हाइलाइट्स
आज राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा अनुष्ठान का आज चौथा दिन।
PAC पुलिस बैंड ने लता मंगेशकर चौक पर बजाया रघुपति राघव राजा राम।
आज राम लला की मूर्ती औषधाधिवास, केसराधिवास, घृताधिवास की विधि से होगी पूजा।
Ram Mandir Pran Pratistha Ceremony : अयोध्या, उत्तर प्रदेश। राम मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा में अब 3 दिन बचे है। राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा अनुष्ठान का आज चौथा दिन है। आज गर्भ गृह में स्थापित की गई राम लला की मूर्ती औषधाधिवास, केसराधिवास, घृताधिवास की विधि से पूजा की जायेगी। इसके बाद आरणी मंथन विधि के माध्यम से कुंडो में अग्नि प्रकट की जाएगी। इसके साथ ही शाम को धान्याधिवास विधि की जाएगी। वाराणसी से पीएसी पुलिस बैंड शुक्रवार को अयोध्या पहुंचा और लता मंगेशकर चौक पर रघुपति राघव राजा राम की धुन पर बैंड बजाया।
गौरतलब है कि, अनुष्ठान के तीसरे दिन श्री राम लला की मूर्ती को गर्भ गृह में विराजित किया गया है। बताया जा रहा कि, मूर्ति को स्थापित करने में लगभग 4 से 5 घंटे का समय लगा। श्री राम लला की मूर्ती वैदिक मन्त्रों के उच्चारण के साथ स्थापना की गई। जिसके बाद आज औषधाधिवास, केसराधिवास, घृताधिवास की विधि से पूजा की जायेगी। इसी प्रकार 20 जनवरी (प्रातः): शर्कराधिवास, फलाधिवास, 20 जनवरी (सायं): पुष्पाधिवास, 21 जनवरी (प्रातः): मध्याधिवास, 21 जनवरी (सायं): शय्याधिवास करेंगे। इसके बाद 22 जनवरी को श्री राम लला की प्राण प्रतिष्ठा की जाएगी।
150 से अधिक परंपराओं के संत की कार्यक्रम में रहेगी उपस्थिति
इसके साथ ही भारतीय आध्यात्मिकता, धर्म, संप्रदाय, पूजा पद्धति, परंपरा के सभी विद्यालयों के आचार्य, 150 से अधिक परंपराओं के संत, महामंडलेश्वर, मंडलेश्वर, श्रीमहंत, महंत, नागा सहित 50 से अधिक आदिवासी, गिरिवासी, तातवासी, द्वीपवासी आदिवासी परंपराओं के प्रमुख व्यक्तियों की कार्यक्रम में उपस्थिति रहेगी, जो श्री राम मंदिर परिसर में प्राण-प्रतिष्ठा समारोह के दर्शन के लिए पधारेंगे।
प्राण प्रतिष्ठा होने के बाद कराये जायेंगे राम लला के दर्शन :
गर्भ-गृह में प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम के पूर्ण होने के बाद, सभी साक्षी महानुभावों को दर्शन कराया जाएगा। श्री रामलला की प्राण-प्रतिष्ठा के लिए हर जगह उत्साह का भाव है। इसे अयोध्या समेत पूरे भारत में बड़े उत्साह के साथ मनाने का संकल्प किया गया है। समारोह के पूर्व विभिन्न राज्यों के लोग लगातार जल, मिट्टी, सोना, चांदी, मणियां, कपड़े, आभूषण, विशाल घंटे, ढोल, सुगंध इत्यादि के साथ आ रहे हैं। उनमें से सबसे उल्लेखनीय थे माँ जानकी के मायके द्वारा भेजे गए भार (एक बेटी के घर स्थापना के समय भेजे जाने वाले उपहार) जो जनकपुर (नेपाल) और सीतामढ़ी (बिहार) के ननिहाल से अयोध्या लाए गए। रायपुर, दंडकारण्य क्षेत्र स्थित प्रभु के ननिहाल से भी विभिन्न प्रकार के आभूषणों आदि के उपहार भेजे गए हैं।
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