हाइलाइट्स:
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी गुजरात से दो दिवसीय दौरे पर काशी आए
BHU के कार्यक्रम में PM ने कहा- नई काशी नए भारत की प्रेरणा बनकर उभरी
अगले 5 वर्षों में देश इसी आत्मविश्वास से विकास को नई रफ्तार देगा
PM Modi in Varanasi: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी गुजरात से दो दिवसीय दौरे पर काशी आये हैं यहां आयोजित बीएचयू के कार्यक्रम में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी शामिल हुए और कहा- पूरे देश से और दुनिया के कोने-कोने से भी ज्ञान, शोध और शांति की तलाश में लोग काशी आते हैं। हर प्रांत, हर भाषा, हर बोली, हर रिवाज के लोग काशी आकर बसे हैं। जिस स्थान पर ऐसी विविधता होती है, वहीं नए विचारों का जन्म होता है।
अगले 5 वर्षों में देश इसी आत्मविश्वास से विकास को नई रफ्तार देगा: प्रधानमंत्री
बीएचयू के कार्यक्रम में बोले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी- नई काशी नए भारत की प्रेरणा बनकर उभरी है। मैं आशा करता हूं कि यहां से निकले युवा पूरे विश्व में भारतीय ज्ञान परंपरा और संस्कृति के ध्वजवाहक बनेंगे। "अगले पांच वर्षों में देश इसी आत्मविश्वास से विकास को नई रफ्तार देगा, देश सफलताओं के नए प्रतिमान गढ़ेगा और ये मोदी की गारंटी है"
काशी तो सर्वविद्या की राजधानी है, आज काशी का वो सामर्थ्य और स्वरूप फिर से संवर रहा है। ये पूरे भारत के लिए गौरव की बात है।प्रधानमंत्री
हमारे ज्ञान, विज्ञान और आध्यात्म के उत्थान में जिन भाषाओं का सबसे बड़ा योगदान रहा:
PM मोदी बोले- हमारे ज्ञान, विज्ञान और आध्यात्म के उत्थान में जिन भाषाओं का सबसे बड़ा योगदान रहा है, संस्कृत उनमें सबसे प्रमुख है। काशी तो सर्वविद्या की राजधानी है, आज काशी का वो सामर्थ्य और स्वरूप फिर से संवर रहा है। ये पूरे भारत के लिए गौरव की बात है। पिछले 10 वर्षों में काशी में विकास के जो कार्य हुए हैं। काशी के बारे में संपूर्ण जानकारी पर आज यहां दो बुक भी लांच की गई है। पिछले 10 वर्ष में काशी ने विकास की जो यात्रा तय की है, उसके हर पड़ाव और यहां की संस्कृति का वर्णन इस बुक में भी किया गया है।
आगे पीएम मोदी बोले- हम सब तो निमित्त मात्र हैं, काशी में करने वाले तो महादेव हैं। जहां महादेव की कृपा हो जाती है, वह धरती ऐसे ही संपन्न हो जाती है एक समय था, जब भारत की समृद्धि गाथा पूरे विश्व में कही जाती थी। इसके पीछे भारत की केवल आर्थिक ताकत ही नहीं थी। इसके पीछे हमारी सांस्कृतिक समृद्धि भी थी, सामाजिक और आध्यात्मिक समृद्धि भी थी।
काशी जैसे हमारे तीर्थ और विश्वनाथ धाम जैसे हमारे मंदिर ही राष्ट्र की प्रगति की यज्ञशाला हुआ करती थीं। यहां साधना भी होती थी और शास्त्रार्थ भी होते थे। यहां संवाद भी होते थे और शोध भी होते थे। यहां संस्कृति के स्रोत भी थे और साहित्य संगीत की सरिताएं भी थीं।
एक समय था, जब भारत की समृद्धि गाथा पूरे विश्व में कही जाती थी। इसके पीछे भारत की केवल आर्थिक ताकत ही नहीं थी। इसके पीछे हमारी सांस्कृतिक समृद्धि भी थी, सामाजिक और आध्यात्मिक समृद्धि भी थी।
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