राज एक्सप्रेस। नेपाल के जनकपुर से लाई गई शालिग्राम शिलाएं अयोध्या पहुँच चुकी है। इन शिलाओं पर अयोध्या में बन रहे राम मंदिर के गर्भगृह में स्थापित होने वाली भगवान राम की मूर्ति उकेरी जाना है। शालिग्राम शिलाओं को लेकर देशभर में उत्साह देखने को मिल रहा है। शिलाएं प्राचीन होने के साथ भी लोगों की श्रद्धा और आस्था का विषय बन चुकी हैं। इन शिलाओं को मार्ग में जहां से भी निकाला गया वहां इनका फूलों से स्वागत किया गया और लोगों ने पूजा की है। लेकिन इस बीच कई लोगों के मन में यह सवाल भी आ रहा है कि आखिर इन शिलाओं से ही भगवान राम की मूर्ति क्यों बनने जा रही है? तो चलिए जानते हैं इस बारे में।
क्या है शालिग्राम शिला?
शालिग्राम एक तरह का खास पत्थर है, जिसका मिलना बेहद मुश्किल होता है। यह पत्थर हर जगह पर आसानी से उपलब्ध नहीं होता है। कहा जाता है कि अधिकतर यह शालिग्राम पत्थर नेपाल के मुक्तिनाथ क्षेत्र में काली गंडकी नदी के तट पर ही देखने को मिलता है। कई रंगों में पाए जाने वाले इस पत्थर का सुनहरा रूप सबसे दुर्लभ होता है।
श्रीराम की मूर्ति के लिए शालिग्राम शिला ही क्यों?
यह मान्यता है कि शालिग्राम शिला भगवान विष्णु का प्रतीक है। यही नहीं शालिग्राम की गिनती भी भगवान विष्णु के 24 अवतार के तौर पर की जाती है। पौराणिक कथाओं और पुराणों में भी शालिग्राम को भगवन विष्णु के विग्रह रूप में पूज्यनीय माना जाता है। ऐसी मान्यता है कि यदि शालिग्राम शिला का आकार गोल है तो यह भगवान का गोपाल स्वरूप होता है। इसके अलावा यदि शिला का स्वरूप मछली के आकार का होता है तो उसे विष्णु भगवान का मत्स्य अवतार माना जाता है। इन शिलाओं पर मौजूद चक्र और रेखाएं भगवान के अन्य अवतारों को दर्शाती हैं। यही वजह है कि शालिग्राम शिला की पूजा हिन्दू धर्म में भगवान विष्णु के स्वरूप के तौर पर की जाती है। इसके साथ ही यह भी माना जाता है कि इन शिलाओं को आप सीधे मंदिर में रखकर बिना प्राण-प्रतिष्ठा के इसकी पूजा भी कर सकते हैं।
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