मथुरा। उत्तर प्रदेश के मथुरा की अदालत में विचाराधीन श्रीकृष्ण जन्मभूमि मामले से जुड़े एक वादी अधिवक्ता महेन्द्र प्रताप सिंह को आगरा की मस्जिद के अध्यक्ष ने कथित तौर पर जान से मारने की धमकी दी है। सिंह ने वृन्दावन कोतवाली में धमकी की जानकारी देते हुए दोषियों के खिलाफ कार्रवाई करने व उन्हें सुरक्षा देने की मांग की है।
इस मामले के तीन वादियों, वृन्दावन निवासी, अधिवक्ता महेन्द्र प्रताप सिंह, श्यामानन्द पण्डित उर्फ शिव सरन अवस्थी एवं राधा बिहारी दास के शिष्य मनमोहन दास द्वारा संयुक्त रूप से 02 जून को भारत सरकार, भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) एवं अन्य दो सरकारी विभागों को भेजे गये नोटिस में कहा गया है कि 1670 में कृष्ण जन्मभूमि मन्दिर का विध्वंस कर औरंगजेब मन्दिर के रत्नजड़ति बड़े और छोटे विग्रह को आगरा ले गया। उसने आगरा के किले के पास स्थित जामा मस्जिद में बनी कुदशिया बेगम मस्जिद की सीढिय़ों के नीचे उन विगृहों को इसलिए दबवा दिया जिससे हिन्दुओं की भावनाओं को लगातार ठेस पहुंचती रहे। वादी ने इन विग्रहों को दो महीनों के अन्दर वापस मथुरा के कटरा केशवदेव मन्दिर में लाने के लिए कहा है।
जब इसका समाचार अखबारों में प्रकाशित किया गया तो शाही जामा मस्जिद मंटोला आगरा के अध्यक्ष जाहिद उर्फ पप्पू ने उक्त संभावित वाद के वादी महेन्द्र प्रताप सिंह को जान से मारने की धमकी दे डाली। यह समाचार जब सोशल मीडिया में वायरल हुआ तो आगरा स्थित सुभाष बाजार चौकी प्रभारी सुुमित कुमार नागर ने आरोपी के खिलाफ थाना मंटोला आगरा में सुसंगम धाराओं के तहत 03 जून को मुकदमा दर्ज कर लिया।
आगरा के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक सुधीर कुमार ने धमकी देने वाले तथा सोशल मीडिया में इस प्रकार का समाचार चलाकर वातावरण को खराब करने वालों के खिलाफ कार्रवाई करने को कहा है। उक्त धमकी पर वादी महेन्द्र प्रताप सिंह ने वृन्दावन कोतवाली में एक पुलिस रिपोर्ट दर्ज कराकर दोषियों के खिलाफ कार्रवाई करने तथा सुरक्षा की मांग की है।
वृन्दावन कोतवाली के प्रभारी इंस्पेक्टर अजय कौशल ने कहा कि चूंकि वृन्दावन कोतवाली और आगरा के मंटोला थाना में लिखी गई एफआईआर एक ही मामले से संबंधित है,इसलिए इसको आगरा में दर्ज एफआईआर की जांच में शामिल कर लिया जाएगा। उक्त तीनो वादियों ने 27 मई 2022 को यह मांग करते हुए सिविल जज सीनियर डिवीजन मथुरा की अदालत में केन्द्र सरकार एवं तीन सरकारी विभागों को प्रतिवादी बनाते हुए एक वाद दायर करने की कोशिश की थी। इसे जज ने यह कहकर लौटा दिया था कि पहले इस वाद के वादियों को नोटिस दें क्योंकि चारों सरकारी विभाग हैं, तभी मुकदमा दर्ज किया जाएगा।
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