राष्ट्रपित द्रौपदी मुर्मू ने कल महिला आरक्षण बिल को दी मंजूरी
मंजूरी मिलने के साथ ही भारत सरकार ने जारी की अधिसूचना
परिसीमन और जनगणना के बाद 2029 तक होगा लागू
संविधान में जोड़े जाएंगे नए अनुच्छेद
राज एक्सप्रेस। राष्ट्रपित द्रौपदी मुर्मू ने कल महिला आरक्षण बिल (नारी शक्ति वंदन विधेयक 2023) को मंजूरी दे दी। मंजूरी मिलने के बाद अब यह कानून बन चूका है जिसके संबंध में भारत सरकार अधिसूचना भी जारी की थी। महिला आरक्षण बिल संसद के विशेष सत्र के दौरान दोनों सदनों में पारित हुआ था जिससे लोकसभा और राज्यों के विधानसभा में महिलाओं को एक तिहाई आरक्षण मिलेगा। चलिए विस्तार से समझते है की आखिर अधिसूचना में आखिर लिखा क्या है।
भारत सरकार द्वारा जारी किये गए अधिसूचना के अनुसार यह उस तारीख से लागू होगा जो केंद्र सरकार, आधिकारिक राजपत्र में अधिसूचना द्वारा, नियत करेगी। यही नहीं, महिला आरक्षण को इसके अधिनियमन के बाद आयोजित पहली जनगणना के बाद परिसीमन की कवायद के बाद ही लागू करने का प्रस्ताव है। महिला आरक्षण इसके प्रारंभ होने से 15 वर्ष की अवधि तक लागू रहेगा। कुछ मीडिया रिपोर्ट्स की माने तो परिसीमन साल 2026 और जनगणना 2024 के आम चुनाव के बाद कभी भी कराई जा सकती है।
यह विधेयक एक संवैधानिक प्रावधान में संशोधन अनुच्छेद 239AA , और तीन नए अनुच्छेद 330, 332A और 334A को शामिल करता है। पहले के विधेयक और अब पेश किए गए संवैधानिक संशोधन विधेयक के बीच एक महत्वपूर्ण अंतर यह है कि इसे विधेयक के अधिनियमन के बाद पहली जनगणना के बाद परिसीमन की कवायद के बाद लागू करने का प्रस्ताव है।
2008 के विधेयक में तीन संवैधानिक प्रावधानों में संशोधन का प्रस्ताव किया गया - अनुच्छेद 239AA (दिल्ली के संबंध में विशेष प्रावधान), अनुच्छेद 331 (लोगों के सदन में एंग्लो-इंडियन समुदाय का प्रतिनिधित्व), और अनुच्छेद 333 (एंग्लो-इंडियन समुदाय का प्रतिनिधित्व) राज्यों की विधान सभाओं में)। इसके अतिरिक्त, इसने तीन नए अनुच्छेद पेश किए, अर्थात् अनुच्छेद 330ए, 332ए और 334ए। पहले दो नए प्रस्तावित लेखों में लोकसभा और राज्य विधानसभाओं में महिलाओं के लिए आरक्षण शुरू करने की मांग की गई थी, जबकि अंतिम लेख में इस सकारात्मक नीति को 15 साल की अवधि के बाद चरणबद्ध तरीके से समाप्त करने के लिए एक सूर्यास्त खंड शामिल था।
अब यह देखने वाली बात होगी कि आखिर कब तक इस अधिनियम को पूर्ण रूप से लागू किया जाएगा क्योंकि इसके लागू होने के पहले जो दो सबसे बड़े कार्य सामने खड़े है वो है परिसीमन और जनगणना। इसमें भी विपक्षी पार्टियों ने सदन के भीतर कोटा के भीतर कोटा और जातिगत जनगणना की मांग ने इस अधिनियम के जल्द कार्य में आने की मुश्किलों को और बढ़ा दिया है।
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