लखनऊ। लखनऊ में पिछले दिनों रामचरितमानस (Ramcharitmanas) के पन्नों को फाड़ने की घटना को देश के 100 करोड़ हिन्दुओं का अपमान बताते हुए उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ (Yogi Adityanath) ने शनिवार को विधानसभा में गोस्वामी तुलसीदास रचित पवित्र ग्रंथ की उन चौपाईयों के अर्थ को समझाया जिस पर सपा के स्वामी प्रसाद मौर्य के नेतृत्व में विरोध प्रदर्शन हुए थे। योगी ने कहा कि प्रदेश के विकास में मील का पत्थर साबित होने वाली ग्लोबल इंवेस्टर्स समिट से पहले व्यवधान डालने के लिये सपा ने जानबूझ कर रामचरितमानस और गोस्वामी तुलसीदास को लेकर नया शिगूफा छेड़ने का प्रयास किया था। मानस की चाैपाइयों के विरोध में कुछ पन्नो का फाड़ना वास्तव में देश के 100 करोड़ हिन्दुओं का अपमान करना था। किसी अन्य मजहब के लिये कोई ऐसी हरकत करने की हिम्मत नहीं कर सकता था।
उन्होने कहा कि रामचरित मानस के सुंदरकांड (Sundar Kand) की चौपाई में यह प्रसंग तब आता है, जब भगवान राम (Lord Ram) लंका जाने के लिए समुद्र से तीन दिन तक रास्ता मांगते हैं, तब बोलते हैं.. भय बिन होय न प्रीत.. लक्ष्मण जी प्रभु श्रीराम को धनुषबाण देते हैं। भगवान राम तीर का सम्मान करके समुद्र को चेतावनी देते हैं तो समुद्र खड़ा होकर कहता है। तब यह पंक्ति है..
प्रभु भल कीन्ह मोहि सिख दीन्ही, मरजादा पुनि तुम्हारी कीन्ही।
ढोल गंवार शूद्र पशु नारी, सकल ताड़न के अधिकारी
उन्होने कहा कि रामचरितमानस अवधी भाषा में लिखी गयी है जिसके अनुसार ढोल वाद्ययंत्र है, गंवार से आशय अशिक्षित से है, शूद्र का आशय श्रमिक वर्ग से है, किसी जाति विशेष से नहीं। बाबा साहेब भीमराव आंबेडकर भी कह चुके हैं कि दलित समाज को शूद्र न बोलो। यह भी पता है कि आपने बाबा साहेब के प्रति क्या व्यवहार किया। उनके नाम पर बनी संस्थाओं का नाम बदल दिया। आपने तो घोषणा भी की थी कि हम आएंगे तो बाबा साहेब के स्मारकों को हटाकर टेंट हाउस-मैरिज हॉल खोल देंगे। आप सामाजिक न्याय की बात करते हैं। नारी का अर्थ-नारीशक्ति से है।
योगी ने कहा कि मध्यकाल में अकबर के शासनकाल में जब यह ग्रंथ रचा गया तो महिलाओं की स्थिति क्या थी, किसी से छिपा नहीं है। बाल विवाह जैसी विकृतियां भी उस समय ही पनपी थी। रामचरित मानस अवधी में रची गई। अवधी का वाक्य है.. भया एतने देर से ताड़त रहा, यहां ताड़त का अर्थ देखने से है।
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उन्होंने कहा कि कि गोस्वामी तुलसीदास (Tulsidas) का जन्म चित्रकूट के राजापुर गांव में हुआ था। बुंदेलखंड के परिप्रेक्ष्य में देखेंगे तो वाक्य है..भइया मोरे लड़िकन को ताड़े रखियो यानी देखभाल करते रहो। संरक्षण करके शिक्षित-प्रशिक्षित करो, लेकिन सपा का कार्यालय संत तुलसीदास के खिलाफ अभियान चलाकर मानस जैसे पावन ग्रंथ का अपमान कर रहा है। उन्होने कहा कि कुछ लोगों ने तुलसीदास का अपमान व रामचरित मानस को फाड़ने का प्रयास किया है। यह कृत्य किसी अन्य मजहब के साथ हुआ होता तो क्या स्थिति होती। जिसकी मर्जी आए, वह हिंदुओं का अपमान कर ले, अपने अनुरूप शास्त्रों की विवेचना कर ले। सीएम ने सपा को आड़े हाथ लेते हुए कहा कि आप पूरे समाज को अपमानित करना चाहते हैं।
एक संस्मरण सुनाते हुए योगी ने कहा “मैं प्रवासी भारतीय दिवस के कार्यक्रम में मॉरीशस गया था। पूर्वी यूपी व बिहार से पौने दो सौ वर्ष पहले जो लोग गिरमिटिया मजदूर बनाकर वहां गए थे। आज वे लोग अलग-अलग देशों के राष्ट्राध्यक्षों के रूप में हैं। मैंने उन लोगों से पूछा कि आपके पूर्वज कोई चीज विरासत में लाए हों, ऐसा कुछ बचा है। तब उन्होंने बताया कि हमारे घर में रामचरित मानस का गुटका है। मैंने पूछा कि क्या आप उसे पढ़ना जानते हैं, उन्होंने कहा कि नहीं, लेकिन विरासत में जो सीखा है, उसे याद रखते हैं।”
उन्होंने कहा कि सपा समेत प्रदेश के हर शख्स को गर्व होना चाहिये कि यूपी राम और श्रीकृष्ण की धरती है, गंगा-यमुना और संगम की धरती है। यूपी की धरती पर रामचरित मानस और वाल्मीकि रामायण जैसे पवित्र ग्रंथ रचे गए। आप उसे जलाकर देश-दुनिया के 100 करोड़ हिंदुओं को अपमानित कर रहे हैं। ऐसी अराजकता को कोई कैसे स्वीकार कर सकता है। मुझे एक पंक्ति याद आती है..
जाके प्रभु दारुण दुख दीन्हा, ताके मति पहले हर लीन्हा
योगी ने इस पंक्ति के बाद पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की कविता का जिक्र भी किया :
“हिंदू तन मन, हिंदू जीवन, रग-रग हिंदू मेरा परिचय।
हिंदू कहने में शरमाते, दूध लजाते लाज न आती।
घोर पतन है, अपनी मां को मां कहने में फटती छाती।
जिसने रक्त पिला कर पाला, क्षण भर उसका भेष निहारो, उसकी खूनी मांग निहारो, बिखरे-बिखरे केश निहारो।
जब तक दुशासन है, वेणी कैसे बंध पाएगी, कोटि-कोटि संतति है, मां की लाज न लुट पाएगी।"
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