राज एक्सप्रेस। सोमवार सुबह राजस्थान के हनुमानगढ़ के पास भारतीय वायुसेना का मिग-21 लड़ाकू विमान क्रैश (MiG-21 Fighter Aircraft Crash) हो गया। सूरतगढ़ से उड़ान भरने के बाद यह विमान बहलोलनगर में रिहायशी इलाके में एक मकान पर जा गिरा। इस घटना में तीन लोगों की मौत हो गई जबकि विमान के पायलट ने पैराशूट की मदद से अपनी जान बचाई। इस विमान दुर्घटना ने एक बार फिर से मिग-21 लड़ाकू विमान पर सवाल खड़े कर दिए हैं। लोग इसे ‘उड़ता हुआ ताबूत’ भी कह रहे हैं। तो चलिए जानते हैं कि मिग-21 लड़ाकू विमान किस तरह से भारतीय वायुसेना के पायलटों के लिए खतरा बनता जा रहा है।
दरअसल मिग-21 (MiG-21) लड़ाकू विमान (Fighter Aircraft) को साल 1960 में भारतीय वायुसेना के बेड़े में शामिल किया गया था। ऐसे में यह भारत को सबसे लंबे समय तक सेवा देने वाला लड़ाकू विमान है। लेकिन बीते कुछ सालों में यह विमान लगातार दुर्घटना का शिकार हो रहा है। बीते 9 महीनों में ही 11 विमान दुर्घटनाग्रस्त हो चुके हैं। एक रिपोर्ट के अनुसार पिछले 60 सालों में मिग विमान के साथ लगभग 400 हादसे हो चुके हैं। इस हादसों में 200 जवान शहीद हो चुके हैं जबकि 60 नागरिकों की जान जा चुकी है।
बता दें कि भारतीय पिछले 60 सालों से मिग-21 लड़ाकू विमान का इस्तेमाल कर रही है। हालांकि लगातार हो रहे हादसों को देखते हुए जल्द ही इन लड़ाकू विमानों को रिटायर किया जाएगा। वायुसेना पहले ही मिग 21 बाइसन की एक स्क्वाड्रन को हटा चुकी है जबकि बचे हुए तीन स्क्वाड्रन को भी साल 2025 तक हटा दिया जाएगा।
भले ही मिग-21 लड़ाकू विमान को अब रिटायर किया जा रहा है, लेकिन यह भी सच है कि इस विमान ने कई युद्धों और ऑपरेशन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। बालाकोट स्ट्राइक के दौरान इसी विमान से विंग कमांडर अभिनंदन वर्धमान ने पाकिस्तानी एफ-16 को मार गिराया था।
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