हाइलाइट्स :
अदालत को हस्तक्षेप करने का नहीं मिला कोई आधार।
वाराणसी कोर्ट के फैसले के खिलाफ दायर की थी याचिका।
सुप्रीम कोर्ट का रुख कर सकते हैं मुस्लिम पक्षकार।
Gyanvapi Case : उत्तरप्रदेश। इलाहाबाद उच्च न्यायालय (Allahabad High Court) ने मुस्लिम पक्ष द्वारा दायर की गई याचिका खारिज कर दी है। जिसके बाद Gyanvapi के व्यास का तहखाना में पूजा जारी रहेगी। हाई कोर्ट में मुस्लिम पक्षकारों ने वाराणसी कोर्ट के उस फैसले के खिलाफ याचिका दायर की थी जिसमें हिन्दुओं को पूजा करने की अनुमति दी गई थी। इस तरह हाई कोर्ट ने जिला न्यायलय के फैसले को बरक़रार रखा है। हाई कोर्ट में यह याचिका अंजुमन इंतेज़ामिया के द्वारा दायर की गई थी।
दायर अपीलों को खारिज करते हुए न्यायमूर्ति रोहित रंजन अग्रवाल ने कहा, "मामले के पूरे रिकॉर्ड को देखने और संबंधित पक्षों की दलीलों पर विचार करने के बाद, अदालत को 17 जनवरी को जिला न्यायाधीश द्वारा पारित फैसले में हस्तक्षेप करने का कोई आधार नहीं मिला।"
अधिवक्ता सुभाष नंदन चतुर्वेदी ने कहा कि, हाई कोर्ट ने भी मान लिया कि ज्ञानवापी में पूजा और धार्मिक अनुष्ठान होते थे और 1993 में बिना किसी दस्तावेज़ या आदेश के धार्मिक अनुष्ठान बंद कर दिए गए। हाई कोर्ट ने जिला न्यायालय के आदेश को बरकरार रखा गया। हाईकोर्ट ने हमारे पक्ष में फैसला सुनाया। अंजुमन इंतजामिया (मस्जिद कमेटी) की आपत्ति को हाईकोर्ट ने खारिज कर दिया है।'
ज्ञानवापी मामले पर वकील हरि शंकर जैन ने कहा कि, 'यह स्वागत योग्य फैसला है। हिंदुओं को पूजा करने का जो अधिकार है, उसे हाई कोर्ट ने बरकरार रखा है। 1993 तक हिंदू व्यास तहखाना में पूजा करते थे, लेकिन गैरकानूनी तरीके से रोका गया। वे (मुस्लिम पक्ष) सुप्रीम कोर्ट जा सकते हैं, लेकिन हम भी अपना पक्ष रखने के लिए तैयार हैं।'
हिंदू पक्ष का प्रतिनिधित्व करने वाले वकील विष्णु शंकर जैन ने बताया कि, "इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने अंजुमन इंतेज़ामिया के आदेशों की पहली अपील को खारिज कर दिया है, जो 17 और 31 जनवरी के आदेश के खिलाफ निर्देशित की गई थी और आदेश का प्रभाव यह है कि इसमें चल रही पूजा जारी रहेगी। अगर अंजुमन इंतजामिया सुप्रीम कोर्ट आती है, तो हम सुप्रीम कोर्ट के समक्ष अपनी कैविएट दाखिल करेंगे।"
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