राज एक्सप्रेस। देशभर में इस समय जैन समुदाय को अपने पवित्र पर्वत के लिए एकजुट होता देखा जा रहा है। यह पर्वत जैन समुदाय के लिए काफी मान्यता रखता है। झारखंड के गिरिडीह जिले में स्थित इस पर्वत को भगवान पारसनाथ पर्वत के नाम से जाना जाता है। यह नाम जैन धर्म के 23वें तीर्थंकर पारसनाथ के नाम पर रखा गया है। कुछ समय पहले जैन समुदाय के इस पवित्र पर्वत को पर्यटन स्थल बनाए जाने को लेकर प्रस्ताव पेश किया गया था। लेकिन जैन समाज इसके लिए नहीं मान रहा है और साथ ही इस प्रस्ताव को वापस लेने की मांग कर रहा है। ऐसे में चलिए आपको बताते हैं जैन समुदाय के इस पर्वत का महत्व और इस मामले के बारे में।
क्या है पर्वत का महत्व?
इस पर्वत का नाम भगवान पारसनाथ के नाम पर रखा गया है, जोकि जैन धर्म के 23वें तीर्थकर हैं। इसके साथ ही यहाँ सम्मेद शिखर जी भी हैं जिन्हें शिखर जी भी कहते हैं। जैन समुदाय के लिए यह पर्वत बेहद महत्वपूर्ण है। इसे लेकर यह मान्यता है कि जैन धर्म के 24 तीर्थकरों में से 20 को इसी जगह पर मोक्ष की प्राप्ति हुई थी। इसके चलते यहां का महत्व और बढ़ जाता है। प्रत्येक वर्ष दुनिया भर से जैन धर्म के लोग करीब 27 किलोमीटर की परिक्रमा के बाद इस जगह पर पहुँचते हैं।
क्या है यह मामला?
दरअसल साल 2019 के दौरान झारखंड की हेमंत सोरेन सरकार के द्वारा एक नोटिफिकेशन में संशोधन का प्रस्ताव रखा गया था। तब बीजेपी सरकार ने इस पर्वत को धार्मिक पर्यटन स्थल के रूप में चिह्नित करते हुए केंद्र को प्रस्ताव भेजा था। हालांकि इसे इको सेंसिटिव जोन में रखा गया था, जिस कारण यहां अब तक कोई निर्माण नहीं किया गया है। लेकिन अब इस प्रस्ताव का विरोध होने के बाद राज्य पर्यटन सचिव मनोज कुमार का कहना है कि उनकी समुदाय के प्रतिनिधियों से बातचीत हुई है और वे जल्द नए प्रस्ताव के साथ आएँगे। जिसमें समुदाय की भावनाओं का भी ख्याल रखा जाएगा।
ताज़ा समाचार और रोचक जानकारियों के लिए आप हमारे राज एक्सप्रेस वाट्सऐप चैनल को सब्स्क्राइब कर सकते हैं। वाट्सऐप पर Raj Express के नाम से सर्च कर, सब्स्क्राइब करें।