राज एक्सप्रेस। पूरी दुनिया में 8 सितंबर को विश्व साक्षरता दिवस मनाया जाता है। साल 1965 में यूनेस्को ने विश्व साक्षरता दिवस मनाने की घोषणा की थी और 8 सितंबर 1966 को पहली बार विश्व साक्षरता दिवस मनाया गया था। हर साल इस मौके पर एक थीम जारी की जाती है। अंतर्राष्ट्रीय साक्षरता दिवस 2022 की थीम ‘ट्रांसफॉर्मिंग लिटरेसी लर्निंग स्पेस’ है। इस दिन को मनाने का उद्देश्य लोगों को शिक्षा का महत्व समझाना और निरक्षरता को समाप्त करना है। खासकर भारत के परिपेक्ष में देखें तो यह और भी ज्यादा जरूरी हो जाता है। ऐसे में विश्व साक्षरता दिवस के मौके पर हम जानेंगे कि साक्षरता के क्षेत्र में भारत दुनिया में कहां खड़ा है।
साक्षरता क्या है?
सबसे पहले हमें यह समझना होगा कि आखिर साक्षरता की परिभाषा क्या है? दरअसल साक्षरता का मतलब होता है पढ़ने और लिखने की क्षमता हासिल करना। ऐसे व्यक्ति को साक्षर माना जाता है।
साक्षरता दर :
साल 2011 के आंकड़ो के अनुसार भारत में साक्षरता दर 74.04 फीसदी है। आजादी के बाद भारत में साक्षरता दर में तेजी से इजाफा हुआ है। साल 1947 में देश की साक्षरता दर महज 18 फीसदी थी। हालांकि अब भी यह विश्व साक्षरता दर से काफी कम है। विश्व साक्षरता दर करीब 84 फीसदी है।
भारत अनपढ़ों का देश है :
यूनेस्को के आंकड़ो पर नजर डाले तो भारत अनपढ़ों का देश है। दुनिया में सबसे ज्यादा अनपढ़ लोग भारत में रहते है। पूरी दुनिया में करीब 78 करोड़ लोग अनपढ़ हैं, जिसका एक बड़ा हिस्सा भारत में रहता है।
पड़ोसियों से तुलना :
साक्षरता दर के मामले में भारत अपने पड़ोसियों की तुलना में अच्छी स्थिति में है। भारत में जहां साक्षरता दर 74.04 फीसदी है, वहीं पाकिस्तान में साक्षरता दर 60 फीसदी के करीब है। अगर बांग्लादेश की बात करे तो वहां साक्षरता दर 74 फीसदी से नीचे है।
100 फीसदी साक्षरता वाले देश :
दुनिया में कुछ ही देश ऐसे हैं, जहां साक्षरता दर 100 फीसदी है। इसमें एंडोरा, फिनलैंड, लग्जमबर्ग, ग्रीनलैंड और नार्वे शामिल हैं। वहीं दक्षिण सूडान, अफगानिस्तान, बुर्किना फासो और नाइजर जैसे देशों में साक्षरता दर बेहद कम है।
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