राज एक्सप्रेस। मनुष्यों में मान के चलें तो 3 किस्म के लोग होते हैं, पहले वो जिन्हें पता नहीं होता जीवन में उन्हें करना क्या है, या कहें उनका लक्ष्य क्या है। दूसरे वो जिनका एक ही लक्ष्य होता है, जिसे हासिल कर वो संतुष्ट हो जाते हैं और तीसरे वो जो एक सिरे से काम शुरू करते हुए बहुत सारी उपलब्धियाँ हासिल करते चले जाते हैं।
तीसरे किस्म के लोग कम ही देखने को मिलते हैं। आज हम जिस शख़्सियत की बात करने वाले हैं वे तीसरे कैटेगरी का सबसे अच्छा उदाहरण हैं। इनकी शख़्सियत जितनी दिलचस्प है उतनी ही दिलचस्प इनकी जीवनी भी है।
यहाँ बात हो रही है शकुन्तला देवी की, जो ह्यूमन कंप्यूटर या मानव कंप्यूटर के नाम से आज भी हमारे बीच में प्रसिद्ध हैं। उनका गिनिज वर्ल्ड रिकॉर्ड में भी नाम दर्ज है, इन्होंने कई उपन्यासों का लेखन भी किया है। आज इनका जन्मदिन है, जानते हैं मास्टर ऑफ ऑल शकुंतला देवी के बारे में।
संघर्षमय जीवन
4 नवंबर सन् 1929 में बेंगलुरू के एक कन्नड़ ब्राह्मण परिवार में शकुन्तला देवी का जन्म हुआ । उनके पिता ने पुजारी बनने के बजाय मदारी को पेशे के रूप में चुना। आर्थिकी तंगी के चलते वे ठीक से शिक्षा भी हासिल नहीं कर पाईं।
कम उम्र में ही प्रतिभा का दिया था परिचय
तीन साल की उम्र में शकुंतला अपने पिता से कार्ड की ट्रिक सीख रही थी। उस प्रक्रिया में उनके अंको को याद रखने की क्षमता ने उनके पिता को चौंका दिया। उनकी इस प्रतिभा से प्रभावित होकर मदारी का काम छोड़कर, उनके पिता शंकुतला को अपने साथ लोगों के बीच में ले जाते और लोगों के सामने यह प्रतिभा पेश करते।
प्रतिभा ने लंदन जाने का अवसर दिया
शकुंतला जब छह साल की थीं तब मैसूर विश्वविद्यालय ने उनका टेस्ट लिया था जो उन्होंने आसानी से पास कर लिया, जिसके बाद उन्हें लंदन जाने का मौका मिला।
दुनिया में गठितज्ञ के रूप में प्रसिद्ध हुईं
शकुंतला ने अपनी इस प्रतिभा का परचम विश्वभर में फहराया। कैलिफोर्निया यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर अर्थर जेनसेन ने उनके दिमाग़ को पढ़ना चाहा। जेनसेन ने 61,629,875 का घनमूल (क्यूब रूट) और 170, 859, 375 की सात की घात (सेवंथ रूट) निकालने को कहा। जेनसेन के सवाल कॉपी में उतारने से पहले ही शकुंतला ने चंद सेकेंड में सवाल हल कर लिया।
सन् 1977 साउथंन मेथोडिस्ट विश्वविद्यालय में उन्हें अंक 201 का तेंइसवा रूट निकालने को कहा गया था। उन्होंने 50 सैकेंड में यह सवाल हल कर सबकों चौका दिया था।
समलैंगिकता पर अधय्यन कर पहली किताब लिखने वाली भारतीय
गणितज्ञ होने के अलावा शकुंतला देवी कई किताबें भी लिख चुकी हैं। 1977 में 'द वर्ल्ड ऑफ होमोसेक्शुयल' नाम की एक किताब लिखी थी। यह किताब समलैंगिकता पर भारत का पहला अधय्यन था। इसके अलावा कई उपन्यास भी लिख चुकी हैं।
इंदिरा गाँधी के खिलाफ चुनावी मैदान में उतर चुकी हैं
1980 में दक्षिण मुंबई और तेलंगाना के मेदाक लोकसभा सीट से भी चुनाव लड़ चुकी हैं। मेदाक लोकसभा सीट पर इंदिरा गाँधी के विपक्ष में थीं , 6,514 वोट से नवें स्थान पर जगह बना पाईं थीं।
शकुंतला देवी पर बन रही बायोपिक
शकुंतला देवी की जीवनी पर बॉलीवुड में बायोपिक भी बन रही है। इस फिल्म में विद्या बालन गणितज्ञ शकुंतला का किरदार निभाएंगी। फिल्म का फर्स्ट लुक जारी हो गया है, उम्मीद जताई जा रही है कि 2020 तक फिल्म रिलीज़ हो जाएगी।
फिल्म से लोग शकुंतला देवी को और बेहतर जान पाएंगे।
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