राज एक्सप्रेस। हाल ही में रिज़र्व बैंक ऑफ़ इंडिया के पूर्व गवर्नर रघुराम राजन ने देश की अर्थव्यवस्था पर बात करते हुए चिंता जताई है। उनका कहना है कि बैंकों के द्वारा बढ़ाई जा रही ब्याज दरें, वैश्विक रूप से अर्थव्यवथा का कमजोर होना और भारत में निवेश में आ रही कमी आगे चलकर बड़ी मुसीबत खड़ी कर सकती हैं।उन्होंने कहा कि भारत इस समय हिंदू ग्रोथ रेट के खतरनाक स्तर के काफी करीब पहुँच चुका है। ऐसे में भविष्य को लेकर चिंताएं बढ़ रही हैं। चलिए आपको बताते हैं कि हिंदू ग्रोथ रेट क्या होता है और इसके बारे में खास बातें।
क्या है हिंदू ग्रोथ रेट?
साल 1978 के दौरान पहली बार हिंदू ग्रोथ रेट का जिक्र अर्थशास्त्री राज कृष्णा के द्वारा किया गया था। दरअसल आज़ादी के बाद भारत की आर्थिक स्थिति काफी अच्छी नहीं थी। इस दौरान इंफ्रास्ट्रक्चर से लेकर कई चीजों का देश में आभाव था। आज़ादी के समय से लेकर करीब साल 1980 के आने तक देश में कई निर्माण और बदलाव देखने को मिले। लेकिन इस दौरान भारत की ग्रोथ रेट वार्षिक तौर पर महज 3.5 फीसदी के ही आसपास रही। तब प्रोफेसर ने इस दर को हिंदू ग्रोथ रेट नाम दिया था।
रघुराम राजन ने कही ये खास बातें :
पूर्व गवर्नर राजन का कहना है कि वैश्विक तौर पर अर्थव्यवस्था का गिरना चिंता का विषय है। अनुमान है कि इंवेस्टमेंट में आ रही कमी और आरबीआई के द्वारा लगातार बढ़ाई जा रही ब्याज दरें ग्रोथ को और धीमा कर सकती हैं। उनका कहना है कि अगर इस वित्तीय वर्ष के दौरान भारत की ग्रोथ रेट 5 फीसदी भी रहती है तो यह भारत के लिए अच्छी बात रहेगी। इस बीच आरबीआई ने वर्तमान वित्त वर्ष की अंतिम तिमाही के लिए जीडीपी ग्रोथ रेट 4.2 फीसदी रहने का अनुमान जताया है। जिसे लेकर रघुराम राजन का मानना है कि हमें इसे बेहतर बनाने के लिए कड़ी मेहनत करने की जरूरत है।
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