राज एक्सप्रेस। उमेश पाल हत्याकांड मामले में पिछले कई दिनों से फरार चली रही माफिया अतीक अहमद की पत्नी शाइस्ता परवीन को उत्तरप्रदेश पुलिस ने भगोड़ा घोषित कर दिया है। पुलिस ने शाइस्ता परवीन पर 50 हजार रूपए का इनाम भी रखा है। शाइस्ता के अलावा उमेश पाल हत्याकांड के अन्य आरोपी गुड्डू मुस्लिम को भी पुलिस ने भगोड़ा घोषित किया है। तो चलिए जानते हैं कि किसी भी व्यक्ति को भगोड़ा कब घोषित किया जाता है और भगोड़ा घोषित करने के बाद क्या होता है?
दरअसल जब भी कभी अदालत किसी आरोपी के खिलाफ गैर-जमानती वारंट जारी करती है और बार-बार समन व नोटिस जारी करने के बावजूद आरोपी कोर्ट या पुलिस के सामने सरेंडर नहीं करता है तो उसे भगोड़ा घोषित कर दिया जाता है। आम भाषा में भले ही उसे भगोड़ा कहा जाता है, लेकिन कानून की भाषा में इसे ‘फरार व्यक्ति की उद्घोषणा’ कहा जाता है। किसी भी व्यक्ति को भगोड़ा घोषित करने का नोटिस अदालत द्वारा सीआरपीसी की धारा 82 के तहत जारी किया जाता है।
दरअसल सभी मामलों के आरोपी को फरार रहने पर भगोड़ा घोषित नहीं किया जाता है बल्कि उनकी मामलों में आरोपी को भगोड़ा घोषित किया जाता है जब उसके खिलाफ गैर-जमानती वारंट जारी किया गया हो। साथ ही बार-बार समन व नोटिस जारी करने के बावजूद आरोपी पुलिस या कोर्ट के सामने नहीं आ रहा हो।
दरअसल किसी भी आरोपी को भगोड़ा घोषित करने के बाद अदालत चाहे तो उसकी चल और अचल संपत्ति को कुर्क करने का आदेश दे सकती है। हालांकि अगर आरोपी 30 दिन के भीतर सरेंडर कर देता है तो अदालत अपना आदेश वापस भी ले सकती है। इसके अलावा आरोपी अपने वकील को भेजकर अपने सरेंडर होने की तारीख बता सकता है। आरोपी 30 दिनों के भीतर कोर्ट के आदेश के खिलाफ ऊपरी अदालत में अपील भी कर सकता है।
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