लखनऊ। केन्द्र सरकार पर सार्वजनिक क्षेत्रों के बैंको को निजीकरण करने का प्रयास करने का आरोप लगाने वाले यूनाइटेड फोरम ऑफ बैंक यूनियन्स के आवाहन पर शुरू हुई दो दिवसीय राष्ट्र व्यापी हड़ताल के पहले दिन गुरूवार को उत्तर प्रदेश में करीब 20 हजार करोड़ रूपये का लेनदेन प्रभावित रहने की आशंका है।
हड़ताल में सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों के लखनऊ जिले की 905 शाखाओं के करीब दस हजार बैंककर्मी तथा प्रदेश की 14 हजार शाखाओं के दो लाख बैंककर्मी शामिल रहें। लखनऊ में 990 एवं प्रदेश के 12000 एटीएम में से कई में कैश समाप्त होने तथा एटीएम खराब व बन्द होने के कारण आमजन अपना पैसा नहीं निकाल सके।
हड़ताली बैंक कर्मियों ने स्टेट बैंक आफ इंडिया की मुख्य शाखा के बाहर विरोध प्रदर्शन किया। इस मौके पर आल इण्डिया बैंक आफीसर्स कन्फेडरेशन (ऑयबाक) के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष पवन कुमार ने कहा कि बताया कि बैंकों का हजारों करोड़ रूपया वापस नहीं कर रहे भ्रष्ट पूंजीपतियों के हाथों सार्वजनिक क्षेत्रों की बैंको को बेचने की तैयारी सरकार के मानसिक दिवालियेपन का परिचायक है। सरकार सार्वजनिक क्षेत्र के बैंको में जनता का जमा 157 लाख करोड़ रूपया डुबोने का अंतर्राष्ट्रीय षड्यंत्र रच रही है। ऐसे में छोटे जमाकर्ता, किसान, स्वयं सहायता समूह और कमजोर वर्गो को हमारे साथ बैंक निजीकरण के विरूद्व आवाज उठाना होगा।
नेशनल कन्फेडरेशन ऑफ बैंक एम्पलॉइज (एनसीबीई) के प्रदेश महामंत्री अखिलेश मोहन ने कहा कि बड़े औद्यौगिक घरानों ने राजनीतिक प्रभाव का उपयोग कर बैंकों को खूब लूटा है, आज बैंकों के कुप्रबन्धन के चलते अनेक घोटाले उजागर हो रहे हैं, इस स्थिति के लिये बैंककर्मी नहीं बल्कि राजनीतिक दबाव जिम्मेदार है। सरकार उसे रोकने के बजाय बैंको का निजीकरण कर आमजन की सामान्य बैंकिग सुविधाएं छीनना चाहती है। यह विरोध बैंककर्मियों का ही नहीं बल्कि आमजन का विरोध है।
प्रदर्शन में शामिल यूपी बैंक इम्पलाइज यूनियन के प्रदेश उपाध्यक्ष दीप बाजपेई ने कहा कि सरकार जनता की गाढ़ी कमाई, पूंजीपतियों के हितों के लिये, बैंको का निजीकरण करके उन्हें सौंपना चाह रही है। यह जनता के साथ धोखाधड़ी है। बैंककर्मी तथा आम जनता हरहाल में सरकार को निजीकरण करने से रोकेंगे।
फोरम के जिला संयोजक अनिल श्रीवास्तव ने बताया कि हम सरकार की इन नीतियों के विरोध में एक माह से धरना, प्रदर्शन, पोस्टर कैम्पेन, मास्क धारण तथा रैली आदि के माध्यम से विरोधात्मक कार्यक्रम कर रहे हैं। उन्होंने बैंककर्मियों से आह्वान किया कि हमें सदैव इसी तरह एकता के साथ संगठन में जुड़े रहकर सरकार की आमजन विरोधी नीतियों का विरोध करना होगा।
कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुये फोरम के प्रदेश संयोजक वाईके अरोड़ा ने कहा कि सरकार बैंको का निजीकरण करके बैंको में जनता की धनराशि को चन्द पूंजीपतियों के हाथ सौंपकर उनके निजी स्वार्थ पूरा करना चाहती है। इसीलिए बैंककर्मी एकबार पुन: संघर्ष की राह पर हैं, हम सरकार को मनमानी नहीं करने देंगे।
इस बीच यूएफबीयू की देशव्यापी बैंक हड़ताल के समर्थन में कई संगठन आगे आये है, जिनमें आर्यावर्त बैंक के प्रदेश में 26 जिलों के सात हजार बैंककर्मी तथा देश के 45 ग्रामीण बैंको के एक लाख बैंककर्मी भी हड़ताल में शामिल हैं। बैंक कर्मियों की आज की सभा से पहले बैंक ऑफ बड़ौदा अंचल कार्यालय में संदीप ङ्क्षसह, इंडियन बैंक में दीप बाजपेई तथा बैंक ऑफ इंडिया के सौरभ श्रीवास्तव के नेतृत्व में अपनी शाखाओं में प्रदर्शन का आयोजन किया उसके बाद सभी बैंकों के अधिकारी व कर्मचारी स्टेट बैंक मुख्य शाखा की सभा में शामिल हुए।
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