeer Hussain - RE
भारत

यशवंत सिन्हा ने दिया सीएए के खिलाफ बयान, जानिए सीएए क्या है? क्यों हो रहा है इसका विरोध?

यशवंत सिन्हा ने कहा है कि अगर मैं राष्ट्रपति बना तो सीएए कानून को लागू नहीं होने दूंगा। तो चलिए हम समझते हैं कि सीएए क्या है? और सीएए कानुन का विरोध क्यों हो रहा है?

Vishwabandhu Pandey

राज एक्सप्रेस। राष्ट्रपति चुनाव में विपक्ष की ओर से राष्ट्रपति उम्मीदवार यशवंत सिन्हा ने एक बार फिर से नागरिकता संशोधन अधिनियम यानि सीएए को लेकर बड़ा बयान दिया है। यशवंत सिन्हा ने कहा है कि सीएए को मूर्खतापूर्ण तरीके से लाया गया है। यही कारण है कि सरकार अभी तक इसे लागू नहीं करवा पाई है। साथ ही उन्होंने कहा कि, ‘अगर मैं राष्ट्रपति बना तो सीएए कानून को लागू नहीं होने दूंगा।‘ तो चलिए हम समझते हैं कि सीएए क्या है? और सीएए का विरोध क्यों हो रहा है?

सीएए क्या है?

दरअसल नागरिकता संशोधन अधिनियम गैर मुस्लिम प्रवासियों को भारत की नागरिकता देने का कानून है। इस कानून के जरिए पड़ोसी देशों अफगानिस्तान, बांग्लादेश और पाकिस्तान से आने वाले हिंदू, सिख, बौद्ध, जैन, पारसी और क्रिस्चन धर्मों के प्रवासियों को भारत की नागरिकता हासिल करने के नियम को आसान बना दिया गया है। इस कानून के अंतर्गत तीनों पड़ोसी देशों के अल्संख्यक यदि 5 साल से अधिक समय से भारत में रह रहे हैं तो वे अब भारत की नागरिकता प्राप्त कर सकते हैं। सीएए से पहले यह नियम 11 साल का था।

कैसे मिलेगी नागरिकता?

जो भी प्रवासी व्यक्ति नागरिकता संशोधन अधिनियम के प्रावधानों के अंतर्गत आता है, वह भारत की नागरिकता प्राप्त करने के लिए आवेदन कर सकता है। हालांकि उन्हें यह साबित करना होगा कि वह पिछले 5 सालों से भारत में रह रहे हैं और वह अपने देश में धार्मिक उत्पीड़न के चलते वहां से भागकर भारत आए हैं। साथ ही आवेदन करने वाला व्यक्ति उन भाषाओं को बोलता हो जो संविधान की आठवीं अनुसूची में है और वह नागरिक कानून 1955 की तीसरी सूची की अनिवार्यताओं को पूरा करता हो। इसके बाद भारत सरकार पर होगा कि वह उस शख्स को नागरिकता देती है या नहीं।

क्यों हो रहा है विरोध?

दरअसल इस कानून में अफगानिस्तान, बांग्लादेश और पाकिस्तान से आने वाले हिंदू, सिख, बौद्ध, जैन, पारसी और क्रिस्चन धर्मों के प्रवासियों को ही भारत की नागरिकता देने का प्रावधान है। इसमें मुस्लिम धर्म को शामिल नहीं किया गया है। लोगों का कहना है कि इसमें मुस्लिमों को शामिल नहीं करना भेदभाव है। साथ ही उनका यह भी कहना है कि यह कानून संविधान के अनुच्छेद 14 का उल्लंघन है जो समानता के अधिकार की बात करता है।

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