मथुरा में तीर्थयात्रियों को बंदरों से मिलेगी निजात,बंदर पकड़ो अभियान शुरु Social Media
उत्तर प्रदेश

मथुरा में तीर्थयात्रियों को बंदरों से मिलेगी निजात,बंदर पकड़ो अभियान शुरु

उत्तर प्रदेश के मथुरा में बंदरों से परेशान तीर्थयात्रियों एवं ब्रजवासियों को निजात दिलाने के लिए नगर निगम ने एक अभियान की शुरूवात करते हुए उन्हें पकड़कर चम्बल के बीहड़ में छोड़ा जाएगा।

Author : News Agency

मथुरा। उत्तर प्रदेश के मथुरा में बंदरों से परेशान तीर्थयात्रियों एवं ब्रजवासियों को निजात दिलाने के लिए नगर निगम एक अभियान की शुरूवात करते हुए उन्हें पकड़कर चम्बल के बीहड़ में छोड़ेगा। नगर आयुक्त अनुनय झा ने गुरुवार को यहां बताया कि बुधवार से नगर निगम ने बंदर पकड़ो अभियान के तहत अब तक 100 से अधिक बंदर पकड़े जा चुके हैं। बंदरों को पकड़ने के लिए नगर निगम ने पिछले सप्ताह ही एक टेंडर निकाला था। एक बंदर पकड़ने पर 85 रूपए का भुगतान किया जाएगा।

उन्होंने बताया कि मथुरा के विभिन्न तीर्थस्थलों में बंदरों की समस्या विकराल रूप लेती जा रही है। इनके हमले व डर के कारण वृन्दावन में पिछले दो साल में कई लोगों की मृत्यु हो चुकी है। वृन्दावन के बन्दर कुछ ज्यादा ही शरारती हैं तथा पलक झपकते ही लोगों का चश्मा, पर्स आदि ले जाते हैं तथा कुछ खाने का सामान देने के बाद भी उसका पीछा नहीं छोड़ते हैं। ऐसी भी घटनाएं आए दिन होती है कि तीर्थयात्री मन्दिर से जैसे ही प्रसाद लेकर निकलते है बन्दर उन्हें घेर लेते हैं और प्रसाद छीनकर भाग जाते हैं।

नगर आयुक्त श्री झा ने बताया कि मथुरा वृन्दावन के दो बंदर बाहुल्य बांकेबिहारी मन्दिर क्षेत्र , द्वारकाधीश मन्दिर एवं चैबियापाड़ा से बंदरों को पकड़ने के अभियान शुरू किया है । दो हजार बन्दरों को 15 दिन में पकड़ने का लक्ष्य रखा गख है, क्योंकि वन विभाग ने नगर निगम को 15 सितंबर तक ही बन्दर पकड़ने की अनुमति प्रदान की है। उन्होंने बताया कि वन्य जीव अधिनियम के तहत बंदरों की देखभाल के लिए एक पशु चिकित्सक की भी ड्यूटी लगा दी गई है। नगर आयुक्त ने बताया कि बंदरों की संख्या समुचित होते ही उन्हें चम्बल फारेस्ट रिजर्व में छोड़ा जाएगा।

इस बीच दीनदयाल वेटेरिनरी यूनिवर्सिटी के शरीर किया विज्ञान विभाग के सहायक प्रोफैसर डा. मुकुल आनन्द ने नगर निगम के प्रयास की सराहना करते हुए कहा कि इस अभियान से दूरगामी फायदा तब होगा जब कि अधिक से अधिक नर बंदर पकड़े जाएं या फिर मादा बन्दर ही पकड़े जाएं। नर बंदर चूंकि ज्यादा खूँखार होते हैं इसलिए उन्हें पकड़ने से दोहरा लाभ होगा। एक ओर लोगों पर बंदरों का आक्रमण कम होगा दूसरी ओर इससे भविष्य में बंदरों की प्रजनन संख्या कम हो सकेगी।

नगर आयुक्त का कहना था कि बंदरों को पकडने की योजना सफल होने पर इसे आगे भी अन्य क्षेत्रों में चालू करने का प्रयास किया जाएगा। गौरतलब है कि बंदरों की समस्या के कारण ही तत्कालीन राष्ट्रपति स्व. प्रणव मुखर्जी को बांके बिहारी महराज के दर्शन करने के लिए बंद गाड़ी में आना पड़ा था। नगर निगम ने पहली बार इस समस्या को समझा और और तीर्थयात्रियों को बंदरों की समस्या से निजात दिलाने की दिशा में यह अभियान शुरु किया।

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